ओ-स्मार्ट के अंतर्गत दी जाने वाली सेवाओं से तटीय और महासागरीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन, समुद्र तटीय उद्योग, तटीय राज्यों, रक्षा, नौवहन, बंदरगाहों जैसे क्षेत्रों को आर्थिक लाभ मिलेगा.
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की व्यापक योजना ‘महासागरीय सेवा, प्रौद्योगिकी, निगरानी, संसाधन प्रतिरूपण और विज्ञान (ओ-स्मार्ट)’ को बुधवार को मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने व्यापक ‘ओ-स्मार्ट’ योजना को मंजूरी दी. कुल 1623 करोड़ रुपये की लागत की यह योजना 2017-18 से 2019-20 की अवधि के दौरान लागू होगी. इस योजना में महासागर विकास से जुड़ी 16 उप-परियोजनाओं जैसे – सेवाएं, प्रौद्योगिकी, संसाधन, प्रेषण और विज्ञान को शामिल किया गया है.
इन्हें मिलेगा आर्थिक लाभ
ओ-स्मार्ट के अंतर्गत दी जाने वाली सेवाओं से तटीय और महासागरीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन, समुद्र तटीय उद्योग, तटीय राज्यों, रक्षा, नौवहन, बंदरगाहों जैसे क्षेत्रों को आर्थिक लाभ मिलेगा. वर्तमान में पांच लाख मछुआरों को मोबाइल के जरिए रोजाना सूचना मिलती है जिसमें मछली मिलने की संभावनाएं और समुद्र तट में स्थानीय मौसम की स्थिति की जानकारी शामिल है. इससे मछुआरों का खोज वाला समय बचेगा जिसके परिणाम स्वरूप ईंधन की बचत होगी.
नीली अर्थव्यवस्था को मिलेगी मदद
ओ-स्मार्ट के कार्यान्वयन से सतत विकास लक्ष्य-14 से जुड़े मुद्दों के समाधान में मदद मिलेगी जिनका उद्देश्य महासागरों के इस्तेमाल, निरंतर विकास के समुद्री संसाधनों का संरक्षण करना है. यह योजना (ओ-स्मार्ट) नीली अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक वैज्ञानिक और तकनीकी पृष्ठभूमि प्रदान करेगी. ओ-स्मार्ट योजना के अंतर्गत स्थापित आधुनिक पूर्व चेतावनी प्रणालियां, सुनामी, चक्रवात जैसी समुद्री आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटने में मदद करेंगी. इस योजना के अंतर्गत विकसित प्रौद्योगिकियों से भारत के आस-पास के समुद्रों से विशाल समुद्री सजीव और निर्जीव संसाधनों का उपयोग करने में मदद मिलेगी.
वर्तमान योजनाओं को जारी रखने का प्रस्ताव
उल्लेखनीय है कि महासागरीय क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं वाली बहु-विषयक योजनाओं के कार्यान्वयन के महत्व को पहचानते हुए मंत्रालय ने व्यापक योजना (ओ-स्मार्ट) के एक हिस्से के रूप में वर्तमान योजनाओं को जारी रखने का प्रस्ताव रखा है. सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, चूंकि भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए जमीन पर पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, ऐसे में भारत भी सतत तरीके से विशाल महासागरीय संसाधनों के उपयोगी और प्रभावशाली इस्तेमाल के लिए नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान दे रहा है. इसके लिए महासागर विज्ञान के बारे में जानकारी, प्रौद्योगिकी के विकास और सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता होगी.
योजना के अंतर्गत दी जाने वाली और विकसित महासागरीय परामर्श सेवाएं और प्रौद्योगिकियां दर्जनों क्षेत्रों की विकास गतिविधियों, भारत के तटवर्ती राज्यों सहित समुद्र तट के परिवेश के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. अगले दो वर्षों के दौरान विचार किए जाने वाले महत्वपूर्ण विषयों में महासागरीय निगरानी और प्रतिरूपण में वृद्धि, मछुआरों के लिए महासागरीय सेवाओं में वृद्धि, 2018 में समुद्र तटीय प्रदूषण की निगरानी के लिए समुद्र तट पर वेधशालाओं की स्थापना एवं कावारत्ती में महासागर ताप ऊर्जा परिवर्तन संयंत्र (ओटीईसी) की स्थापना शामिल है.