जेपी दत्ता के जन्मदिन पर उनके पिता, भाई और पत्नी से जुड़ी अनसुनी दिलचस्प कहानियां
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जेपी दत्ता के जन्मदिन पर उनके पिता, भाई और पत्नी से जुड़ी अनसुनी दिलचस्प कहानियां

उनके भाई ने एक दिन जेपी को 1971 की लोंगेवाला की लड़ाई के बारे मे बताया कि कैसे केवल 120 सैनिकों ने ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी की अगुवाई में पाकिस्तान के 3000 सैनिकों को मात दे दी थी, उसके बाद उन्हे 25 साल तक इंतजार करना पड़ा.

जन्मदिन के मौके पर आज आपको उनके परिजनों से जुड़े अनसुने किस्से बता रहे हैं...

नई दिल्ली : जेपी दत्ता को उनकी आर्मी पर बनी फिल्मों जैसे बॉर्डर, एलओसी कारगिल, रिफ्यूजी, सरहद और पलटन के लिए तो जाना ही जाता है, उन्होंने बड़ी स्टार कास्ट वाली क्षत्रिय, बटवारा, हथियार, यतीम, गुलामी जैसी चर्चित फिल्में बनाई थीं. हालांकि ‘बॉर्डर’ जैसी चर्चा उन्हें ऐश्वर्या राय के साथ ‘उमराव जान’ के चलते भी मिली थी. लोग उनकी फिल्में तो जानते हैं लेकिन उनकी निजी जिंदगी के बारे में ज्यादा नहीं जानते. तो आइए उनके जन्मदिन पर जानिए उनके पिता, भाई और पत्नी से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियां.

पिता कहानियां लिखते और बेटा डायरेक्ट करता
ये बाहुबली के लेखक विजयेन्द प्रसाद के डायरेक्टर बेटे राजामौली जैसी कहानी है. हालांकि एक जमाने में उनके पिता ओपी दत्ता भी फिल्में डायरेक्ट किया करते थे. शुरूआता हुई सुरैया की मूवी ‘प्यार की जीत’ से 1948 में, 1959 तक आते आते वो 9 फिल्में डायरेक्ट कर चुके थे. 1955 में उन्होंने भी ‘लगान’ नाम की फिल्म डायरेक्ट की थी. फिर उन्होंने केवल लिखना शुरू कर दिया, कहानी, स्क्रीनप्ले और कभी कभी डायलॉग्स भी.

रणधीर कपूर की ‘जीत’, महमूद और विनोद खन्ना की ‘मस्ताना’, सुनील दत्त की ‘चिराग’, राजेश खन्ना की ‘दो रास्ते’ जैसी फिल्मों की कहानियां लिखने के बाद ओपी दत्ता ने अपने बेटे जेपी दत्ता की फिल्मों की कहानियां लिखनी शुरू कीं. फिर तो ‘बॉर्डर’ से लेकर ‘क्षत्रिय’ तक, ‘उमराव जान’ से लेकर ‘गुलामी’ तक, ‘यतीम’ से लेकर ‘रिफ्यूजी’ और ‘एलओसी कारगिल’ तक, कहानी होती है पिता ओपी दत्ता की और डायरेक्शन होता है बेटे जेपी दत्ता का. ये सिलसिला 2012 में उनकी मौत के साथ ही थमा.

विनोद मेहरा की पत्नी को उड़ा ले गए थे जेपी दत्ता!
कम लोगों को पता है कि जेपी दत्ता की पत्नी एक दौर की मशहूर हीरोइन बिंदिया गोस्वामी हैं. बिंदिया गोस्वामी के पिता ने 7 शादियां की थीं, एक पार्टी में उन्हें हेमा मालिनी की मां ने देखा तो उन्हें लगा कि इसकी शक्ल तो हेमा से काफी मिलती जुलती है. ऐसे में हेमा मालिनी को जिन फिल्मों को मना करना होता था, उनकी मां उन फिल्मों के प्रोडयूसर्स को बिंदिया के बारे में भी बता देती थी. बिंदिया असमी फिल्म में काम कर चुकी थीं उसके 7 साल बाद ऐसे उन्हे बॉलीवुड में पहली मूवी  ‘जीवन ज्योति’ मिली, जिसमें विजय अरोरा (मेघनाथ) मेन लीड थे. 

कामयाबी और पहचान उन्हे मिली हृषिकेश मुखर्जी की गोलमाल और मूवी शान  के बाद. करियर आगे बढ़ा तो अगले पड़ाव की फिल्म दादा में विनोद मेहरा के साथ काम किया तो जोड़ी चल निकली. विनोद शादीशुदा थे, शादी के फौरन बाद उनकी बीवी मीना ब्रोका से अनबन हो गई थी और 4 साल के भीतर तलाक भी हो गया. और इसके बाद खबर आई कि उन्होंने रेखा से शादी कर ली. हालांकि दोनों ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया.

इधर बिंदिया भी उन पर फिदा हो चुकी थीं, 1980 में हुई दूसरी शादी भी केवल 4 साल ही चली, क्योंकि मेहरा से परेशान बिंदिया जेपी दत्ता से पींगें बढ़ाने लगी थीं और फिर मेहरा को तलाक देकर उन्होने दत्ता से शादी कर ली. बाद में बिंदिया जेपी की फिल्मों की ड्रेस डिजाइनिंग करने लगीं, ‘उमराव जान’ में ऐश्वर्या की सारी कॉस्ट्यूम्स उन्होंने ही तैयार की थीं. 

फौजी भाई का आइडिया और 25 साल का इंतजार
जेपी दत्ता का एक भाई भी था, जो इंडियन एयरफोर्स में स्क्वाड्रन लीडर था, नाम था दीपक दत्ता. वो खुद भी एक 1971 का युद्धा लड़ा था, फ्लाइंग लेफ्टीनेंट के तौर पर. उनके भाई ने एक दिन जेपी को 1971 की लोंगेवाला की लड़ाई के बारे मे बताया कि कैसे केवल 120 सैनिकों ने ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी की अगुवाई में पाकिस्तान के 3000 सैनिकों को मात दे दी थी, उसके बाद उन्हे 25 साल तक इंतजार करना पड़ा.

लेकिन दिक्कत ये थी ऑफीशियल सीक्रेट एक्ट के तहत किसी भी जंग के बारे में 25 साल तक कोई बाहर नहीं बता सकता. यानी अगले 25 साल जेपी दत्ता ने इंतजार किया. इसी बीच उनके भाई की भी मिग विमान क्रैश होने से मौत हो गई. अब जेपी दत्ता ने अपने शहीद भाई को श्रद्धांजिल देने के लिए ‘बॉर्डर’ मूवी बनाई, जो उन दिनों ब्लॉक बस्टर साबित हुई. 

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