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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के लिए बीजेपी अपने सहयोगियों को साधने में जुट गई है. बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान 22 सितंबर से यूपी के दौरे पर हैं. 3 दिन की मैराथन बैठक के बाद धर्मेंद्र प्रधान ने यूपी में पहला राजनीतिक ऐलान कर दिया है.
केंद्रीय मंत्री व बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को बीजेपी और निषाद पार्टी के बीच गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर दिया. हालांकि 2019 के लोक सभा चुनाव से ही निषाद पार्टी और बीजेपी का गठबंधन है. लेकिन पिछले कुछ महीनों में निषाद पार्टी और बीजेपी के बीच दूरियां दिख रही थीं. यही कारण है कि दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह ने संजय निषाद के साथ कई बार मुलाकात की.
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केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 2022 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी और निषाद पार्टी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी. यूपी में बीजेपी का गठबंधन अपना दल(एस) के साथ भी है. हालांकि धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी साफ कर दिया कि अभी कई और छोटे दलों के साथ यूपी बीजेपी बातचीत कर रही है. यानी आने वाले दिनों में कुछ और दलों के साथ भी बीजेपी का गठबंधन हो सकता है.
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद बीजेपी से लोक सभा सांसद हैं. पिछले कुछ महीनों से संजय निषाद बीजेपी पर बहुत ज्यादा दबाव बना रहे थे. संजय निषाद अपने लिए कभी डिप्टी सीएम का पद तो कभी राज्य सभा की सीट मांग रहे थे.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और निषाद पार्टी के बीच कई मुद्दों पर सहमति बन चुकी है. विधान सभा चुनाव में सीटों का बंटवारा भी जल्द हो जाएगा. यूपी में लगभग 4 प्रतिशत निषाद मतदाता हैं.
लखनऊ में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ‘2022 में यूपी में बीजेपी की ही सरकार बनेगी. उत्तर प्रदेश के सामाजिक ताने बाने को साथ लेकर हम आगे बढ़ेंगे. सरकार और संगठन के समन्वय से चुनाव में हर समाज का साथ बीजेपी को मिलने जा रहा है. पीएम मोदी और योगी के ऊपर यूपी की जनता का अटूट भरोसा है’.
दरअसल धर्मेंद्र प्रधान बीजेपी के संगठन के बहुत मजबूत नेताओं में से एक माने जाते हैं. पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनाव में धर्मेंद्र प्रधान की चुनावी रणनीति के कारण ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव हार गईं. नंदीग्राम में धर्मेंद्र प्रधान ने कई दिन कैंप कर ममता के खिलाफ बीजेपी की चुनावी रणनीति तैयार की थी. नंदीग्राम के बाद धर्मेंद्र प्रधान को यूपी जैसे बड़े राज्य का चुनाव प्रभारी बनाया गया है. यूपी के जातीय और सामाजिक समीकरण को साधने के लिए ही धर्मेंद्र प्रधान को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. यूपी में धर्मेंद्र प्रधान इससे पहले भी आते रहे हैं और उन्हें यहां के हर मुद्दे की जानकारी भी है.