UP: उत्तर प्रदेश में रेरा का बकाया न देने पर बिल्डर पर गिरी गाज, प्रशासन ने की ये कार्रवाई
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UP: उत्तर प्रदेश में रेरा का बकाया न देने पर बिल्डर पर गिरी गाज, प्रशासन ने की ये कार्रवाई

UP RERA: अधिकारियों ने बताया कि बिल्डर केलटेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (Keltech infrastructure limited) का यूपी रेरा (UP RERA) पर 3.74 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसकी वसूली के लिए रेरा ने रिकवरी नोटिस जारी किया था. कई चेतावनी देने के बावजूद जब बिल्डर ने जवाब नहीं दिया तब इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

फाइल

Noida Authority action on builder: उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) का करोड़ों रुपया का बकाया न देने पर तहसील दादरी (Dadri) के अधिकारियों ने एक बिल्डर पर शिकंजा कसते हुए उसके ऑफिस को सील कर दिया है. दादरी के उप-जिलाधिकारी आलोक गुप्ता ने यह जानकारी दी है. नोएडा के राजस्व विभाग की टीम ने लगाई गई सील को हटाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.

3.74 करोड़ रुपये की थी देनदारी

स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि बिल्डर केलटेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (Keltech infrastructure limited) का यूपी रेरा (UP RERA) पर 3.74 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसकी वसूली के लिए रेरा ने रिकवरी नोटिस जारी किया था. गुप्ता के मुताबिक, बकाया वसूलने के लिए दादरी तहसील की टीम कई बार बिल्डर के यहां गई और उसे नोटिस दिया, लेकिन बिल्डर ने बकाया नहीं चुकाया.

प्रोजेक्ट पर हुई थी मियादी

नोएडा के प्रशानिक अधिकारियों ने इस मामले को लेकर ये भी कहा, 'बिल्डर के प्रोजेक्ट पर मुनादी भी कराई गई, लेकिन बावजूद इसके उसकी तरफ से पैसा जमा नहीं कराया गया. कुछ घंटे पहले ही बिल्डर के खिलाफ ये कार्रवाई हुई है. तहसील की राजस्व टीम ने बिल्डर के ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-16 स्थित कार्यालय को सील कर दिया. अगर बिल्डर बकाया राशि जल्द ही जमा नहीं करेगा तो प्रशासन उसकी संपत्ति को कुर्क करने की कार्रवाई करेगा.'

आपको बताते चलें कि रेरा (रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी) की स्थापना रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डेवलपमेंट) अधिनियम के तहत की गई थी. जिसका उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित (रेग्युलेट) करना और घर खरीदारों की समस्याओं का समाधान करना है. इसके प्रमुख उद्देश्यों की बात करें तो आवंटियों के हितों की रक्षा और रियल स्टेट सेक्टर में धोखाधड़ी के मामलों को कम करना है. इसका एक और मकसद घर खरीदने वालों यानी बायर्स और घर बेचने वाले बिल्डर्स के बीच सही जानकारी का प्रसार करते हुए बिल्डरों और निवेशकों दोनों को जिम्मेदार बनाना है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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