शुक्रवार को रामपुर जेल प्रशासन ने प्रमुख सचिव न्याय लखनऊ और जिला जज अमरोहा को फ्रेश दया याचिका भेज दी है. स्पेशल मैसेंजर के जरिए यह पैगाम पहुंचाया गया है. सजायाफ्ता शबनम ने सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों के जरिए एक बार फिर राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है.
Trending Photos
अमरोहा: प्यार पाने के लिए अपने ही परिवार के सात लोगों की नृशंस हत्या करने वाली शबनम सैफी की फांसी हो सकता कुछ दिन और टल जाए. अगर उसे फांसी होती है तो यह आजाद भारत का पहला मामला होगा जब किसी महिला को फांसी दी जाएगी. शबनम को फांसी देने का मामला सुर्खियों में आने के बाद दो वकीलों ने फिर एक दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने के लिए आवेदन किया है.
सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों ने भेजी दया याचिका
शुक्रवार को रामपुर जेल प्रशासन ने प्रमुख सचिव न्याय लखनऊ और जिला जज अमरोहा को फ्रेश दया याचिका भेज दी है. स्पेशल मैसेंजर के जरिए यह पैगाम पहुंचाया गया है. सजायाफ्ता शबनम ने सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों के जरिए एक बार फिर राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है. गुरुवार को शबनम की दया याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों श्रेया रस्तोगी और विवेक जैन ने रामपुर जिला कारागार के जेल अधीक्षक से मुलाकात की थी. अधिवक्ताओं ने शबनम की दया याचिका उन्हें सौंपी दी है. जेल अधीक्षक के मुताबिक शबनम की याचिका राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजी जाएगी. यहां से याचिका स्पेशल मैसेंजर के जरिए प्रमुख सचिव न्याय लखनऊ और जिला जज अमरोहा को भेज दी गई है.
लालची भाभी: पहले करवाई हत्या, फिर लिखाई FIR, जब पुलिस ने दिखाई सख्ती तो उगला सच
आपको बता दें कि प्रेमी संग मिलकर परिवार के सात लोगों हत्या करने वाली शबनम 2019 से अमरोहा जेल में बंद है, जबकि उसका प्रेमी सलीम पठान आगरा सेंट्रल जेल में बंद है. शबनम को फांसी देने के लिए मथुरा जेल प्रशासन तैयारियों में जुटा है. हालांकि शबनम को फांसी कब दी जाएगी, इस पर जेल प्रशासन के पास कोई आधिकारिक सूचना नहीं है.
शबनम के बेटे ताज ने पीएम और राष्ट्रपति से कहा- मेरी मां को मत दीजिए फांसी, मैं अकेला रह जाऊंगा
शबनम केस में कब क्या-क्या हुआ?
- अमरोहा हत्याकांड केस में अमरोहा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 2010 में ही सलीम-शबनम को फांसी की सजा सुना दी थी. इस फैसले को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा.
- इसके बाद 2015 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और दोबारा सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को नहीं बदला था.
- 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी शबनम की दया याचिका खारिज कर दी.
- साल - 2019 में सुप्रीम कोर्ट से शबनम की फांसी की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई.
- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आने के बाद शबनम ने वकीलों के जरिए फिर प्रेसिडेंट को दया याचिका भेजी थी, लेकिन वहां से याचिका ठुकरा दी गई.
- इससे पहले उसके बेटे ने भी एक इमोशनल अपील की थी कि उसकी मां शबनम को माफी दे दी जाए.
- शुक्रवार को भी शबनम के वकीलों ने एक बार फिर दया याचिका राज्यपाल को भेजी है. इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों ने फ्रेश याचिका राष्ट्रपति को भेजने का आग्रह किया है. जेल प्रशासन ने राज्यपाल और प्रमुख सचिव न्याय लखनऊ व जिला जज अमरोहा को इसे भेज दिया है.
निर्भया के दोषियों के बाद अब शबनम को सूली पर चढ़ाएंगे पवन जल्लाद, कहा-बस बुलावे का है इंतजार
क्या था मामला
यूपी के अमरोहा डिस्ट्रिक्ट के बावनखेड़ी गांव में 14 अप्रैल, 2008 की रात को शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर परिवार के सात लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी. मरने वालों में शबनम के मां-बाप, शबनम के दो भाई, शबनम की एक भाभी, शबनम की एक मौसी की बेटी और शबनम का एक भतीजा यानी एक बच्चा भी शामिल था.