शबनम के बेटे ताज ने पीएम और राष्ट्रपति से कहा- मेरी मां को मत दीजिए फांसी, मैं अकेला रह जाऊंगा
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शबनम के बेटे ताज ने पीएम और राष्ट्रपति से कहा- मेरी मां को मत दीजिए फांसी, मैं अकेला रह जाऊंगा

सजा याफ्ता मुजरिम शबनम का बेटा ताज न सिर्फ राष्ट्रपति से अपनी मां के गुनाहों को माफ करने की गुहार लगा रहा है, बल्कि वह तब रो पड़ता है, जब याद करता है कि कैसे अपनी मां से मिलने के लिए वह रामपुर जेल जाता था.

शबनम के बेटे ताज ने पीएम और राष्ट्रपति से कहा- मेरी मां को मत दीजिए फांसी, मैं अकेला रह जाऊंगा

मोहित गोमत/अमरोहा: यूपी के अमरोहा के बहुचर्चित बामनखेड़ी कांड की गुनाहगार शबनम के डेथ वॉरंट पर कभी भी हस्ताक्षर हो सकता है. जल्द ही अपराधी शबनम को मथुरा जिला जेल में फांसी पर लटकाया जा सकता है. लेकिन फांसी की संभावनाओं के दरमियान शबनम के बेटे ताज ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपनी मां की फांसी की सजा को माफ करने की मांग की है.

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"मां मुझे बहुत प्यार करती है, गले से भी लगाती है"
सजा याफ्ता मुजरिम शबनम का बेटा ताज न सिर्फ राष्ट्रपति से अपनी मां के गुनाहों को माफ करने की गुहार लगा रहा है, बल्कि वह तब रो पड़ता है, जब याद करता है कि कैसे अपनी मां से मिलने के लिए वह रामपुर जेल जाता था. ताज का कहना है कि उसकी मां उससे बेहद प्यार करती हैं. वह उसको गले लगाती हैं और आंचल में छिपा लेती है. उसे पैसे भी देती हैं. ताज ने यह भी कहा कि उसने भारत के पीएम और राष्ट्रपति से अपनी मां के गुनाहों की सजा को माफ करने की अपील की है, ताकि उसके सिर से मां का साया न उठ पाए.

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"पढ़-लिख कर बनना अच्छा इंसान"
शबनम ने जब अपने बेटे ताज से मुलाकात की थी तब उसे समझाया था कि मन से पढ़ाई करना. जब दिल लगा कर पढ़ाई करोगे, तभी आगे बढ़ोगे. 

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उस्मान सैफी की कस्टडी में बड़े स्कूल में पढ़ाई कर रहा है ताज
बुलंदशहर की सुशीला विहार कॉलोनी में शबनम की इकलौती संतान ताज कस्टोडियन उस्मान सैफी के परिवार के साथ रहता है. शबनम को निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक फांसी की सजा सुनाई गई है. ताज का जन्म जेल में हुआ था, लेकिन जब ताज की उम्र 6 साल हुई, तो उसको जेल से बाहर लाया गया और अमरोहा जिला प्रशासन ने उसको बुलंदशहर निवासी उस्मान सैफी की कस्टोडियन में दे दिया. उस्मान बताते हैं कि ताज बुलंदशहर के प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और वह जहां तक पढ़ना चाहे, उसकी पढ़ाई और परवरिश की सारी व्यवस्था है. वह यह भी कहते हैं कि ताज की मां के पास काफी प्रॉपर्टी है. वह शबनम से कह चुके हैं कि वह इस प्रॉपर्टी को स्कूल, कॉलेज, अस्पताल जैसे किसी अच्छे काम के लिए दान कर दें.

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बेटे ने कर लिया नए परिवार के साथ एडजस्ट
वहीं, ताज को मां का प्यार देने वाली कस्टोडियन उस्मान सैफी की पत्नी वंदना सिंह ने कहा कि शुरू के दिनों में तो ताज को कस्टडी में लेने के बाद काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. लेकिन बच्चे ने उस्मान सैफी और उनकी पत्नी वंदना सिंह के साथ एडजस्ट करना सीख लिया. वंदना सिंह कहती हैं कि वह खुद एक शिक्षिका हैं और वह जानती हैं कि इस उम्र में बच्चों को किन-किन चीजों की जरूरत होती है या कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए वह बेहतर तरीके से ताज की देखभाल कर पाती हैं. उन्हें नाज है कि ताज ने जन्म जेल में लिया था, लेकिन वह एक सामान्य बच्चे की तरह वंदना और उनके पति उस्मान की उम्मीदों पर खरा उतरता है.

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शबनम ने प्यार के लिए कर दी 7 परिजनों की हत्या
बता दें, 15 अप्रैल 2008 को अमरोहा के गांव बामन खेड़ी की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम की मदद से प्रेम सम्बन्धों में बाधा बने अपने माता पिता, दो भाई, भाभी, मौसी की लड़की और भतीजे को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था. निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक शबनम के इस अपराध पर उसे फांसी की सजा सुनाई गई. राष्ट्रपति ने भी शबनम की सजा को बरकरार रखा और दया याचिका खारिज कर दी. इसी के साथ अब शबनम को फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी गई है. मथुरा जिला कारागार स्थित फांसी घर में शबनम को फांसी दी जाएगी. यह आजाद भारत में किसी महिला को पहली फांसी होगी. जेल प्रशासन ने रस्सी बनाने का ऑर्डर और शबनम के वजन के बराबर पत्थर को लटकाने की रिहर्सल शुरू कर दी है. यहां तक कि मेरठ का जल्लाद पवन कई बार मथुरा जिला जेल में फांसी की तैयारी का जायज़ा ले चुका है. हालांकि, अभी जेल प्रशासन को शबनम के डेथ वॉरंट का इंतजार है.

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