Ayodhya News: बालासाहब देवरस ने RSS को राम मंदिर आंदोलन से जोड़ा, संघ प्रचारकों के सामने रखी थी कठोर शर्त...
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2046594

Ayodhya News: बालासाहब देवरस ने RSS को राम मंदिर आंदोलन से जोड़ा, संघ प्रचारकों के सामने रखी थी कठोर शर्त...

Ayodhya Ram mandir pran pratishtha: अयोध्या के अहम किरदारों का नाम आता है, तो बालासाहब देवरस के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. आरएसएस के तीसरे सरसंघचालक देवरस ने राम जन्मभूमि आंदोलन की आंच को लगातार गरमाते रहने में अहम भूमिका निभाई. उनका असली नाम मधुकर दत्तात्रेय देवरस था, लेकिन संघ में सक्रियता के बाद वो बाला साहब देवरस नाम से मशहूर हुए. 

Ram mandir in Ayodhya Balasaheb Devras (File Photo)

अयोध्या : राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान संघ औऱ विहिप के बीच समन्वय, जिलों में संघ की शाखाओं में राम मंदिर आंदोलन के लिए कारसेवकों को तैयार करने की रणनीति और प्रचार प्रसार में बालासाहब देवरस का महती योगदान था. देवरस ने राम जन्मभूमि परिसर का ताला खुलवाने और वहां दोबारा सांकेतिक पूजा शुरू करने के लिए अशोक सिंघल और अन्य हिन्दूवादी नेताओं के साथ काम किया. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई.

कारसेवकों को अयोध्या तक लाने और ले जाने का काम, गंगाजल अभियान और खाने-पीने और रामनगरी में ठहराने के प्रबंध में भी देवरस की अगुवाई में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई थी. यही वजह है कि भीषण ठंड के दौरान भी आंदोलन के दौरान कार्यकर्ता वहां डटे रहे. 

देवरस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे सरसंघचालक 1973 से 1994 तक रहे. 11 दिसंबर 1915 को नागपुर में जन्मे देवरस का पैतृक गांव मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले का कारंजा था. देवरस के पिता नागपुर में सरकारी कर्मचारी थे, लेकिन छोटे भाई भाऊराव देवरस आजीवन संघ के प्रचारक रहे. 

बालासाहब देवरस साल 1927 में संघ से जुड़े और स्वयंसेवकों के उन पहले समूहों में शामिल थे, जिन्होंने हेडगेवार की नागपुर में संघ की पहली शाखा में हिस्सा लिया था. बालासाहब गुरु गोलवलकर से बेहद प्रभावित थे. भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी ने एक बार कहा था,  बालासाहब के व्यवहार तथा नेतृत्व क्षमता को देखते हुए सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर भी उनका उदाहरण दूसरे स्वयंसेवकों को देते थे.

बालासाहब बीए एलएलबी के बाद 1937 में नागपुर के नगर कार्यवाह बने. फिर उन्हें प्रचारक बनाकर कलकत्ता भेजा गया, लेकिन 1940 में हेडगेवार के निधन के बाद उन्हें नागपुर वापस बुलाया गया और नागपुर का प्रांत प्रचारक नियुक्त किया गया. तत्कालीन सरसंघचालक गोलवलकर ने बालासाहब को नागपुर की ही जिम्मेदारी सौंपी. देवरस 1962 में सह सरकार्यवाह, 1965 में सरकार्यवाह और गोलवलकर के निधन के बाद 1973 में सरसंघचालक बने.

बालासाहब के सरसंघचालक काल में संघ पर कांग्रेस ने दो बार प्रतिबंध लगाया गया. पहला इमरजेंसी के दौरान 1975 में इंदिरा गांधी की सरकार में लगा. मार्च 1977 में इंदिरा गांधी की हार के बाद पाबंदी हटा ली गई. अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद 10 दिसंबर 1992 को केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने संघ पर प्रतिबंध लगाया. ये छह महीनों तक चला.

आपातकाल के दौरान बालासाहब देवरस जेल में रहे. देवरस को गिरफ्तार करके पुणे की यरवदा जेल भेजा गया. 21 मार्च 1977 को आपातकाल के अंत के बाद बालासाहब जेल से बाहर आए. वो 20 माह से ज्यादा कैद रहे.

संघ प्रचारकों ने राममंदिर मुद्दे पर उत्‍तर प्रदेश और राजस्‍थान (Rajasthan) में एक के बाद एक कई बैठकें कीं. इसके बाद इस मामले को तत्‍कालीन संघ प्रमुख बाला साहेब देवरस (Balasaheb Deoras) के सामने रखा गया. इस पर देवरस ने कहा, ''क्‍या! अभी तक राममंदिर पर ताले (Locks) लगे हुए हैं.''

देवरस ने प्रचारकों से क्या कहा
देवरस का ये बयान संघ प्रचारकों के लिए बाबरी मस्जिद (Babari Masjid) के खिलाफ लंबा अभियान चलाने का संकेत जैसा था. दावा किया जाता है कि देवरस ने प्रचारकों से कहा था, ''आपको राममंदिर के मुद्दे पर प्रदर्शन तभी शुरू करना चाहिए, जब आप इस लड़ाई को अगले तीन दशक तक लड़ने के लिए तैयार हों. ये आपके धैर्य की परीक्षा की लड़ाई होगी. जो इस लड़ाई में पूरे धैर्य के साथ अंत तक लड़ता रहेगा, जीत उसी की होगी.'' इसके बाद आरएसएस ने गोहत्या के खिलाफ चलाए हस्‍ताक्षर अभियान की तर्ज पर एकसाथ पूरे देश में आंदोलन छेड़ने की योजना बनाई. 
उल्लेखनीय है कि 1987 में विवादित स्‍थल से मस्जिद को दूसरी जगह पहुंचाने का पूरा इंतजाम हो चुका था. तकनीक की मदद से मस्जिद को उठाकर दूसरी जगह रखे जाने की योजना विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री अशोक सिंघल ने बनाई थी.

लेकिन इस संदर्भ में अशोक सिंघल को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख बालासाहेब देवरस से कथित तौर पर समझाया तो यह मामला टल गया. एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह की किताब ‘अयोध्या - रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का सच’ के हवाले से किया गया है. 
बाला साहब देवरस ने कहा हिंदू शब्द बहुत व्यापक है
श्री राममंदिर आंदोलन हिन्दू स्वाभिमान का मुद्दा बना तो बालासाहब ने इसकी भूमिका को रेखांकित करते हुए स्पष्ट किया कि किया कि हिंदू शब्द किसी विशेष पूजा पद्धति या संप्रदाय तक सीमित नहीं है. जो भी भारत और भारत की संस्कृति में आस्था रखता है, वह हिंदू है. हिंदू शब्द बहुत व्यापक है. 

 

Trending news