Ayodhya Ram Mandir: कौन हैं डॉ. अनिल मिश्रा? रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूजन में होंगे मुख्य यजमान
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Ayodhya Ram Mandir: कौन हैं डॉ. अनिल मिश्रा? रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूजन में होंगे मुख्य यजमान

 Dr Anil Mishr Will Be First Yajman Of Pran Pratishtha: डॉ अनिल मिश्रा का नाम चर्चा में है. दरअसल, अनिल मिश्रा वह शख्स हैं जो पीएम मोदी क जगह भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मुख्य यजमान होंगे. उनकी पत्नी भी उनके साथ होंगी.

Ayodhya Ram Mandir: कौन हैं डॉ. अनिल मिश्रा? रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूजन में होंगे मुख्य यजमान

Ayodhya Ram Mandir: डॉ अनिल मिश्रा राम जन्मभूमि पर नवनिर्मित मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के यजमान बनाये गए हैं. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय संघ और उससे जुड़े कार्यों में बीता है. वही अपनी पत्नी ऊषा मिश्रा के साथ कार्यक्रम में शामिल होंगे. पीएम मोदी भी कार्यक्रम में यजमान की भूमिका में रहेंगे.

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डॉ अनिल मिश्र श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं. वे 1979 से संघ से जुड़े हुए हैं. डॉ अनिल मिश्र मूलरूप से अंबबेडकर नगर के ग्राम पतोना रहने वाले हैं. डॉ अनिल मिश्र फैजाबाद के लक्ष्मणपुरी इलाके में रहते हैं. वह होम्योपैथ के मशहूर डॉक्टर हैं और अपना क्लीनिक भी चलाते हैं. उनका पूरा परिवार डॉक्टरी पेश से जुड़ा है. उनके घर में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटे और बहू है. दोनों बेटे भी डॉक्टर हैं.

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डॉ अनिल ने की हौम्योपैथिक की पढ़ाई, राममंदिर आंदोलन में भी भूमिका

उन्होंने जौनपुर के पीडी बाजार स्थित जयहिंद इंटर कॉलेज से माध्यमिक स्तर की पढ़ाई की और फिर डॉ. बृजकिशोर होम्योपैथिक कॉलेज में पढ़ने फैजाबाद आ गए.  डॉक्टरी की पढ़ाई में कुछ दिन ही बीते थे कि होम्योपैथी को एलोपैथी के समानांतर प्रतिष्ठा दिलाने का आंदोलन छिड़ गया. अनिल मिश्र भी इस आंदोलन में कूद पड़े, जिसके चलते उन्हें जेल तक जाना पड़ा. यह उस दौर की बात है, जब देश आपातकाल में जकड़ चुका था. बंदी जीवन के ही दौरान अनिल मिश्र भी संघ के संपर्क में आए. और फिर क्या, उन्हीं से प्रेरित होकर डॉ. मिश्र ने भी अपना जीवन संघ को समर्पित करने की ठानी.

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जेल से निकलने के बाद बदला जीवन
मेडिकल की लड़ाई के चलते आठ महीने बाद जेल से छूटे तो जीवन पूरा बदल चुका था. अब वे करियर की बजाय राष्ट्र के लिए जीने की सोचने लगे. हालांकि, उन्होंने होम्योपैथी की पढ़ाई जारी रखी, लेकिन केंद्र में संघ कार्य ही रहा.  दोहरी जिम्मेदारी के बीच 1981 में उन्होंने होम्योपैथी से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली. नगर शाखा कार्यवाह और मुख्य शिक्षक की भूमिका में प्रभावी छाप छोड़ी.  इस बीच चिकित्सा अधिकारी के तौर पर वह शासकीय सेवा में चयनित हो गए. डॉक्टर की भूमिका में प्रभावी मौजूदगी दर्ज कराने वाले डॉ. मिश्र शहर में संघ के प्रतिनिधि के तौर पर स्थापित हुए.

सौंपा गया प्रांतीय सह कार्यवाह का दायित्व
 दो दशक पूर्व संघ में अवध प्रांत का गठन होने के साथ उन्हें प्रांतीय सह कार्यवाह का दायित्व सौंपा गया. साल 2005 में जब प्रांत कार्यवाह के चुनाव की बेला आई, तो डॉ. मिश्र सबकी पसंद बनकर उभरे. वे होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार भी रहे.

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