Barabanki News: बाराबंकी की महिला उद्यमी समाज के लिए मिसाल पेश कर रही हैं. जिले की ऐसी कई महिलाएं हैं, जो अपने अपने बिजनेस के जरिए कई लोगों को रोजगार दे रही हैं. साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं.
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नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: आज महिला सशक्तिकरण गति पकड़ चुका है. महिलाएं समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. इस गति को आगे बढ़ाने में बदलती हुई सोच हो या फिर सरकार और समाज का सहयोग और संरक्षण मिल रहा है. बाराबंकी जिले में भी भारत सरकार और प्रदेश सरकार के साथ मिलकर तमाम महिला उद्यमी अलग-अलग क्षेत्रों में कीर्तिमान गढ़ रही हैं. वह अपने काम को तो बढ़ा ही रही हैं, साथ-साथ दूसरी तमाम महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं. इन्हीं महिलाओं में से एक हैं, अपर्णा मिश्रा.
एक महिला उद्यमी के तौर पर इस समय अपर्णा मधुमक्खी पालन, सिलाई-कढ़ाई समेत कई दूसरे काम कर रही हैं. जिसके माध्यम से वह करीब 750 लोगों को रोजगार दे रही हैं. जिनमें से 60 फीसदी महिला ही हैं. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार महिलाओं के लिए काफी काम कर रही है. प्रदेश में उद्यमियों के लिए माहौल भी काफी अच्छा हो चुका है. ऐसे में हर महिला को अब अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए.
महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही है "मधुमक्खी वाला"
मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में ही काम कर रही पूजा सिंह ने बताया कि उन्होंने छोटे स्तर से अपना काम शुरू किया. इस समय वह कई स्वयं सहायता समूहों को अपने साथ जोड़ चुकी हैं. उनकी संस्था का नाम मधुमक्खी वाला है. उन्होंने बताया कि वह महिलाओं को जागरूक कर रही हैं, जिससे वह स्वावलंबी बन सकें. वह महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही हैं और बैंक के माध्यम से उन्हें लोन दिलाकर उनका खुद का काम शुरू करवा रही हैं.
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50 लोगों को रोजगार दे चुकीं फौजिया उस्मानी
बाराबंकी के गोसाई पुरवा में टेराकोटा नाम से फौजिया उस्मानी अपनी कंपनी चला रही हैं. पीएमईजीपी योजना की मदद से उन्होंने 25 लाख रुपये का लोन लिया और मिट्टी के कुल्हड़ और प्लेट बनाने का काम शुरू किया. इस समय फौजिया करीब 50 लोगों को रोजगार दे चुकी हैं, जिनमें 35 महिलाएं शामिल हैं. फौजिया ने महिला उद्यमी के तौर पर समाज में बड़ी मिसाल पेश की है.
चिकन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना की
बाराबंकी की ही अंदलीप जेहरा ने भी डूडा विभाग से शहरी आजीविका मिशन के तहत लोन लिया और चिकन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की. इस समय अंदलीप जेहरा करीब 45 महिलाओं को डायरेक्ट रोजगार दे रही हैं. जबकि सैकड़ों महिलाओं को उन्होंने घर से ही काम करने के लिए जोड़ा है. अंदलीप जेहरा का कहना है कि वह महिलाओं को लगातार अपने साथ जोड़ रही हैं और काम करने के लिए जागरूक कर रही हैं.
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दिव्यांग बच्चों के लिए स्पेशल स्कूल चला रही हैं अर्चना
वहीं, उम्मीद किरण नाम से दिव्यांग बच्चों के विकास लिए संस्था चला रही अर्चना श्रीवास्तव ने भी समाज में अनोखी मिसाल पेश की है. दिव्यांग बच्चों के लिए स्पेशल स्कूल चला रही अर्चना इस समय लोगों को रोजगार भी दे रही हैं. वह करीब 500 दिव्यांग बच्चों के विकास के लिए काम कर रही हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से उन्होंने समाज के उत्थान के लिए अपना काम शुरू किया है. उसी तरह वह बाकी महिलाओं से भी अपील करती हैं कि वह आगे आएं और सरकार की मदद से काम करें.
बाराबंकी के करीब 21 गांवों में SHG के माध्यम से प्रमिला पाल नाम की महिला काम कर रही हैं. वह हर गांव में 7 से 8 SHG के माध्यम से सैकड़ों महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही हैं और एनआरएलएम के साथ जोड़कर सभी को सरकारी सुविधाएं दिलवा रही हैं. उन्होंने बताया कि हर SHG के खाते में एक से पांच लाख रुपये तक आते हैं. जिससे उन्हें ट्रेनिंग दिलवाकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ ई-कॉमर्स व्यवसाय से कई महिलाओं को रोजगार दे रही महिला उद्यमी इशिता अग्रवाल ने बताया कि वह आज कई कंपनियों के लिए काम कर रही हैं. वह लगातार महिलाओं को अपने साथ जोड़ रही हैं और उनको रोजगार दे रही हैं.
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