योगी सरकार में मजदूरों के 'अच्छे दिन' पर सियासत, विपक्ष ने कानून में बदलाव को बताया मजदूर विरोधी
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योगी सरकार में मजदूरों के 'अच्छे दिन' पर सियासत, विपक्ष ने कानून में बदलाव को बताया मजदूर विरोधी

श्रम कानून (Reform Labour law) को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने ट्वीट करके विरोध जताया. उन्होंने एक लंबा ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत मजदूरों का शोषण बहुत दुखद है. एक के बाद एक उन्होंने चार ट्वीट किए. वहीं सपा ने इस कानून को मजदूर विरोधी बता योगी सरकार से वापस लेने की बात कही.

योगी सरकार में मजदूरों के 'अच्छे दिन' पर सियासत, विपक्ष ने कानून में बदलाव को बताया मजदूर विरोधी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मजदूरों के हित में श्रम कानून में बदलाव पर राजनीति शुरू हो गई है. विपक्ष ने योगी सरकार के इस कदम को मजदूरों का शोषण करने वाले बताया है. बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि श्रम कानून में बदलाव श्रमिक के हित में होना चाहिए. वहीं नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने इसे दमनकारी कानून बताया और वापस लेने की बात कही है. 

श्रम कानून (Reform Labour law) को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने ट्वीट करके विरोध जताया. उन्होंने एक लंबा ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत मजदूरों का शोषण बहुत दुखद है. एक के बाद एक उन्होंने चार ट्वीट किए. 
मायावती ने लिखा, ''कोरोना प्रकोप में मजदूरों/श्रमिकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे 8 के बजाए 12 घंटे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुनः देश में लागू करना अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है. श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिये ना कि कभी भी उनके अहित में.''

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उन्होंने आगे लिखा, ''जबकि परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए प्रतिदिन 12 नहीं बल्कि 8 घण्टे श्रम व उससे ज्यादा काम लेने पर ओवरटाइम देने की युगपरिवर्तनकारी काम तब किया था जब देश में श्रमिकों/मजदूरों का शोषण चरम पर था. इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित?''

अपने तीसरे ट्वीट में बसपा सुप्रीमो ने लिखा, ''देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिये ताकि खासकर जिन फैक्ट्री/प्राइवेट संस्थानों में श्रमिक कार्य करते हैं वहीं उनके रूकने आदि की व्यवस्था हो. किसी भी स्थिति में वे भूखे ना मरे और ना ही उन्हें पलायन की मजबूरी हो ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहिये.''

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जबकि चौथे ट्वीट में मायावती ने लिखा, ''वैसे तो अभी काम का पता नहीं है परन्तु सरकारें बेरोजगारी व भूख से तड़प रहे करोड़ों श्रमिकों/मजदूरों के विरुद्ध शोषणकारी डिकटेट लगातार जारी करने पर तत्पर हैं, यह अति-दुखद व सर्वथा अनुचित है जबकि इस कोरोना के संकट में इन्हें ही सबसे ज्यादा सरकारी मदद व सहानुभूति की जरूरत है.''

कानून में किए बदलाव वापस ले सरकार-नेता प्रतिपक्ष
वहीं श्रम कानून में बदलाव को लेकर नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार मजदूरों का दमन कर रही है और इस सरकार को ये फैसला वापस लेना चाहिए और अगर नहीं करती है तो उसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए.

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सपा ने बताया मजदूर विरोधी कानून
जबकि समाजवादी पार्टी के नेता अनुराग भदौरिया ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि बीजेपी की सरकार आखिर मजदूरों के खिलाफ क्यों रहती है? उन्होंने कहा कि लेबर का हिस्सा काटकर उनकी मदद करने का मतलब है कि मजदूरों से आपका कोई लेना-देना नहीं हैं.

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