कोरोना के डर से अभी भी लोग बेवजह आवाजाही करने से परहेज कर रहे हैं. इस वजह से लोग अब अपने घरों में ही पूजा-पाठ कर रहे हैं. जिससे देशभर के बड़े मंदिरों में चढ़ाए जाने वाला दान इस वर्ष घटकर महज 2 फीसदी रह गया है.
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पुष्कर चौधरी/चमोली: देशभर में लॉकडाउन की वजह उत्तराखंड के चमोली में भी धार्मिक स्थलों पर श्रदालुओं की आवाजाही के साथ-साथ धार्मिक क्रियाओं पर रोक लगाई गई थी. इसका सीधा असर मंदिरों में पुजारियों और कर्मचारियों पर पड़ रहा है. कोरोना के डर से लोग घरों में ही पूजा-पाठ कर रहे हैं. जिससे देशभर के बड़े मंदिरों में चढ़ाए जाने वाला दान इस वर्ष घटकर महज 2 फीसदी रह गया है.
अनलॉक के बावजूद श्रद्धालुओं की आवाजाही कम
चमोली में बद्रीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब जैसे विश्वप्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं. बद्रीनाथ धाम के कपाट भी लॉकडाउन के चलते अपनी निर्धारित तिथि से करीब 15 दिन देरी से खुले थे, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद बाहरी श्रद्धालुओं की आवाजाही पर देवस्थानम बोर्ड के द्वारा रोक लगाई गई थी. हालांकि जुलाई से बद्रीनाथ धाम में चमोली जनपद और उत्तराखंड राज्य अंतर्गत रहने वाले लोगों को दर्शन की अनुमति दे दी गई थी. अब अनलॉक-4 शुरू होने के बाद केंद्र द्वारा जारी एसओपी के अनुसार कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी आ-जा सकता है. बावजूद इसके कोरोना संक्रमण के कारण बद्रीनाथ धाम में श्रदालु कम संख्या में पहुंच रहे हैं, जिससे यहां के दान में भी कमी आई है.
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बद्रीनाथ मंदिर का है अपना कोष
बद्रीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि श्रद्धालुओं के ना आने की वजह से चढ़ावा ना के बराबर है. हालांकि मंदिर का अपना कोष है, जिससे मंदिर से जुड़े कर्मचारियों को वेतन दिया जाता रहा है. ऐसी स्थिति अभी बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ में नहीं आई है कि मंदिर के खजाने को बैंक में गिरवी रखकर कर्मचारियों को वेतन दिया जाए, लेकिन अन्य स्थानों से ऐसी खबरें आ रही हैं.
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