RTO में ऑनलाइन आवेदन करते समय रहें सावधान! कहीं हो न जाएं फर्जीवाड़े के शिकार
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RTO में ऑनलाइन आवेदन करते समय रहें सावधान! कहीं हो न जाएं फर्जीवाड़े के शिकार

जालसाजों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर अब तक पौने दो हजार आवेदकों को लगभग एक करोड़ का चूना लगाया है और यह फर्जीवाड़ा अभी भी जारी है. कानपुर आरटीओ में भी हर रोज फर्जीवाड़ा के शिकार लोग शिकायत लेकर पहुंचे रहे हैं.

परिवहन विभाग ने एडवायजरी जारी करने के अलावा मामला साइबर सेल के पास भी भेजा है.

कानपुर, (राजेश एन अग्रवाल): अगर आप उत्तर प्रदेश में रहते हैं और अपने आरटीओ से सम्बन्धित कोई आवेदन ऑन लाइन कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए. जालसाजों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर अब तक पौने दो हजार आवेदकों को लगभग एक करोड़ का चूना लगाया है और यह फर्जीवाड़ा अभी भी जारी है. कानपुर आरटीओ में भी हर रोज फर्जीवाड़ा के शिकार लोग शिकायत लेकर पहुंचे रहे हैं.

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डब्लूडब्लूडब्लू डॉट आरटीओ ऑन लाईन डॉट कॉम के जरिए ये गौरखधंधा चल रहा है. ये सरकारी वेबसाईट नहीं है. जानकारी के आभाव में अब तक पौने दो हजार से अधिक लोग इस फर्जीवाड़े के चंगुल में फंस चुके हैं. डाइविंग लाइसेंस बनवाने, रोड टैक्स जमा करने या वाहन का फिटनेस कराने के लिए उन्होने ऑन लाइन आवेदन किया और फीस भी भरी, लेकिन जब वे पेपर्स लेने अपने जिले के आरटीओ आफिस पंहुचे, तब उन्हें ठगे जाने का पता चला. 

परिवहन विभाग की अधिकृत वेबसाइट का नाम 'परिवहन डॉट जीओवी डॉट इन' है जो केन्द्रीय परिवहन एवम् राजमार्ग द्वारा संचालित है. जो जानकार हैं उन्हें पता है कि सरकारी वेबसाईट 'डॉट कॉम' पर नहीं बल्कि 'डॉट जीओवी इन' पर होती हैं. जालसाज इसका फायदा उठाकर लोगों को ठगने में कामयाब हो रहे हैं.

दरअसल, पिछले कई दिनों से यूपी के अन्य जिलों की भाति कानपुर आरटीओ दफ्तर में भी लोग ऑन लाइन आवेदन की हार्ड कापी लेकर पहुंच रहे थे, लेकिन आरटीओ में उनके रिकार्ड नहीं मिल रहे थे. इस पर अनुमान लगाया गया कि आवेदकों ने ऑन लाइन फार्म भरने में कोई गड़बड़ तो नहीं की है, जब ऐसे मामले बढ़ने लगे तो परिवहन मुख्यालय को सूचित किया गया. शुरूआती जांच में जो तथ्य सामने आए, वे बेहद चौकाने वाले थे. जालसाजों ने समानान्तर वेबसाइट बना रखी है और ये खेल पूरे प्रदेश में चल रहा है. इसके बाद विभाग ने सभी संभाग कार्यालयों को एडवायजरी जारी की है कि फर्जी वेबसाइट के बारे में लोगों को अवगत कराया जाए. 

परिवहन विभाग ने एडवायजरी जारी करने के अलावा मामला साइबर सेल के पास भी भेजा है. ताकि पता चल सके कि यह फर्जीवाड़ा कहा और किस माध्यम से किया जा रहा है.

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