Air Pollution in UP: उत्तर प्रदेश में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है. इसी की चपेट में कई जनपद भी आ चुके हैं. हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों में AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके हैं. फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं और बढ़ते वाहनों का प्रदूषण समस्याएं उत्पन्न कर रहा है.
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Air Pollution in UP: प्रदूषण से यूपी के कई शहरों का बुरा हाल है. यूपी के सबसे प्रदूषित जिलों में हापुड़ और मुजफ्फरनगर ने नोएडा-गाजियाबाद को पीछे छोड़ दिया है. पश्चिमी यूपी में प्रदूषण से बुरा हाल है, मुज़फ्फरनगर में एयर पॉल्यूशन बुरी स्थिति में है. यहां पर पहले से ही औद्योगिक गतिविधियों के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है.
मुजफ्फरनगर में प्रदूषण
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में प्रदूषण अपना वर्चस्व जमा हुए हैं इसी की चपेट में जनपद मुज़फ्फरनगर भी आ चुका है. जो पहले से ही औद्योगिक गतिविधियों के कारण प्रदूषण की चपेट में है. हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों में मुज़फ्फरनगर का AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं और बढ़ते वाहनों का प्रदूषण समस्याएं उत्पन्न कर रहा है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी स्थिति की गंभीरता को नजरअंदाज कर रहे हैं. जनपद में फैक्ट्रियों से लगातार निकल रहे धुएं और हानिकारक रसायनों के कारण वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हो रहा है. कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ रही है.
बीमारियों का कहर शुरू
मुज़फ्फरनगर के कई इलाके धुएं और धूल के बादलों में घिरे हुए हैं. लोग खांसी, अस्थमा, और फेफड़ों से जुड़ी अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं. इन चिंताओं के बीच, आने वाले दिनों में दीपावली का त्यौहार और अधिक संकट लेकर आ सकता है. हर साल दीपावली पर जमकर पटाखे जलाए जाते हैं, जिससे वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक इज़ाफा हो जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो जनपद के नागरिकों का स्वास्थ्य और अधिक खराब हो सकता है.
शहर के लोगों की मांग
प्रदूषण के इस गंभीर स्तर पर नागरिकों ने जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग से मांग की है कि वे तुरंत कार्रवाई करें. औद्योगिक क्षेत्रों में पर्यावरण के नियमों का सख्ती से पालन कराना जरूरी है. साथ ही, नागरिकों से भी अपील की जा रही है कि वे इस दीपावली कम से कम पटाखे जलाएं और पर्यावरण के संरक्षण में योगदान दें. यदि प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को जल्द अमल में नहीं लाया गया, तो आने वाले समय में मुज़फ्फरनगर एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना कर सकता है.
दिल्ली NCR और गाजियाबाद में प्रदूषण
दिल्ली एनसीआर और गाजियाबाद में बढ़ते एक्यूआई स्तर ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. गाजियाबाद में लोनी का एक्यूआई 318, वसुंधरा का 216 और इंदिरापुरम का 205 दर्ज किया गया है. औसत एक्यूआई स्तर 246 के करीब है. प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रेप की पाबंदियां लागू की गई हैं, जिसमें पटाखे फोड़ने पर रोक, कंस्ट्रक्शन वेस्ट को ढककर रखना और मशीन से स्वैपिंग की सिफारिश की गई है। हालांकि, गाजियाबाद में नियमों का उल्लंघन देखने को मिल रहा है। प्रदूषण विभाग के अधिकारी ग्रेप की शर्तों को जमीनी स्तर पर लागू करने का आश्वासन दे रहे हैं.
अलीगढ़ में प्रदूषण
अलीगढ़ जिले में पॉल्यूशन का असर बढ़ता जा रहा है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 156 दर्ज किया गया है, जो खराब श्रेणी में आता है. दिवाली के नजदीक आते ही हवा की गुणवत्ता में गिरावट से स्थानीय लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने से यह स्थिति और गंभीर हो गई है. यदि ऐसा ही जारी रहा, तो दिवाली के दौरान अलीगढ़ की हवा और अधिक दूषित होने की आशंका है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं.
आगरा में प्रदूषण
आगरा की वायु गुणवत्ता अब चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है. ताजनगरी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 102 तक पहुंच गया है, जो सामान्य 70 से काफी अधिक है. सुबह के समय संजय प्लेस में AQI 113, शास्त्रीपुरम में 154 और शाहजहां गार्डन में 115 रिकॉर्ड किया गया. यह स्थिति शहरवासियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से अस्थमा, श्वसन संबंधी बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ गया है। इसलिए, लोगों को बाहर निकलते समय सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है.
बागपत में प्रदूषण
बागपत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. वर्तमान में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 के करीब पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. अगर स्थिति यथावत रही, तो आने वाले समय में सांस लेने में दिक्कत, एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में इजाफा होगा. इसके अलावा, यह बच्चों और वृद्धों के लिए खासतौर पर खतरनाक साबित हो सकता है. सरकार और नागरिकों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि बागपत की वायु गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके और लोगों का स्वास्थ्य सुरक्षित रह सके.
प्रदूषण का प्रकोप
यूपी में प्रदूषण ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और गोरखपुर एम्स ने एक संयुक्त अध्ययन में यह पाया गया है कि झांसी और बरेली की वायु गुणवत्ता अपेक्षाकृत अच्छी है, जबकि गोरखपुर में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक है, जो 200 से ऊपर पहुंच चुका है. इनमें नोएडा, गजरौला, खुर्जा, गाज़ियाबाद और मुरादाबाद जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं. शनिवार की सुबह ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 234 दर्ज किया गया.