ई-रिक्शा की बैटरी ने ले ली एक बच्चे की जान, जानें क्या है पूरा मामला
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ई-रिक्शा की बैटरी ने ले ली एक बच्चे की जान, जानें क्या है पूरा मामला

ग्रेटर नोएडा में बंद कमरे में ई-रिक्शा की बैटरी में चार्जिंग करते समय धमाका, कमरे की दीवार गिरी, एक बच्चे की मौत

सांकेतिक तस्वीर

ग्रेटर नोएडा: दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में बुधवार सुबह एक हादसा हो गया. ग्रेटर नोएडा के हल्द्वानी गांव में बंद कमरे में रखी ई-रिक्शा की बैटरी में जोरदार धमाका हो गया. ब्लास्ट का असर इतना तेज था कि कमरे की दीवार तक गिर गई. इस हादसे में एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि चार लोग घायल बताए जा रहे हैं. हादसे की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

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कैसे हुआ हादसा? 

ये घटना ग्रेटर नोएडा के इकोटेक-3 थाना इलाके की है. जानकारी के मुताबिक मुदस्सर प्रधान कॉलोनी के रहने वाले रिक्शा चालक ने बंद कमरे में ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज होने के लिए रखी थी. बैटरी चार्ज होते समय अचानक से एक धमाका हुआ. ये धमाका इतना तेज था कि दूर तक इसकी आवाज सुनाई दी. वहीं धमाके से कमरे की दीवार गिर गई. दीवार के नीचे दबकर एक बच्चे की मौत हो गई. इस हादसे में परिवार के चार लोग भी घायल हो गए. घायलों को पास के ही अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. 

घटिया बैटरी लगाने से होते हैं हादसे 

ई-रिक्शा को आमतौर पर पर्यावरण का ध्यान रखने वाला साधन माना जाता है. पेट्रोल-डीजल जैसा ईंधन इस्तेमाल नहीं होने से इसमें से धुआं भी नहीं निकलता है. ऐसे में ई-रिक्शा पर्यावरण के लिहाज से ज्यादा अच्छे साधन माने जाते हैं. लेकिन, ई-रिक्शा में घटिया किस्म की बैटरी का इस्तेमाल करने से इस तरह के हादसे होते हैं. 

लोकल बैटरी का होता है इस्तेमाल 

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ई रिक्शा की बैटरी छह से आठ महीने में खराब हो जाती है. इन रिक्शा में इस्तेमाल होने वाली लोकल बैटरी का सेट 30 हजार के आसपास आता है. जबकि, ब्रांडेड कंपनी की बैटरी पचास हजार के लगभग पड़ती है. कीमतों में इस अंतर के चलते बड़े पैमाने पर लोकल बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है और इस तरह के हादसे होते हैं.

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