अपर्णा कुमार एक आईपीएस ऑफिसर होने के साथ जानी-मानी पर्वतारोही भी हैं. वह सेवन समिट चैलेंज को पूरा करने वाली देश की पहली महिला IPS ऑफिसर हैं.
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नई दिल्ली: उत्तराखंड में चमोली आपदा ने बहुत तबाही मचाई. हर तरफ बस मलबा ही मलबा दिखाई दे रहा है. ना जाने कितने लोगों ने इस आपदा में अपनों को खो दिया और कितने लोग अभी भी अपनों की घर वापसी के लिए निगाहें दरवाजों की ओर टिकाए बैठे हैं. वहीं दूसरी तरफ अपने परिवार से दूर ITBP के जवान भी टीम के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं, जिसे लीड कर रही हैं IPS ऑफिसर अपर्णा कुमार.
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इस आपदा में सरकार ने उत्तराखंड में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान अपर्णा को सौंपी है. गौरतलब है कि अपर्णा कुमार भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की DIG हैं. अपर्णा कुमार 2002 बैच की उत्तर प्रदेश कैडर की आईपीएस अफसर हैं. वह मूलत: कर्नाटक के शिवमोगा की रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई कर्नाटक से पूरी की. इसके बाद इन्होंने लॉ में BALLB की डिग्री ली. आपको बता दें कि उनके पति संजय कुमार भी IAS अफसर हैं.
जानी-मानी पर्वतारोही हैं अपर्णा कुमार
आपको बता दें कि अपर्णा कुमार एक आईपीएस ऑफिसर होने के साथ जानी-मानी पर्वतारोही भी हैं. वह सेवन समिट चैलेंज को पूरा करने वाली देश की पहली महिला IPS ऑफिसर हैं. उन्होंने दुनिया की 7 सबसे ऊंची चोटियों को फतह कर वहां पर तिरंगा फहराया है. उन्होंने माउंट एवरेस्ट, माउंट किलिमंजारो, माउंट एल्ब्रुश, कार्सटेंस पिरामिड, विन्सन मैसिफ, माउंट एकांकागुआ और माउंट डेनाली पर फतह हासिल की है. ये सातों चोटियां अलग-अलग महाद्वीपों में हैं. इसके अलावा वह 2019 में कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद वह सफलतापूर्वक दक्षिणी ध्रुव पर भी पहुंची थी. इस दौरान उनके पास कई किलोग्राम के भारी उपकरण भी थे.
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2013 में लिया था पर्वतारोहण सेंटर में दाखिला
अपर्णा जब मुरादाबाद पीटीसी में तैनात थीं. तब अपने दफ्तर में पर्वतारोहण के तमाम औजारों को देखकर उन्हें लगा कि वो पर्वतों को फतह कर सकती हैं. उन्होंने अपनी यह इच्छा पति संजय कुमार से जाहिर की, जो उस वक्त मुरादाबाद में डीएम के पद पर तैनात थे. पति संजय ने उनके इसका समर्थन करते हुए कहा था कि अगर कदम बढ़ा दिया तो पीछे नहीं हटना है. बस फिर उन्होंने अपने पति की बात गांठ बांध ली और निकल पड़ीं अपने सपनों की उड़ान भरने. इसके बाद उन्होंने मनाली में पर्वतारोहण सेंटर में दाखिला लिया. तब उनकी उम्र 39 साल थी. माउंटेनियर कोर्स पूरा करने के बाद 2014 में पहली बार अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (19,340 फीट) पर चढ़ी थीं. उस समय उनकी बेटी छह वर्ष और बेटा मात्र तीन साल का था.
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2014 से शुरू की थी पर्वतों पर चढ़ाई
साल 2014 में ही ऑस्ट्रेलिया और ओशिनिया के सबसे ऊंचे पर्वत कार्स्टेंस पिरामिड (16,024 फीट) पर चढ़ाई कर फतह हासिल की. इसके बाद साल 2015 में अर्जेंटीना की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकांकागुआ (22,840 फीट) पर चढ़ाई की. इसके बाद रूस की कोकेशियान रेंज की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुश (18,510 फीट) पर भी फतह हासिल की. वहीं, साल 2016 में अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विन्सन मासिफ (16,050 फीट) पर चढ़ाई की. साल 2016 में ही दुनियाा की सबसे ऊंची चोटी नेपाल की माउंट एवरेस्ट पर 23 हजार फीट तक की ऊंचाई तक चढ़ाई करने में सफल रहीं.
राष्ट्रपति के हाथों मिला यह सम्मान
अपर्णा कुमार को एडवेंचर के क्षेत्र में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा देश के सर्वोच्च सम्मान तेनजिंग नोरगे नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड 2018 (Tenzing Norgay National Adventure Award 2018) से सम्मानित किया जा चुका है. ये पुरस्कार खेलकूद के क्षेत्र में दिए गए अर्जुन पुरस्कार के बराबर माना जाता है. इसके अलावा उन्हें दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकांकागुआ को फतह करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया था. उस समय अपर्णा उत्तर प्रदेश में आईपीएस अधिकारी के पद पर थीं.
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