जौनपुर: 17 साल की गाय 'लक्ष्मी' का विधि-विधान से हुआ अंतिम संस्कार, तेरहवीं के लिए बांटे गए हजारों कार्ड
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand982171

जौनपुर: 17 साल की गाय 'लक्ष्मी' का विधि-विधान से हुआ अंतिम संस्कार, तेरहवीं के लिए बांटे गए हजारों कार्ड

दिनेश जायसवाल के घर पर एक 17 वर्षीय गाय 'लक्ष्मी' थी, जिसका हाल ही में निधन हो गया. उन्होंने अपनी लक्ष्मी के तेरहवीं संस्कार के लिए कार्ड भी छपवाया है.

गौ माता की तेरहवीं का एक कार्ड चर्चा का विषय बना हुआ है.

अजीत सिंह/जौनपुर: यूपी के जौनपुर में तेरहवीं का एक कार्ड चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कार्ड को देखकर लोग तारीफ कर रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्या है इस कार्ड में जिसके बारे में इतनी चर्चा हो रही है. दरअसल, यह कार्ड किसी इंसान की तेरहवीं का नहीं है, बल्कि यह कार्ड है एक गाय की तेरहवीं का है. 

क्या है पूरा मामला?
मामला जौनपुर के तेजी बाजार का है. यहां रहने वाले दिनेश जायसवाल के घर पर एक 17 वर्षीय गाय 'लक्ष्मी' थी, जिसका हाल ही में निधन हो गया. उन्होंने अपनी लक्ष्मी के तेरहवीं संस्कार के लिए कार्ड भी छपवाया है. वहीं, उन्होंने जब तेरहवीं का कार्ड बांटा, तो यह कार्ड पूरे जौनपुर में चर्चा का विषय बन गया. इस कार्ड में उन्होंने लिखा है कि -उनकी पूजनीय गौमाता का निधन 29 अगस्त को हो गया है, जिसकी तेरहवीं 10 सितंबर को है.  

ये भी पढ़ें- हर की पौड़ी पर शराब पीकर जाना पड़ सकता है भारी, अब प्रवेश द्वार पर होगी एल्कोमीटर से जांच 

2004 में हुआ था लक्ष्मी का जन्म
दिनेश जयसवाल ने बताया कि 2004 में गौ माता लक्ष्मी का जन्म उनके यहां हुआ था. इसके बाद से वह उनके परिवार का अभिन्न अंग हो गई थी. लक्ष्मी के अलावा भी दो और गोवंश उनके पास थे. लेकिन परिवार का जुड़ाव लक्ष्मी से बहुत ज्यादा था. वह कहते हैं कि लक्ष्मी ने उनके परिवार की खूब सेवा की है. उनके लड़के लक्ष्मी का दूध पीकर बड़े हुए हैं. परिवार ने भी लक्ष्मी की खूब सेवा की है. परिवार का लक्ष्मी के साथ  बहुत ज्यादा जुड़ाव हो गया था. वह बिल्कुल परिवार के सदस्य की तरह रहती थी. लक्ष्मी के साथ 17 साल कब बीत गए उन्हें पता ही नहीं चला.

हिंदू रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार
दिनेश कहते हैं कि बीते 29 अगस्त को लक्ष्मी का निधन हो गया. लक्ष्मी के निधन के बाद से परिवार के लोग दुखी हैं. सालों से उनके परिवार का और लक्ष्मी का अटूट रिश्ता रहा है. लक्ष्मी के निधन के बाद से उन्होंने सभी हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उसकी अंतिम क्रिया को संपन्न कराया. घर के ही परिसर में गड्ढा खोदा गया. पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम क्रिया सम्पन्न हुई और पिंडी भी बांधी गई.

ये भी पढ़ें- UP Vidhansabha Chunav 2022: सपा के गढ़ संभल में 6 बार से है इस विधायक का कब्जा, ओवैसी बिगाड़ सकते हैं खेल 

तेरहवीं के लिए हजारों लोगों को बांटे कार्ड
दिनेश ने बताया कि उन्हें गायों के प्रति अटूट प्रेम है. वह गौहत्या जैसी खबरों को देखकर दुखी हो जाते थे. इसीलिए उन्होंने फैसला किया कि वह लक्ष्मी के निधन के बाद उसकी तेरहवीं भी करेंगे. इससे समाज में एक संदेश जाएगा. उन्होंने हजार से अधिक तेरहवीं के कार्ड क्षेत्र में बटवाएं हैं. उन्हें पूरी उम्मीद है कि लोग लक्ष्मी की तेरहवीं में जरूर आएंगे.

WATCH LIVE TV

 

Trending news