देवभूमि के इस गांव में मिला था स्वामी विवेकानंद को ज्ञान, जानिए कहां पर है ये जगह
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देवभूमि के इस गांव में मिला था स्वामी विवेकानंद को ज्ञान, जानिए कहां पर है ये जगह

उत्तराखंड का काकडी घाट गांव में स्वामी विवेकानंद को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. नैनीताल और अल्मोड़ा जिले के बीच बसा काकडी घाट गांव ज्ञान का केंद्र है. 

फाइल फोटो

देहरादून. कोरोना की वजह से आजकल लोगों की जिंदगी में निगेटिविटी आ गई है. भारत में ऐसी कई जगह हैं जहां पर जाने से ही पॉजटिव एनर्जी महसूस होती है. ऐसी ही एक जगह उत्तराखंड में है जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां पर स्वामी विवेकानंद को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.

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ज्ञान का केंद्र है काकडी घाट गांव

उत्तराखंड का काकडी घाट गांव नैनीताल और अल्मोड़ा जिले के बीच बसा काकडी घाट गांव ज्ञान का केंद्र है. इसी गांव के रहने वाले पंडित अखिलेश कांडपाल बताते हैं कि ये जगह ईश्वरीय शक्तियों का भंडार और सिद्ध स्थान है. बता दें कि इसी जगह पर नीम करौरी महाराज का आश्रम भी है. ऐसा कहा जाता है कि यहां पूज्य संत सोमवार गिरी महाराज ने वट वृक्ष के नीचे तपस्या की थी. ये वट वृक्ष आज भी मौजूद है. कर्कटेश्वर महादेव मंदिर में भगवान काल भैरव साक्षात विराजमान हैं, जिन्होंने स्वामी जी को साक्षात दर्शन दिए थे.

स्वामी विवेकानंद को यहां मिला था ज्ञान

कहा जाता है कि इसी जगह पर पूरी दुनिया को ज्ञान की राह दिखाने वाले स्वामी विवेकानंद को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. स्वामी विवेकानंद ने देश ही नही विदेशों में भी अपने ज्ञान की अविरल धारा बहाई थी. कहा जाता है कि काकडी घाट स्थित कर्कटेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में पीपल के पेड़ के नीचे उनको दिव्य ज्ञान मिला था. बताया जाता है कि सन 1890 में हिमालय भ्रमण के लिए निकले स्वामी विवेकानंद को कोसी और शिरोता (शिप्रा) नदियों की संगम स्थली भा गई. यहां पर वह ऐसे ध्यान में खोए कि आगे चलकर उन्होंने पूरी दुनिया को राह दिखाई. अपनी इस अनुभूति को स्वामी जी ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो में पूरी दुनिया के सामने रखकर भारत का गौरव बढ़ाया था. 

देश-विदेश से आते हैं लोग

स्वामी जी की तपोस्थली रही ये जगह आज भी लोगों को अपनी ओर खींच रहा है. हालांकि स्वामी विवेकानंद से जुड़े इस महत्वपूर्ण स्थल को विकसित करने के लिए आज तक प्रयास नहीं हो सके हैं. जिससे ये स्थल एक तरह से गुमनामी में रह गया है. देश विदेश से लोग यहां पर स्वामी विवेकानंद की ही तरह ज्ञान की अनुभूति को महसूस करने के लिए दूर-दूर से यहां पर आते हैं.  पीपल के जिस पेड़ के नीचे स्वामी जी को ज्ञान मिला था वो अब नहीं है उसकी जगह पर नया पीपल का पेड़ लगाया गया है. यहां पर आने वाले श्रद्धालु इस स्थान पर बहुत ही शांति और ऊर्जा महसूस करते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां पर कई महापुरुषों को ज्ञान की प्राप्ति हुई, आज के वक्त में जरूरत उन जगहों को सहेजने की है.

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