एमआई-26 हेलीपैड के विस्तारीकरण के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लोक निर्माण विभाग ने GMVN के तीन ब्लॉक में बने 45 कॉटेजों को ध्वस्त कर दिया है. मलवे को साफ कर हेलीपैड तक 50 मीटर चौड़ा और 100 मीटर लंबा मैदान तैयार किया जा रहा है.
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रूद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण के काम में तेजी लाने के लिए MI-26 हेलीपैड का विस्तार किया जा रहा है. इससे धाम में सेना के मालवाहक (Freight Carrier) चिनूक विमान की मदद से भारी मशीनों को पहुंचाया जाएगा. अगले दो-तीन दिन के अंदर काम पूरा होने की संभावना है. पहले वायुसेना की टीम केदारनाथ का निरीक्षण करेगी, जिसके बाद धाम में भारी मशीनें पहुंचाई जाएंगी.
केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत काम किए जा रहे हैं. धाम में पुनर्निर्माण का काम तीन चरणों में होना है. पहले चरण के कार्य लगभग पूरे होने वाले हैं. दूसरा चरण अक्टूबर से शुरू किया जाएगा. ऐसे में इन कार्यों में तेजी लाने के लिए भारी मशीनों को धाम में पहुंचाया जाना जरूरी है. सभी कार्य मास्टर प्लान के तहत किये जाने हैं और इनमें ज्यादातर भवनों का निर्माण शामिल है.
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ऐसे होगी चिनूक की लैंडिंग की तैयारी
एमआई-26 हेलीपैड के विस्तारीकरण के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लोक निर्माण विभाग ने GMVN के तीन ब्लॉक में बने 45 कॉटेजों को ध्वस्त कर दिया है. मलवे को साफ कर हेलीपैड तक 50 मीटर चौड़ा और 100 मीटर लंबा मैदान तैयार किया जा रहा है. यह काम 2-3 दिन में पूरा हो जाएगा. जिसके बाद एमआई 26 हेलीपैड पर चिनूक हेलीकॉप्टर की सफल लैंडिंग के लिए शासन स्तरीय टीम की ओर से रेकी की जाएगी. टीम की रिपोर्ट के बाद चिनूक की ट्रायल लैंडिंग होगी. इसके बाद गौचर में रखी निर्माण संबंधी भारी मशीनों को चिनूक से केदारनाथ पहुंचाया जाएगा.
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अक्टूबर से शुरू होगा कार्य का दूसरा चरण
जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में शामिल दूसरे चरण के काम अक्टूबर से शुरू होना है. ऐसे में धाम में भारी मशीनों को पहुंचाया जाना जरूरी है. लोनिवि गुप्तकाशी की ओर एमआई 26 हेलीपैड का विस्तारीकरण किया जा रहा है. वायु सेना की टीम ने केदारनाथ धाम का निरीक्षण किया था और उनकी ओर से सुझाव दिए गए थे कि चिनूक हेलीकॉप्टर को उतारने के लिए हेलीपैड का विस्तारीकण किया जाए. शासन से अनमुति प्राप्त होने के बाद कार्य शुरू किया गया. जल्द ही वायु सेना की टीम की ओर से निरीक्षण किया जाएगा. जिसके बाद भारी मशीनों को केदारनाथ पहुंचाया जाएगा.
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