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History Shri Panchayati Mahanirvani Akhara: यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी से लगने जा रहे महाकुंभ में साधु-संतों के 13 अखाड़े भी लाखों साधुओं के साथ शामिल होने जा रहे हैं. किसी भी महाकुंभ में अखाड़ों की अहम भागीदारी होती है. इन अखाड़ों में शैव और वैष्णव मत के मानने वाले दोनों हैं. इस महाकुंभ में श्रद्धालुओं के सबसे बड़े आकर्षण का केंद्र देश के 13 प्रमुख अखाड़े और उनके साधु संत रहेंगे. पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा (हरिद्वार) इन्हीं प्रमुख अखाड़ों में से एक है. अखाड़ों की सीरीज में आज हम आपको पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के बारे में. इस अखाड़े के इतिहास, प्रमुख संत और परंपराओं से भी आपको परिचित करवाएंगे.
कब हुई थी महानिर्वाणी अखाड़ा की स्थापना
पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ( प्रयागराज) की स्थापना विक्रम संवत् 805 में की गई थी. इस अखाड़े की स्थापना अटल अखाड़े से जुड़े 8 संतों ने मिलकर की थी. ऐसा कहा जाता है कि इस अखाड़े के इष्ट देव कपिल भगवान हैं.वहीं ये अखाड़ा गडकुंडा के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में गठित किया गया था. ये मंदिर बिहार के हजरीबाग जिले के गडकुंडा में स्थित है. प्रयागराज आने के बाद इसे श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा नाम दिया गया. जिसके बाद इसमें अटल अखाड़े के कई साधु-संत शामिल हो गए और फिर इस अखाड़े को शक्ति के रूप में दो भाले दिए गए.
कितना पुराना है इतिहास दो दिव्य भाले की होती है पूजा
इस अखाड़े का इतिहास 1200 साल पुराना बताया जाता है. इस अखाड़े को जो दो शक्ति स्वरूप भाले दिए गए, उन भालों का नाम सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश है. दोनों ही भाले अखाड़े में मंदिर के इष्टदेव के पास रखे जाते हैं. जब इष्टदेव को पूजा जाता है, तो इन दोनों भालों की भी पूजा की जाती है. जब इस अखाड़े के साधु संत महाकुंभ में शाही स्नान के लिए जाते हैं, तो सबसे आगे दो संत इन भालों को लेकर चलते हैं. यही नहीं इन दोनों भालों को स्नान कराने के बाद ही इस अखाड़े के साधु संत स्नान करते हैं.
कैसे बनते हैं पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के सदस्य?
इस अखाड़े में शामिल होने की एक जांच प्रक्रिया है. जब भी किसी को इस अखाड़े का सदस्य बनाया जाता है, तो उसे पहले जांच प्रक्रिया से गुजरा जाता है.पूरी तरह से जांच-पड़ताल के बाद ही किसी को इस अखाड़े का सदस्य बनाया जाता है.इसके अलावा इस अखाड़े में किसी कोई पद देने से पहले भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई जाती है.
भोजन पकाने की अनूठी परंपरा
श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के प्रमुख महंत यमुना पुरी हैं.इस अखाड़े में भोजन पकाने के लिए आज भी गाय के गोबर से बने कंडे और लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. इस अखाड़े में साधु-संतों की देखरेख में पूर्ण रूप से सात्विक भोजन पकाया जाता है. इस अखाड़े में एक गोशाला भी है. जहां साधु-संत समय-समय पर गोसेवा भी करते हैं.
क्यों होता है प्रयागराज में महाकुंभ
महाकुंभ प्रयागराज की धरती पर होने का क्या महत्व है? इस पर बात करते हुए मंहत दुर्गा दास ने कहा, "इसका बहुत महत्व है क्योंकि ब्रह्माजी ने यहां पर यज्ञ किया था. यह दशाश्वमेध यज्ञ त्रिवेणी की पुण्य स्थली पर किया गया था. इसके अलावा यहां मां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है. इसलिए यहां स्नान का महत्व है. इसके अलावा ज्ञान के रूप में अमृतज्ञान भी यहां निरंतर प्रवाहित रहता है. इस जगह पर अमृत की कुछ बूंदे गिरी थी, जिसका लाभ यहां प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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