Saharanpur Lok sabha Seat: सहारनपुर सीट के सियासी समीकरण बदल चुके हैं. बसपा ने न केवल सिटिंग सांसद का टिकट काटा है बल्कि अकेले चुनाव लड़ने की हुंकार भरी है. इंडिया गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में है जबकि बीजेपी ने पुराने चेहरे पर फिर दांव लगाया है.
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Saharanpur Lok sabha Seat: वेस्ट यूपी की जिन 8 सीटों पर पहले चरण में वोटिंग होनी है, उनमें सहारनपुर एक है. बीते लोकसभा चुनाव में यह सीट बसपा के खाते में गई थी. बीएसपी के टिकट पर फजलुर्हमान सांसद बने थे लेकिन इस बार सहारनपुर सीट के सियासी समीकरण बदल चुके हैं. बसपा ने न केवल सिटिंग सांसद का टिकट काटा है बल्कि अकेले चुनाव लड़ने की हुंकार भरी है. इंडिया गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में है जबकि बीजेपी ने पुराने चेहरे पर फिर दांव लगाया है.
सहारनपुर से कौन उम्मीदवार
2024 लोकसभा चुनाव के लिए सियासी दलों ने सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दी है. सहारनपुर सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है. बसपा ने यहां से फजलुर्हमान का टिकट काटकर माजिद अली को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं गठबंधन कोटे से कांग्रेस के कांग्रेस के खाते में आई इस सीट पर पार्टी ने इमरान मसूद को प्रत्याशी बनाया है. वहीं बीजेपी ने राघव लखनपाल पर फिर दांव लगाया है.
कौन हैं राघव लखनपाल?
सहारनपुर से बीजेपी प्रत्याशी राघव लखनपाल की गिनती पार्टी के पुराने नेताओं में होती है. 2014 में वह सहारनपुर लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने थे. तब उन्होंने इमरान मसूद को शिकस्त दी थी. लेकिन 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के चलते उनको करीब 22 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था.
कौन हैं इमरान मसूद?
सपा-कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे इमरान मसूद की गिनती वेस्ट यूपी के चर्चित मुस्लिम नेताओं में होती है. 2006 में वह सहारनपुर नगर परिषद के अध्यक्ष बने. सपा से टिकट न मिलने पर मसूद 2007 में मुजफ्फराबाद (अब बेहट सीट) से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते भी. 2012 के बाद वह कांग्रेस में शामिल हुए और नकुड़ से चुनाव लड़े लेकिन हार का सामना करना पड़ा. 2014 में वह सपा में आए और सहारनपुर से चुनाव लड़ा लेकिन कामयाबी नहीं मिली. वह अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं.
कौन हैं माजिद अली?
सहारनपुर से बसपा प्रत्याशी माजिद अली की भले बीजेपी और सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी जितना चर्चा में भले न हों लेकिन राजनीति के वह भी मंझे खिलाड़ी हैं. 2009 में माजिद अली हाथी पर सवार हुए थे. 2017 में वह देवबंद सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं. वह अभी जिला पंचायत सदस्य हैं. कुछ समय पहले उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी लेकिन दोबारा बसपा में शामिल हो चुके हैं. पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए सिटिंग सांसद का पत्ता साफ कर प्रत्याशी बनाया है.
क्या बीजेपी को होगा फायदा
सहारनपुर में सपा-कांग्रेस से इमरान मसूद चुनाव लड़ रहे हैं. बसपा के मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाने का फायदा बीजेपी को मिल सकता है. कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद ध्रुवीकरण की हवा रोकने के लिए हिंदू मतदाताओं के साथ रिश्ते प्रगाढ़ कर रहे हैं. वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने सहारनपुर में रैली कर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाया था.
सहारनपुर में 19 अप्रैल को पहले चरण में वोट डाले जाएंगे जबकि नतीजों की घोषणा 4 जून को एकसाथ की जाएगी.
क्या है सीट का इतिहास?
सहारनपुर सीट आजादी के बाद 1977 तक काग्रेस का गढ़ रही. इसके बाद 1996 तक यहां से जनता दल या जनता पार्टी का प्रत्याशी जीतता रहा. बीते चार चुनाव के आंकड़े को देखें तो 2004 में यहां से समाजवादी पार्टी के रशीद मसूद चुनाव जीते थे. 2009 में जनता ने बसपा के जगदीश राणा को जिताया. 2014 में यहां राघव लखनपाल ने कमल खिलाया था. जबकि 2019 में यह सीट बसपा के खाते में गई थी.
सहारनपुर लोकसभा सीट में कुल 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें तीन पर बीजेपी का कब्जा है जबकि दो सपा के पास हैं. सहारनपुर नगर से राजीव गुंबर, देवबंद से ब्रिजेश सिंह, रामपुर मनिहारन से देवेंद्र कुमार बीजेपी से विधायक हैं. वहीं बीहट से सपा के उमर अली खान और सहारनपुर से आशु मलिक सपा विधायक हैं.
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