बाहुबलियों का गढ़ रहा है नौतनवा, अमरमणि त्रिपाठी ही नहीं वीरेंद्र प्रताप शाही जैसे कई दबंग पूर्वांचल की इस मिट्टी में पनपे
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बाहुबलियों का गढ़ रहा है नौतनवा, अमरमणि त्रिपाठी ही नहीं वीरेंद्र प्रताप शाही जैसे कई दबंग पूर्वांचल की इस मिट्टी में पनपे

Amarmani Tripathi : अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्‍नी मधुमणि त्रिपाठी रिहा हो गए हैं. जेल में अच्‍छे व्‍यवहार के चलते समय से पहले रिहा कर दिया गया. एक समय था जब पूर्वांचल में अमरमणि त्रिपाठी की तूती बोलती थी. अमरमणि त्रिपाठी की गिनती उन नेताओं में होती है, जो हर बदलती सरकार में खास बन जाते थे.

Amarmani Tripathi

Amarmani Tripathi : कवियत्री मुधमिता शुक्‍ला मर्डर केस में दोषी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी  (Amar mani Tripathi) और उनकी पत्‍नी मधुमणि त्रिपाठी  (Madhu mani Tripathi) रिहा हो गए हैं. जेल में अच्‍छे व्‍यवहार के चलते समय से पहले उन्‍हें रिहा कर दिया गया. एक समय था जब पूर्वांचल में अमरमणि त्रिपाठी की तूती बोलती थी. अमरमणि त्रिपाठी की गिनती उन नेताओं में होती है, जो हर बदलती सरकार में खास बन जाते थे. यही वजह रही कि मणि परिवार का महाराजगंज के नौतनवा विधानसभा में दबदबा कायम रहा. नौतनवा में ना केवल अमरमणि त्रिपाठी बल्कि पूर्वांचल के कई और बाहुबली पनपे हैं. 

कैसे लक्ष्‍मीपुर से नौतनवा हो गई विधानसभा सीट 
दरअसल, अस्‍सी के दशक में नौतनवा की पहचान लक्ष्‍मीपुर विधानसभा के रूप में होती थी. पहली बार छात्र राजनीति से उभरे बाहुबली नेता वीरेंद्र प्रताप शाही ने लक्ष्‍मीपुर से विधानसभा की स‍ियासत में कदम रखा. इस विधानसभा चुनाव में वीरेंद्र प्रताप शाही को अखिलेश सिंह का समर्थन मिला. निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में वीरेंद्र प्रताप शाही ने अमरमणि को हराकर यहां से विधायक बने. 

वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्‍या कर दी गई 
इसके बाद पांच साल बाद 1985 में चुनाव हुआ. एक बार फ‍िर वीरेंद्र प्रताप शाही निर्दलीय विधायक चुने गए. बताया जाता है कि रेलवे के ठेके को लेकर पूर्वांचल के बाहुबली शिव प्रकाश शुक्‍ला ने वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्‍या करवा दी. उसके बाद से यह विधानसभा सीट अमरमणि के खाते में चली गई. अगला चुनाव 1989 में हुआ और अमरमणि ने लक्ष्‍मीपुर से शानदार जीत दर्ज की. 

तीन बार लगातार विधायक बने 
1989 में विधायक बनने के बाद अगले चुनाव में कुंवर कौशल सिंह ने अमरमणि को शिकस्‍त दे दी. 1993 में कुंवर कौशल सिंह समाजवादी पार्टी से दोबारा विधायक बने. उसके बाद तीन बार (1996, 2002 व 2007) लगातार अमरमणि ने जीत दर्ज की. परिसीमन के बाद 16वीं विधानसभा में लक्ष्‍मीपुर विधानसभा का नाम बदलकर नौतनवा कर दिया गया. 

बेटे अमनमणि की ऐसे हुई सियासत में एंट्री 
इसी बीच अमरमणि मधुमिता हत्‍याकांड में जेल में बंद कर दिए गए. इसके बाद मणि परिवार से अमनमणि की सियासत में एंट्री हुई. 2012 के चुनाव में अमनमणि को सपा ने प्रत्‍याशी बनाया था. हालांकि, कुंवर अखिलेश सिंह के छोटे भाई ने उन्‍हें हरा दिया. इसके बाद अखिलेश सिंह ने सपा का दामन थाम लिया. अगले चुनाव में कुंवर अखिलेश सिंह ने सपा से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में जेल में बंद रहते हुए अमनमणि ने ताल ठोंक दिया. इस चुनाव में उन्‍हें जीत दर्ज की.       

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