उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद हेतु प्रभात कुमार के नाम को अनुमोदन प्रदान कर दिया है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद हेतु प्रभात कुमार के नाम को अनुमोदन प्रदान कर दिया है. राजभवन द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक इसके साथ ही राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में सदस्य (शासकीय सेवा) हेतु प्रेम कुमार सिंह का नाम अनुमोदित किया है. प्रभात कुमार की नियुक्ति यूपीपीएससी की एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी पर परीक्षा नियंत्रक अंजूलता कटियार की गिरफ्तारी के बाद हुई है .
मालूम हो कि यूपीपीएससी की एलटी ग्रेड शिक्षकों के 10,768 पदों के लिये पिछले साल 29 जुलाई को हुई परीक्षा का पर्चा एक दिन पहले ही लीक होने के मामले में प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजूलता कटियार को गिरफ्तार किया गया था.
एसटीएफ की जांच में अंजूलता की नकल माफिया के साथ साठगांठ का खुलासा हुआ है. इस परीक्षा का प्रश्नपत्र कोलकाता के प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक कुमारकर के प्रेस में होनी थी, जिसे पर्चा लीक करने के आरोप में पहले ही डिफॉल्टर घोषित किया जा चुका था. कौशिक के यहां से यूपीपीएससी की होने वाली मुख्य परीक्षा का प्रश्नपत्र भी बरामद हुआ था.
इस खुलासे के बाद आयोग ने पीसीएस, एसीएफ और आरएफओ मुख्य परीक्षाओं समेत कुल 10 परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है. इस घटना के बाद दो जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि युवाओं के भविष्य से खेलने वालों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.
योगी ने कहा था कि आयोग की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत पर सरकार ने कार्रवाई की है. लोक सेवा आयोग एक स्वायत्त संस्था है और राज्य सरकार उसके कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करती लेकिन परीक्षाओं में किसी भी तरह की गड़बड़ी ना हो, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. उन्होंने कहा कि जो लोग युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगे उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मामले में राज्य सरकार को निशाना बनाते हुए कहा था, 'यूपीपीएससी का पेपर छापने का ठेका एक डिफॉल्टर को दिया गया. आयोग के कुछ अधिकारियों ने डिफॉल्टर के साथ साठगांठ करके पूरी परीक्षा को कमीशन—घूसखोरी की भेंट चढ़ा दिया. सरकार की नाक के नीचे युवाओं को ठगा जा रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार डिफॉल्टरों और कमीशनखोरी का हित देखने में मस्त है.'