Shukrawar Upay: शुक्रवार को धनतेरस से मिलेगा दोगुना लाभ, बस इस समय कर लें अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ
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Shukrawar Upay: शुक्रवार को धनतेरस से मिलेगा दोगुना लाभ, बस इस समय कर लें अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ

Dhanteras and Shukrawar Upay: आज दिन शुक्रवार है और आज धनतेरस का त्योहार भी है. शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है. वहीं धनतेरस पर देवी मां की पूजा होती है. ऐसे में आज का दिन बेहद खास है इसलिए आज धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए यह एक काम करें. 

Dhanteras 2023, Ashtalakshmi Stothram

Dhanteras 2023, Ashtalakshmi Stothram: आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है. आज दिन शुक्रवार है. हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. मान्यता है कि शुक्रवार को मां लक्ष्मी की उपासना करने से जीवन के सारे आर्थिक कष्ट दूर हो जाते हैं. उनकी कृपा से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती. हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है. आज धनतेरस भी है. ऐसे में शुक्रवार का महत्व और बढ़ जाता है. 

दरअसल, त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर यानी आज दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 11 नवंबर यानी कल दोपहर 1 बजकर 57 मिनट पर होगा. ऐसे में धनतेरस कल और आज दोनों दिन मनाया जाएगा. ऐसे में मां लक्ष्मी की पूजा अधिक जरूरी हो जाती है. आज धनतेरस पर मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें. श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र में देवी महालक्ष्मी को आठ रूपों में पूजा जाता है. देवी महालक्ष्मी के इन रूपों को हम अष्टलक्ष्मी भी कहते हैं. इस स्तोत्र के पाठ से कभी धन-दौलत की कमी नहीं होती. देवी मां भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है. 

॥ अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् ॥
॥ आदिलक्ष्मी ॥

सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये

मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।

पङ्कजवासिनि देवसुपूजित,सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि,आदिलक्ष्मि सदा पालय माम्॥1॥

॥ धान्यलक्ष्मी ॥
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि,वैदिकरूपिणि वेदमये

क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि,मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।

मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि,देवगणाश्रित पादयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम्॥2॥

॥ धैर्यलक्ष्मी ॥
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि,मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये

सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद,ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते।

भवभयहारिणि पापविमोचनि,साधुजनाश्रित पादयुते

जय जय हे मधुसूधन कामिनि,धैर्यलक्ष्मी सदा पालय माम्॥3॥

॥ गजलक्ष्मी ॥
जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि,सर्वफलप्रद शास्त्रमये

रधगज तुरगपदाति समावृत,परिजनमण्डित लोकनुते।

हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,तापनिवारिणि पादयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि,गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम्॥4॥

॥ सन्तानलक्ष्मी ॥
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि,रागविवर्धिनि ज्ञानमये

गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,स्वरसप्त भूषित गाननुते।

सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,मानववन्दित पादयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि,सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम्॥5॥

॥ विजयलक्ष्मी ॥
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि,ज्ञानविकासिनि गानमये

अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर,भूषित वासित वाद्यनुते।

कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,शङ्कर देशिक मान्य पदे

जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विजयलक्ष्मी सदा पालय माम्॥6॥

॥ विद्यालक्ष्मी॥
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि,शोकविनाशिनि रत्नमये

मणिमयभूषित कर्णविभूषण,शान्तिसमावृत हास्यमुखे।

नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि,कामित फलप्रद हस्तयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्॥7॥

॥ धनलक्ष्मी ॥
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि-धिंधिमि,दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये

घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम,शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते।

वेदपूराणेतिहास सुपूजित,वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते

जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम्॥8॥

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