धर्म संसद में प्रस्ताव पारित, मंदिर बनने तक हिंदू न चैन से बैठेगा, न किसी को बैठने देगा
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand495030

धर्म संसद में प्रस्ताव पारित, मंदिर बनने तक हिंदू न चैन से बैठेगा, न किसी को बैठने देगा

संत बोले, 'जैसे कभी बाबर ने मंदिर तोड़ने के लिए अपने सेनापति सिपाही को भेजा था, वैसे ही मंदिर निर्माण के लिए केंद्र में बैठे मोदी ने अपने ‘सेनापति’ योगी आदित्यनाथ को अयोध्या भेजा है.'

विहिप की 31 जनवरी से शुरू हुई दो दिवसीय धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी पहुंचे.

प्रयागराज: विहिप की धर्म संसद के आखिरी दिन शुक्रवार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया है कि श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण होने तक राम भक्त हिंदू न चैन से बैठेगा और न ही किसी को चैन से बैठने देगा. प्रस्ताव में कहा गया है कि श्री राम जन्मभूमि न्यास की अधिगृहीत भूमि उसे वापस करने की अनुमति देने के लिए केंद्र द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के कदम का यह धर्म संसद स्वागत करती है.

प्रस्ताव के मुताबिक, ‘‘वर्तमान केंद्र सरकार से संत समाज की अपेक्षाएं हैं और भूमि वापसी की हमारी प्रार्थना पर तुरंत कार्रवाई करके इन्होंने अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट कर दी है. राम मंदिर के निर्माण में विलंब अवश्य हुआ है लेकिन हमें विश्वास है कि वे राम मंदिर सहित हिंदू गौरव से जुड़े़ अन्य मुद्दों के समाधान की दिशा में सार्थक कदम उठाएंगे.’’

मोहन भागवत भी पहुंचे
विहिप की 31 जनवरी से शुरू हुई दो दिवसीय धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी पहुंचे. अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण के मुद्दे पर भागवत ने शुक्रवार को कहा कि यह मामला ‘‘निर्णायक दौर’’ में है, मन्दिर बनने के किनारे पर है इसलिए हमें सोच समझकर कदम उठाना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि जनता में प्रार्थना, आवेश और जरूरत पड़ी तो ‘‘आक्रोश’’ भी जगाया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट की आलोचना
धर्म संसद में अंतरिम बजट में गोसेवा आयोग बनाने की केंद्र की घोषणा का साधु संतों ने स्वागत किया और इसके लिए मोदी सरकार का आभार प्रकट किया. इस धर्म संसद में राम मंदिर मामले की सुनवाई टालने पर साधु संतों ने सुप्रीम कोर्ट की जमकर आलोचना की.

यही सरकार मंदिर बनाएगी
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती बोले, ''आप किससे मंदिर का निर्माण का आशा रखते हैं, उससे जो ईसाइयत की बात करते हैं. मैं तो कहता हूं कि यही सरकार मंदिर बनाएगी. हमें फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए, जब हम 70 साल इंतज़ार कर चुके तो 6 महीने और रुकने में क्या दिक्कत है.

दोनों सरकारों से आग्रह
महंत नृत्यगोपाल दास ने अपने भाषण में कहा, ''आज समय की मांग है, जनता का आग्रह है, जहां रामलला विराजमान हैं वहां मंदिर का निर्माण हो, रामभक्तों की लाई हुई शिलाएं इंतज़ार कर रही हैं. कब हमारा सदुपयोग होगा, केंद्र की सरकार हमारी है, इन दोनों सरकारों को चाहिए कि जनता की मांग को शीघ्र पूर्ण करें.''

न्याय पर भरोसा नहीं
वेदांती महाराज ने कहा, ''देश की जनता को न्याय पर भरोसा नहीं है. नरेंद्र मोदी मंदिर बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोर्ट के निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन मोदी जी कानून बना करके मंदिर निर्माण का कार्य करें, इसके लिए उन्हें 2019 में एक बार फिर चुन कर लाया जाए.''

आस्था का विषय
लोकेश कुमार महाराज ने कहा, ''मंदिर केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं समूचे देशवासियों के लिए आस्था का विषय है. जब आतंकवादियों के लिए कोर्ट रात में खुल सकता है, जब समलैंगिकों के लिए कानून लाया जा सकता है तो कोर्ट मंदिर मामले में फैसला क्यों नहीं सुना रहा है.''

राम जन्मभूमि का मामला
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा, ‘‘सबरीमला की व्यवस्था को बदलने के लिए बड़ी उदारता पूर्वक आप कलम चलाते हैं. वहीं, राम जन्मभूमि का मामला जब आता है तो कहते हैं कि हमारी प्राथमिकता में नहीं है.’’

आस्था हिल गई
निर्मोही अनी अखाड़े के महंत रामजी दास ने कहा, ‘‘हर बार केवल तारीख ही मिली है और जब प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह मामला हमारी प्राथमिकता में नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट के प्रति हिंदू समाज की आस्था हिल गई.’’ उन्होंने कहा कि जो सर्वोच्च न्यायालय आतंकियों के मामले पर सुनवाई के लिए रातभर जागता है, वह करोड़ों रामभक्तों से जुड़़े मामले पर सुनवाई के लिए केवल तीन मिनट का समय देता है. उन्होंने कहा कि धर्म संसद का यह अधिवेशन स्पष्ट शब्दों में यह चेतावनी देता है हम मंदिर निर्माण में आ रही बाधाओं से निपटने के किसी भी हद तक जाने और कष्ट सहने के लिए तैयार हैं.

सरकारें बलिदान हो चुकीं
धर्म संसद में श्याम देवाचार्य जी महाराज ने केंद्र की मोदी सरकार को चेताते हुए कहा, ‘‘यदि वह विकास के नाम पर ही जीतना चाहते हैं तो नामुमकिन है... विकास के नाम पर ही तीन-तीन सरकारें बलिदान हो चुकी हैं.‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘रामभक्त जब अपना जीवन बलिदान कर सकते हैं तो क्या ये सत्ताधारी क्या अपनी कुर्सी का बलिदान नहीं कर सकती.’’

धैर्य का परिचय देने की जरूरत
जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि चूंकि यह मामला अब निर्णायक अवस्था में है, हमें धैर्य का परिचय देने की आवश्यकता है. सरकार राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे और यह धर्म संसद यहां से आदेश दे कि बहुत शीघ्र ही निर्वाचित होकर सरकार आए और राम मंदिर का निर्माण करे.

स्वामी चिन्मयानंद ने कहा
वहीं, मंदिर निर्माण में हो रही देरी को लेकर साधु-संतों का आक्रोश शांत करने का प्रयास करते हुए स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि जैसे कभी बाबर ने मंदिर तोड़ने के लिए अपने सेनापति सिपाही को भेजा था, वैसे ही मंदिर निर्माण के लिए केंद्र में बैठे मोदी ने अपने ‘सेनापति’ योगी आदित्यनाथ को अयोध्या भेजा है.

Trending news