तंदूर से लेकर दाह संस्कार तक काम में आएगी गोबर की लकड़ी, पर्यावरण भी बचाएगी
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तंदूर से लेकर दाह संस्कार तक काम में आएगी गोबर की लकड़ी, पर्यावरण भी बचाएगी

जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर हलियापुर में बने गौशाला में गोबर, घास और भूसे को मिलाकर मशीन के द्वारा लठ तैयार किया जा रहा है. 

गोबर से बने लठ.

सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी गौशाला निर्माण योजना लोगों को रोजगार दे रही है. सुल्तानपुर जिले में एक नई पहल करते हुए गौशालाओं में इकट्ठा हुए गोबर से अब लठ(लकड़ी) बनाने का काम शुरू किया जा रहा है. जिसको बनाने के लिए मशीन लगाई गई है.

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स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इसे बनाकर स्वरोजगार से जुड़ रही है. जिले के मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि गोबर से निर्मित यह लठ जहां अलाव जलाने के काम आएगा वहीं, अन्य स्थानों पर भी इसका प्रयोग किया जा सकेगा. इससे लोगों की आमदनी भी होगी. 

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इन चीजों से बनती है यह लठ
जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर हलियापुर में बने गौशाला में गोबर, घास और भूसे को मिलाकर मशीन के द्वारा लठ तैयार किया जा रहा है. यह लठ ना सिर्फ लोगों को सर्दी से बचाएगा बल्कि शादी ब्याह में तंदूर बनाने के उपयोग में भी आएगा. इसके साथ ही अंतिम संस्कार में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है. हिंदू धर्म में गोबर को काफी पवित्र माना जाता है. इस वजह से लोग दाह संस्कार के समय भी इसका उपयोग करते हैं.

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रोजगार का मिला अवसर
गोबर से बने इस खास प्रकार के लठ को बनाने का काम स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रहीं हैं. जिसे बेचकर उन्हें उनका मेहनताना भी मिल जाता है. वहीं गौशाला को संभालने वाले लगभग एक दर्जन कर्मचारी भी इसी रोजगार के कारण अपना जीवन-यापन कर रहे हैं. पशुओं के खान-पान के साथ ही अगर पशु बीमार हो जाते हैं तो उनके इलाज के लिए डॉक्टर की भी नियुक्त की गई है. कहा जाए तो इस गौशाला से कई लोगों को रोजगार मिला है. 

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प्रदूषण में आएगी कमी
जिले के मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स की पहल पर शुरू की गई यह योजना अब लोगों को रोजगार से भी जोड़ रही है. इस लठ को सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलाने के लिए संबंधित विभाग को कहा गया है. साथ ही शादी ब्याह में भी लोग तंदूर बनाने के लिए इसका उपयोग कर सकेंगे. इतना ही नहीं कोशिश होगी कि बाजार से कम रेट पर श्मशान घाट में भी इस लठ का उपयोग हो. इस पहल से ना सिर्फ दाह संस्कार के समय प्रदूषण कम होगा बल्कि पेड़ो की कटाई पर भी असर पड़ेगा. इसको बनाने के लिए एक मशीन भी लगाई गई है. 

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