सहायक अध्यापक भर्ती Answer Key के विरोध में सैकड़ों याचिकाएं खारिज, कोर्ट ने लगाई फटकार
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सहायक अध्यापक भर्ती Answer Key के विरोध में सैकड़ों याचिकाएं खारिज, कोर्ट ने लगाई फटकार

8 मई 2020 को आंसर-की अपलोड की गई थी. इसके बाद, उसपर हजारों आपत्तियां आ गईं. 150 सवालों में से 142 सवालों को कम से कम 20 हजार लोगों ने चुनौती दी. 

सहायक अध्यापक भर्ती Answer Key के विरोध में सैकड़ों याचिकाएं खारिज, कोर्ट ने लगाई फटकार

प्रयागराज: 2018 की सहायक अध्यापक भर्ती (Assistant Teacher Recruitment) की Answer Key पर कई आपत्तियां दर्ज करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में सैकड़ों याचिकाएं दायर की गई थीं. लेकिन कोर्ट ने आंसर-की को सही बताते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट का कहना है कि अवधारणा यह है कि उत्तरकुंजी यानी Answer Key में कोई गलती नहीं है. लेकिन अगर कोई इसे गलत साबित कर सकता है तो ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स और प्रूफ के साथ करना होगा.  

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कोर्ट ने लगाई फटकार- फैशन हो गया है आपत्ती दर्ज करना
कोर्ट ने याचिकाओं की संख्या को देखते हुए कहा है कि किसी भी कंपटीटिव एग्जाम में जब भी आंसर-की जारी की जाती है, तो तुरंत ही उसपर आपत्तियां दर्ज होनी शुरू हो जाती हैं. मानों उत्तरकुंजी को चुनौती देना फैशन हो गया है. किसी के पास कोई ठोस सबूत नहीं होता, लेकिन मनगढ़ंत आरोप लगाकर लगातार याचिकाएं दायर कर दी जाती हैं. इससे रिक्रूटमेंट प्रोसेस में देरी होती है.

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अक्टूबर 2020 में पूरा हो जाना चाहिए था सेलेक्शन प्रोसेस
गौरतलब है कि जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने रोहित शुक्ल के साथ और भी 110 याचिकाओं को खारिज करते हुए बताया कि 8 मई 2020 को आंसर-की अपलोड की गई थी. इसके बाद, उसपर हजारों आपत्तियां आ गईं. 150 सवालों में से 142 सवालों को कम से कम 20 हजार लोगों ने चुनौती दी. इस हिसाब से अक्टूबर 2020 में पूरा होने वाला रिक्रूटमेंट प्रोसेस अभी तक लंबित है. आपत्तियां तय करने में एक साल का विलंब हो गया. 

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कोर्ट को नहीं उत्तर की सत्यता की जांच करने का प्राधिकार
हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि कोर्ट किसी भी विषय में एक्सपर्ट नहीं हो सकती. और न ही कोर्ट के पास यह अथॉरिटी है कि उत्तरों की जांच कर सके. ऐसे में एक्सपर्ट्स की राय ही अंतिम मानी जाती है. अब यह तय करना कोर्ट के हाथ में नहीं है कि एक्सपर्ट की राय गलत है या सही. यह याचिका दायर करने वालों की ड्यूटी है कि अगर उन्हें कोई जवाब गलत लगता है तो उसे साबित करें. लेकिन कोर्ट का कहना है कि एक भी याची ने ऐसा नहीं किया. 

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