Army Dogs Recruitment : आप भी करना चाहते हैं अपने डॉग को आर्मी में भर्ती, जान लीजिए पूरा प्रॉसेस
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Army Dogs Recruitment : आप भी करना चाहते हैं अपने डॉग को आर्मी में भर्ती, जान लीजिए पूरा प्रॉसेस

Army Dogs Recruitment and Training: सेना में भर्ती कुत्तों से कई तरह के काम कराए जाते हैं और उन्हें भी की ड्यूटी पर तैनात किया जाता है. सेना के पास मौजूदा समय में 25 फुल डॉग यूनिट तो वहीं दो हाफ यूनिट हैं. एक फुल डॉग यूनिट यानी 24 कुत्ते और हॉफ यूनिट माने 12 कुत्ते.

army dog (फाइल फोटो)

Army Dogs Salary, Recruitment and Training: जब भी हम किसी आर्मी के डॉग की बहादुरी के बारे में सुनते हैं या फिर इस बारे में कोई खबर पढ़ते या देखते हैं तो हमारे दिमाग में एक सवाल तो जरूर आता है कि आखिर इन कुत्तों की भर्ती सेना में कैसे होती है और कुत्तों की ट्रेनिंग को लेकर क्या क्या नियम हैं, डॉग्‍स ऑफिसर की सैलरी कितनी निर्धारित की गई है, आइए इस बारे में आज हम विस्तार से सबकुछ जानते हैं. 

यूनिट और कुत्तों की संख्या
मौजूदा समय की बात करें तो 25 फुल डॉग यूनिट के साथ ही दो हाफ यूनिट  सेना के पास हैं. अगर बात करें एक फुल डॉग यूनिट की तो इसमें 24 कुत्ते रखे जाते हैं और हाफ यूनिट में कुत्तों की संख्या 12 होती है. कुछ इस तरह से यूनिट में कुत्तों की संख्या तय की जाती है.

ब्रीड के बारे में जानकारी 
भारतीय सेना में कुत्तों के कई नस्ल शामिल किए गए हैं जिनमें लैब्राडोर से लेकर जर्मन शेफर्ड, बेल्जियम मालिंस शामिल हैं. सेना में कुत्तों के कई और नस्लें रखी गई हैं, जैसे कि ग्रेट माउंटेन स्विस डॉग. 

कुत्तों की ड्यूटी
सेना के कुत्तों को कई कई तरह की ड्यूटी पर लगाई जाती है. उन्हें गार्ड ड्यूटी से लेकर पेट्रोलिंग के काम में लगाया जा सकता है. इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस यानी IED हो या फिर किसी घातक विस्फोटकों को सूंघने का काम करना हो कुत्तों को अलग अलग तरह की ड्यूटी पर तैनात किए जाने का नियम हैं. ये ट्रेंड कुत्ते खाने का पता लगाने में , ड्रग्स को पहचानने और बैन की गई किसी वस्तु को सूंघ पाने में माहिर होते हैं. ये कुत्ते अपने टार्गेट पर हमला करने में भी माहिर होते हैं. हिमस्खलन के मलबे के बारे में खोजबिन करना हो या फिर भगोड़ों व आतंकियों को तलाशना हो, इन कुत्तों के अभियान में ये सबकुछ शामिल होता है. 

डॉग हैंडलर के बारे में
सेना में भर्ती कुत्ते की देखरेख उसके लिए तैनात किए गए डॉग हैंडलर के जिम्मे होता है. कुत्‍ते का फूड हो या साफ-सफाई इन बातों का उसका हैंडलर ध्यान रखता है. ड्यूटी के समय उससे काम करवाने की जिम्मेदारी भी उसके हैंडलर की होती है. 

ट्रेनिंग के बारे में 
मेरठ के रिमाउंट एंड वेटरनरी कोर सेंटर व स्कूल में सेना के कुत्तों को ट्रेनिंग दी जाती है. 1960 में यहीं पर एक डॉग ट्रेनिंग स्कूल ओपन किया गया था. कुत्तों की नस्ल और उनके टैलेंट के बस ही उनकों सेना में जोड़ने से पहले कई तरह की स्किल की कुत्तों को ट्रेनिंग दी जाती है. ये कुत्ते अपनी सेवा देकर जॉइनिंग के करीब करीब आठ साल बाद रिटायर हो जाते हैं. आर्मी डॉग्‍स को अलग अलग क्षेत्र में सम्मानित करने का भी नियम है.

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