प्रद्मश्री से नवाजे जा चुके प्रो. माणिंद्र अग्रवाल लगातार कोरोना संक्रमण के आंकड़ों का एनालिसिस कर रहे हैं. उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर के खत्म होने और तीसरी लहर के आने का समय बताया है.
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कानपुर: कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में तबाही मचाई हुई है. इससे निजात पाने की कोशिशों के बीच थर्ड कोविड वेव के आने की भविष्यवाणी भी हो चुकी है. यह बात कोई और नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन ने कही है. साइंटिफिक एडवाइजर की इस आशंका पर IIT कानपुर के प्रोफेसर माणिंद्र अग्रवाल ने भी अपनी मुहर लगा दी है.
जुलाई में खत्म होगी दूसरी लहर, अक्टूबर में थर्ड वेव
प्रद्मश्री से नवाजे जा चुके प्रो. माणिंद्र अग्रवाल लगातार कोरोना संक्रमण के आंकड़ों का एनालिसिस कर रहे हैं. दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक IIT कानपुर के इस प्रोफेसर का दावा है कि जुलाई तक कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप काफी कम हो जाएगा. लेकिन उनका दूसरा दावा भारत के लिए चिंताजनक है. उन्होंने डेटा एनालिसिस करके बताया है कि अक्टूबर में कोरोना की तीसरी लहर देश में शुरू हो जाएगी.
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हालांकि, प्रोफेसर ने अपनी इस स्टडी में यह नहीं बताया है कि थर्ड कोविड वेव का असर कितना व्यापक होगा. प्रोफेसर माणिंद्र अग्रवाल का कहना है कि हो सकता है कोरोना की तीसरी लहर सामान्य हो, लेकिन यह कई चीजों पर निर्भर करता है. इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को अपनी तैयारियां पुख्ता रखनी चाहिए. देश को अपनी ओर से हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.
दूसरी लहर के पीक का समय 10-15 मई से आगे बढ़ा
अपनी नई स्टडी में प्रोफेसर अग्रवाल ने कोरोना की दूसरी लहर के पीक का समय भी आगे बढ़ाया है. उनके मुताबिक सेकेंड कोरोना वेव का पीक 10-15 मई के बजाय अब एक से दो हफ्ते आगे शिफ्ट होता दिख रहा है. हालांकि, अभी इस पर नजर रखी जा रही है. अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा कि कोविड सेकेंड वेव का पीक कब आएगा. अपने पीक पर पहुंचने के बाद कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेजी से घटने लगेगी.
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प्रो. ने संभावित तीसरी लहर रोकने के लिए दिए 3 सुझाव
IIT कानपुर के प्रोफेसर माणिंद्र अग्रवाल ने संभावित थर्ड कोविड वेव का असर कम करने के लिए तीन सुझाव भी दिए हैं. उनके मुताबिक सितंबर-अक्टूबर तक देश की ज्यादा से ज्यादा आबादी को कोरोना वैक्सीन लगाई जाए. नए कोविड वैरिएंट्स की जल्द पहचान कर उन्हें फैलने से रोका जाए. सभी राज्य सरकारें ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर ज्यादा फोकस करें.
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