एक बार बरकरार रहा BJP सांसद पंकज चौधरी का दबदबा, उनके खेमे को मिली जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी
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एक बार बरकरार रहा BJP सांसद पंकज चौधरी का दबदबा, उनके खेमे को मिली जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए संख्या बल कम होने के बाद भी भाजपा पूरी तरह आश्वस्त दिख रही थी. सपा भी निर्दल और मुस्लिम जिला पंचायत सदस्य के दम पर जीत का समीकरण बनाने में जुट गई थी, लेकिन सांसद पंकज चौधरी के कुशल नेतृत्व में सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए...

एक बार बरकरार रहा BJP सांसद पंकज चौधरी का दबदबा, उनके खेमे को मिली जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी

अमित त्रिपाठी/महाराजगंज: यूपी के महाराजगंज में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर एक बार फिर भाजपा ने अपनी बादशाहत कायम रखी है. यहां पर 47 मतों के चुनाव में के इस सदन में 39 वोट पाकर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. वहीं, सपा से दुर्गा यादव को महज 8 वोटों से ही संतोष करना पड़ा. जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने वाले रविकांत पटेल भाजपा सांसद पंकज चौधरी के बेहद करीबी माने जाते हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव घोषित होने के बाद से ही पंकज चौधरी ने पिछले 30 सालों से जिला पंचायत अध्यक्ष की जीत के रिकॉर्ड को बरकरार रखने के लिए अपने बेहद करीबी रविकांत पटेल को चुनावी मैदान में उतारा था. इसी के साथ, वे जिला पंचायत सदस्यों को सहेजने में जुट गए थे. इसमें उन्हें भारी कामयाबी भी मिल गई है.

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कमजोर नेतृत्व के चलते हारी सपा
वहीं, राजनीतिक विरोधी समाजवादी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि भाजपा केंद्र और प्रदेश में मौजूद सरकार के चलते पुलिस और प्रशासन की शह पर जिला पंचायत सदस्यों को डरा-धमकाकर उनका वोट लिया गया है. समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकर्ता दुर्गा यादव को चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन पार्टी के भीतर कई तरह की गुटबाजी और जनपद में कमजोर नेतृत्व के चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा सांसद पंकज चौधरी के व्यक्तिगत संबंधो के कारण समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य पार्टियों के कई सदस्यों और निर्दलीय सदस्यों ने खुलकर भाजपा प्रत्याशी का साथ दिया. जिसका खामियाजा समाजवादी पार्टी को हार के रूप में उठाना पड़ा.

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नंबर गेम में भाजपा से आगे थी सपा लेकिन फिर भी मिली हार
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सपा को जहां जिला पंचायत में 8 सीटों पर विजय मिली थी, वहीं भाजपा महज 7 सीट पर ही जीत पाई थी. सबसे अधिक 26 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. इसके अलावा, कुल 10 की संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार भी जिला पंचायत सदस्यों ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. ऐसे में इस बार लग रहा था कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि इस चुनाव में निर्दलीय और मुस्लिम सदस्य किंगमेकर की भूमिका निभा सकते थे. हालांकि, 7 सीट पर ही चुनाव जीतने के बाद भाजपा में निराशा जरूर थी, लेकिन एक बार फिर भाजपा सांसद पंकज चौधरी के कुशल नेतृत्व में रविकांत पटेल ने 47 में 39 मत पाकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने पास रख ली.

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जिला गठन के बाद से ही भाजपा दर्जी करती आई है जीत
गोरखपुर जनपद से अलग होकर महराजगंज जिला 2 अक्टूबर 1989 को अस्तित्व में आया. 1995 में पहली बार यहां जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ. सबसे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में सांसद पंकज चौधरी के बड़े भाई प्रदीप चौधरी चुनाव में उतरे और उन्हें जीत मिली. उसके बाद उनकी माता उज्जवला चौधरी लगातार दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं. साल 2010 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण बदला तो सांसद पंकज चौधरी ने अपने विश्वास पात्र धर्मा देवी को चुनावी मैदान में उतारा. सांसद के कुशल चुनावी रणनीति के बदौलत बीजेपी समर्थित धर्मा देवी आसानी से चुनाव जीत गईं.

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साल 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुआ. तब जिला पंचायत सदस्य के रूप में सांसद पंकज चौधरी ने अपने भतीजे राहुल चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिल सकी. जिला पंचायत सदस्य में संख्या बल बीजेपी के पास था. राहुल चौधरी के चुनाव हारने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भरोसेमंद सदस्य की तलाश शुरू हुई. पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर जिला पंचायत सदस्य चुन कर आए पार्टी कार्यकर्ताओं में से प्रभुदयाल चौहान पर सांसद पंकज चौधरी और पार्टी ने विश्वास किया. तब सपा की प्रदेश में सत्ता थी, लेकिन सांसद पंकज चौधरी की राजनीतिक रणनीति के चलते प्रभुदयाल चौहान जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए. हालांकि, कार्यकाल पूरा करने के पहले जिला पंचायत अध्यक्ष प्रभु दयाल चौहान बागी होकर पाला बदल लिए. वह बीजेपी छोड़ सपा में शामिल हो गए.

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लेकिन, इससे जिला पंचायत के कार्य पर कोई असर नहीं पड़ा. जिला पंचायत अध्यक्ष प्रभुदयाल चौहान की पावर को सीज कर दिया गया. अब इस बार भी भाजपा को 7 सीट मिलने के बाद रास्ता कठिन दिखाई दे रहा था, लेकिन चौधरी परिवार की कुर्सी बना यह पद एक बार फिर भाजपा के ही पास है.

सपा व भाजपा में कड़ी टक्कर की थी संभावना
जिला पंचायत सदस्य के लिए जनादेश न तो भाजपा को मिला है और ना ही सपा, बसपा व कांग्रेस को. सबसे अधिक 26 निर्दल प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. भाजपा को 7 और सपा को 8 सीट मिली हैं. कांग्रेस और बसपा ने तीन-तीन सीट पर जीत दर्ज की है. पर जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए संख्या बल कम होने के बाद भी भाजपा पूरी तरह आश्वस्त दिख रही थी. सपा भी निर्दल और मुस्लिम जिला पंचायत सदस्य के दम पर जीत का समीकरण बनाने में जुट गई थी, लेकिन सांसद पंकज चौधरी के कुशल नेतृत्व में सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए जब से जिला पंचायत बना तब से सांसद पंकज का इस सीट पर कब्जा बरकरार रहा.

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