Umesh Pal Shootout: 18 साल पहले शुरू हुई थी उमेश-अतीक अहमद में खूनी जंग, अपहरण के बाद कल माफिया डॉन के खिलाफ गवाही देना जानलेवा साबित हुआ
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Umesh Pal Shootout: 18 साल पहले शुरू हुई थी उमेश-अतीक अहमद में खूनी जंग, अपहरण के बाद कल माफिया डॉन के खिलाफ गवाही देना जानलेवा साबित हुआ

Umesh Pal Shootout: माफिया अतीक अहमद और उमेश पाल के बीच दुश्मनी राजू पाल हत्याकांड के बाद शुरू हुई थी. पहली बार नहीं है जब अतीक पर उमेश पर हमला करने का आरोप लगा है. इससे पहले भी माफिया ने उमेश पाल पर जानलेवा हमला किया था. 

Atique Ahmed in Umesh Pal Shootout Case

Umesh Pal Shootout: पूर्व बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड (Raju Pal Murder Case) के मुख्य गवाह उमेश पाल की शुक्रवार को गोली और बम मारकर हत्या कर दी गई. दिनदहाड़े हुई इस घटना से पूरे प्रदेश में सनसनी फैली है. आरोप है कि अतीक अहमद (Atique Ahmed) ने कई बार उमेश को डराया, धमकाया और अपहरण भी किया, लेकिन वह डरे नहीं. उमेश ने दोस्त राजू के हत्यारों को सजा दिलाने की ठान रखी थी. शुक्रवार को भी वह एमपी एमएलए कोर्ट में खुद के अपहरण के मामले में गवाही देने गए थे. कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए माफिया अतीक अहमद भी पेश हुआ था. इस दौरान उमेश ने माफिया अतीक के खिलाफ आखिरी बार गवाही भी दी. 

18 साल पहले शुरू हुई थी उमेश पाल और अतीक अहमद के बीच अदावत
उमेश पाल और अतीक अहमद के बीच अदावत राजू पाल की हत्या के बाद से ही शुरू हो गई थी. आरोप है कि गवाही से रोकने के लिए अतीक ने उमेश का अपहरण करवाया था. जानकारी के मुताबिक, 28 फरवरी 2008 को उमेश पाल का अतीक गिरोह ने अपहरण कर लिया था और अज्ञात जगह ले जाकर उनके साथ मारपीट की थी. इसके बाद गवाही देने पर जान से मारने की धमकी देकर उन्हें छोड़ दिया था. अपहरण के बावजूद वह अतीक के सामने डटे रहे और अतीक, उसके भाई अशरफ समेत गिरोह के कई सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. 

2016 में हुआ था जानलेवा हमला 
अपहरण के आठ साल बाद यानी 2016 को उमेश पाल पर जानलेवा हमला हुआ था. 11 जुलाई 2016 को उमेश अपहरण मामले में ही गवाही देने कचहरी पहुंचे थे. इसी दौरान कचहरी परिसर में उन पर हमला किया गया था. उन पर गोलियां चलाईं गईं. तब वे संयोग से बाल-बाल बच गए थे. इस मामले में भी उन्होंने अतीक, अशरफ समेत अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. उमेश पाल के अपहरण मामले की सुनवाई एमपी एमएलए कोर्ट में अंतिम दौर में चल रही थी. शुक्रवार इस मामले में सुनवाई थी. उमेश को पूरा भरोसा था कि वह साथी राजू पाल के दोषियों को सजा दिलवाने में कामयाब होंगे, लेकिन को कोर्ट से निकलने के बाद घर के बाहर उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई. 

क्या है राजू पाल हत्याकांड? 
25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल पर गोलियों की बौछार कर दी गई थी, जब वे गाड़ी चला रहे थे. जीटी रोड पर अमितदीप मोटर्स के पास घटनास्थल पर गोलियों से छलनी Qualis और Scorpio गाड़ियों से घायलों को बाहर निकाला गया. राजू पाल को ऑटो के जरिए जीवन ज्योति हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. शूटआउट में संदीप यादव और देवीलाल भी मारे गए थे. घटना के बाद विधायक राजू पाल की नवविवाहिता पत्नी पूजा पाल ने धूमनगंज थाने में तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद, उनके छोटे भाई अशरफ, करीबियों फरहान, आबिद, रंजीत पाल, गुफरान, समेत नौ लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 307, 302. 120 बीस 506 आईपीसी और 7 सीएलए एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. 

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