OMG News : आज के समय में जहां मामूली बातों को लेकर पति-पत्नी के बीच रिश्ते दरकते जा रहे हैं. वहीं, इन दरकते रिश्तों के बीच कुशीनगर की एक महिला प्रेरणा की स्त्रोत बनी है. महिला ने न केवल पति की जान बचाई, बल्कि बेटे के सिर से पिता का साया हटने से भी बचा लिया.
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प्रमोद कुमार गोंड़/कुशीनगर : आए दिन पति-पत्नी के बीच झगड़े के मामले सामने आते रहते हैं. कई बार यह स्थानीय स्तर पर सुलझा लिया जाता है तो कई बार ये झगड़े इनके बीच हमेशा के लिए दीवार खड़ा कर देता है. आज मामूली बातों में पति-पत्नी के बीच रिश्ते दरकते जा रहे हैं. इन दरकते रिश्तों के लिए कुशीनगर की एक महिला प्रेरणा की स्त्रोत बन सकती है. महिला ने पति को बचाने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा दी. पूरा कहानी सुनेंगे तो आपभी हैरान रह जाएंगे.
पति के बचने की गुंजाइश नहीं थी
दरअसल, कुशीनगर के जटहा बाजार थाना क्षेत्र के पकहा मुसहरी टोला के रहने वाली ओम प्रकाश की शादी दो साल पहले निशा से हुई है. शादी के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था कि पिछले साल एक बुरी खबर आ गई. जब निशा बीमार पति को दिखाने डॉक्टरों के पास गई तो उसे पता चला कि ओम प्रकाश की किडनी खराब हो चुकी है. ओम प्रकाश अंतिम स्टेज पर है. डॉक्टरों ने बचने की गुंजाइश न के बराबर बताई. बावजूद इसके निशा ने पति की जिंदगी बचाने की जिद पर अड़ गई.
किडनी प्रत्यारोपड़ अंतिम विकल्प था
निशा ने डॉक्टरों को चक्कर लगाया तो पता चला कि एक मात्र रास्ता किडनी प्रत्यारोपड़ ही है. इस पर निशा तैयार हो गई. निशा पूरा चिकित्सकीय प्रक्रिया जानकर प्रत्यारोपड़ को तैयार हो गई. निशा ने डॉक्टरों से कहा कि अपने पति के जीवन की रक्षा के लिए यदि उसे जान भी देनी पड़े तो कम है. फिर क्या था डॉक्टर भी तैयार हो गए.
निशा ने एक किडनी पर जीवन बिताने का लिया फैसला
निशा अपने पति ओम प्रकाश की किडनी प्रत्यारोपड़ के लिए लखनऊ के गोमती नगर स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल जा पहुंची. चिकित्सकों से परामर्श के बाद किडनी का प्रत्यारोपण करा पति की जान बचाने में कामयाब हो गई. निशा ने अपनी एक किडनी देकर ओम प्रकाश की जान बचा ली. निशा के घर वालों के अनुसार, किडनी प्रत्यारोपण में करीब 12 लाख रुपये का खर्च आया, जो निशा ने अपने हिस्से की जमीन बेचकर इलाज कराया.
बेटे के सिर से पिता का उठने नहीं दिया साया
किडनी प्रत्यारोपण करने वाले चिकित्सकों ने दोनों का स्वास्थ्य सामान्य बताया है. वहीं, निशा अपने पत्नी होने का धर्म निभाया तो कहानियों में सुने जाने वाली सावित्री का असल रूप भी देखने को मिला, जिसने एक मां बाप का पुत्र वापस लौटाया तो दूसरी तरह अपने एक वर्ष के पुत्र अर्नव के सिर से एक पिता का साया उठने से बचा लिया. निशा के इस हौंसले की हर तरफ तारीफ हो रही है.
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