Maha Shivratri 2022: आगरा का वह मंदिर जहां खुद भगवान शिव ने स्थापित किया था शिवलिंग, दर्शन मात्र से हर मनोकामना होती है पूरी
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Maha Shivratri 2022: आगरा का वह मंदिर जहां खुद भगवान शिव ने स्थापित किया था शिवलिंग, दर्शन मात्र से हर मनोकामना होती है पूरी

Maha Shivratri 2022: ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान शिव कैलाश से आगरा आए थे. उस समय श्री कृष्ण जन्मे थे और शिव उनके दर्शन के लिए यहां पधारे. जिस स्थान पर मनकामेश्वर मंदिर बना है, यहां पर शिव ने विश्राम किया था. जब शिव जी श्रीकृष्ण के दर्शन करने पहुंचे तो उनकी वेशभूषा देखकर मां यशोदा डर गईं...

Maha Shivratri 2022: आगरा का वह मंदिर जहां खुद भगवान शिव ने स्थापित किया था शिवलिंग, दर्शन मात्र से हर मनोकामना होती है पूरी

Maha Shivratri: आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर पूरे देश में जश्न का माहौल है. भोर से ही लाखों भक्त हजारों मंदिरों में बाबा के दर्शन करने पहुंचे हैं. वैसे तो हर दिन भगवान का ही होता है, लेकिन आज के दिन में कुछ अलग खासियत है. आज का दिन भगवान शिव को समर्पित है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर महाशिवरात्रि होती है. आज मां पार्वती और बाबा भोले अपने भक्तों से खुश होकर उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. इसी बीच हम आपको आगरा के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां की मान्यता है कि भगवान शिव ने खुद ही वहां शिवलिंग की स्थापना की थी. 

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अत्यधिक महत्व रखता है यह मंदिर
आगरा के रावत पाड़ा में श्रीमनकामेश्वर मंदिर शहर का एक विशेष स्थान माना जाता है. मीडिया में चल रहीं खबरों के मुताबिक, इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना खुद भगवान शिव ने की थी. महाशिवरात्रि के दिन हजारों भक्त यहां सुबह से ही यहां लाइन लगाते हैं. कहा जाता है कि जिन भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है, वह मंदिर में वापस आक घी के दीपक जलाते हैं.

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कैसे हुई थी शिवलिंग की स्थापना
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंदिर के महंत ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान शिव कैलाश से आगरा आए थे. उस समय श्री कृष्ण जन्मे थे और शिव उनके दर्शन के लिए यहां पधारे. जिस स्थान पर मनकामेश्वर मंदिर बना है, यहां पर शिव ने विश्राम किया था. जब शिव जी श्रीकृष्ण के दर्शन करने पहुंचे तो उनकी वेशभूषा देखकर मां यशोदा डर गईं. ऐसे में उन्होंने भगवान शिव को बाल कृष्ण के दर्शन कराने से मना कर दिया. यह सुन भगवान शिव रो दिए. फिर मां यशोदा ने उन्हें कान्हा को शिवजी की गोद में दे दिया. 

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खुश होकर शिव जी ने की शिवलिंग की स्थापना
शिव जी खुश हो गए और लौटते समय खुद शिवलिंग की स्थापना की. उन्होंने कहा कि जैसे यहां मेरी मन की कामना पूरी हुई, वैसे ही इस शिवलिंग के दर्शन करने से हर भक्त की कामना पूरी होगी. इसीलिए आज यह मंदिर मनकामेश्वर के नाम से जाना जाता है.

शिवलिंग को हटाने की भी हुई कोशिश
कहा जाता है कि 650 साल पहले शिवलिंग को दूसरी जगह स्थापित करने के लिए एक नया मंदिर बनवाया गया था. महंत गणेशपुरी ने नए मंदिर को दक्षिण-उत्तर भारत शैली पर बनवाया था. इसके लिए जब शिवलिंग को दूसरे मंदिर में स्थापित करने के लिए उठाया जाने लगा, तो वह हिला ही नहीं. कई लोगों ने कोशिश की, तो शिवलिंग गर्भगृह में चला गया. यही वजह है कि आज भक्तों को शिवलिंग के दर्शन के लिए सीढ़ियों से नीचे उतरना पड़ता है. 

डिस्क्लेमर: इस स्टोरी में जिक्र की गईं कई बातें लोकप्रिय मान्यताओं और प्रचलित कहानियों पर आधारित हैं. इनमें श्रद्धालुओं की आस्था है. हमारा मकसद इन स्थलों से जुड़ी आस्था की ऐसी ही कहानियां यूजर्स तक पहुंचाना है. हम इन कहानियों की सत्यतता के संबंध में कोई दावा नहीं कर रहे हैं.

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