यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की डिग्री विवाद का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, याची ने की FIR दर्ज करने की मांग
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यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की डिग्री विवाद का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, याची ने की FIR दर्ज करने की मांग

याची ने डिग्री को फ़र्जी बताते हुए डिप्टी सीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. मामले में सीजेएम कोर्ट याची की अर्जी पहले ही खारिज कर चुका है. सीजेएम कोर्ट के आदेश को याची ने हाईकोर्ट मे चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने मामले मे सुनवाई के लिए 3 फरवरी की तारीख नियत की है.

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गुफरान/प्रयागराज: यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (keshav prasad maurya) की डिग्री विवाद का मामला इलाहबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court) पहुंच गया है. शिकायतकर्ता ने केशव मौर्य की डिग्री फर्जी होने आरोप लगाया है. आरोप है कि हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज की प्रथमा, मध्यमा विशारद की डिग्री हाई स्कूल के समकक्ष मान्य नहीं है. इसी डिग्री के आधार पर केशव मौर्य पर आगे की शिक्षा ग्रहण करने का आरोप है. कोर्ट ने सुनवाई की तारीख अगले 3 फरवरी तय की है.

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डिप्टी सीएम के खिलाफ FIR करने की मांग
याची ने डिग्री को फ़र्जी बताते हुए डिप्टी सीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. मामले में सीजेएम कोर्ट याची की अर्जी पहले ही खारिज कर चुका है. सीजेएम कोर्ट के आदेश को याची ने हाईकोर्ट मे चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने मामले मे सुनवाई के लिए 3 फरवरी की तारीख नियत की है.

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ये लगे हैं केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप
केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप हैं कि उन्‍होंने साल 2012 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान सिराथ विधानसभा सीट से और साल 2014 में फूलपुर लोकसभा सीट से नामांकन के दौरान हलफनामे में अपनी बीए की डिग्री बताई. इसमें बताया गया है कि उन्‍होंने हिंदी साहित्‍य सम्‍मेलन से साल 1997 में बीए किया. डिप्टी सीएम पर पर आरोप हैं कि उन्‍होंने अलग-अलग फर्जी डिग्रियों से अलग-अलग चुनाव लड़े. 

प्रमाण पत्र में अलग-अलग साल लिखे
साल 2017 में उन पर राजू तिवारी नाम के एक शख्‍स ने आरोप लगाया कि मौर्य ने साल 2007 में प्रयागराज (Prayagraj) के पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते समय हलफनामे में बताया था कि उन्‍होंने हिंदी साहित्‍य सम्‍मेलन (Hindi sahitya sammelan) से 1986 से प्रथमा, 1988 में मध्‍यमा और 1998 में उत्‍तमा की थी. प्रथमा की डिग्री को कुछ राज्‍यों में हाईस्‍कूल, मध्‍यमा को इंटर और उत्‍तमा को ग्रेजुएट के समकक्ष मान्‍यता दी जाती है. कोर्ट में याचिका दायर कर ये भी आरोप लगाया गया है कि उनके प्रमाण पत्र में अलग-अलग साल लिखे हुए हैं, जो कि मान्यता प्राप्त भी नहीं है.

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