समाजवादी पार्टी की मान्यता रद्द करने के लिए SC में जनहित याचिका दाखिल, नाहिद हसन की उम्मीदवारी पर घिरी सपा
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समाजवादी पार्टी की मान्यता रद्द करने के लिए SC में जनहित याचिका दाखिल, नाहिद हसन की उम्मीदवारी पर घिरी सपा

अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि सपा अध्यक्ष की ओर से Supreme Court के आदेश की अवहेलना की गई है. ऐसे में चुनाव आयोग (EC) को आदेश दिया जाए कि वह उनके खिलाफ SC में याचिका दायर करे. 

समाजवादी पार्टी की मान्यता रद्द करने के लिए SC में जनहित याचिका दाखिल, नाहिद हसन की उम्मीदवारी पर घिरी सपा

शिवम/लखनऊ: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की मान्यता खतरे में पड़ सकती है. पार्टी की मान्यता समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. कोर्ट में दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि सपा ने कैराना के गैंगस्टर नाहिद हसन (Nahid Hassan) को चुनावी टिकट दिया. लेकिन सपा ने नाहिद के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी को सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया या ट्विटर पर इसकी जानकारी शेयर नहीं की. ये याचिका बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है.  

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नाहिद पर कई आपराधिक मामले दर्ज

इस याचिका में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी ने कैराना में एक गैंगस्टर नाहिद हसन को टिकट देकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश का उल्लघंन किया है. बता दें कि फरवरी 2021 में यूपी पुलिस ने नाहिद हसन, उनकी मां तबस्सुम और 38 अन्य लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी. इसके बाद से वह फरार चल रहे थे. याचिका में कहा गया है कि नाहिद हसन 2 बार विधायक रह चुके हैं. शामली पुलिस ने नाहिद के ऊपर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है. नाहिद पर कई आपराधिक मामले दर्ज है. कैराना से हिंदुओं के पलायन करने का मामला भी दर्ज है. 

सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन
अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि सपा अध्यक्ष की ओर से Supreme Court के आदेश की अवहेलना की गई है. ऐसे में चुनाव आयोग (EC) को आदेश दिया जाए कि वह उनके खिलाफ SC में याचिका दायर करे. 

नाहिद हसन का टिकट कटा
बता दे कि यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद सपा ने नाहिद हसन का टिकट पार्टी से काट दिया है और नाहिद की बहन को टिकट दे दिया है. नाहिद की मां तबस्सुम इसी क्षेत्र से सांसद रह चुकी हैं. अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी में कोर्ट से मांग की है कि वे चुनाव आयोग को आदेश दें कि यह सुनिश्चित किया जाए की हर पार्टी अपने प्रत्याशियों पर दर्ज मुकदमों के बारे में जानकारी प्रकाशित करे. इसके अलावा अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी भी दे कि आखिर आपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे प्रत्याशी क्यों बनाया गया है.

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