7 नए चेहरों में एक ब्राह्मण, तीन ओबीसी, दो दलित और 1 एसटी है. योगी सरकार ने ओबीसी वोटर पर ही दांव लगाया है. ऐसे में इन मंत्रियों के पास काम करने के लिए चंद महीने ही हैं. वहीं, संगठन को इन मंत्रियों से बड़ी उम्मीदें हैं.
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मयूर शुक्ला/लखनऊ: आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार कार्यकाल का अंतिम कैबिनेट विस्तार रविवार किया गया. जिसमें 7 नए चेहरों को जगह दी गई है. इन साथ में चेहरों को जाति समीकरण के आधार पर योगी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है. लेकिन इन मंत्रियों के पास सिर्फ कुछ ही महीने काम करने के लिए शेष है, तो वहीं संगठन की बड़ी जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर है.
जातियों की भागीदारी, क्षेत्रीय संतुलन और ब्राह्मण वोटरों को रिझाने के प्रयास से इस कैबिनेट विस्तार के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार ने किया है. ओबीसी वर्ग के कंधों पर 2017 में बड़ी जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से ओबीसी वोटर्स के भरोसे ही 2022 में जाने की तैयारी में है.
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ओबीसी वोटरों पर भाजपा ने लगाया दांव
दरअसल 7 नए चेहरों में एक ब्राह्मण, तीन ओबीसी, दो दलित और 1 एसटी है. भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार ने ओबीसी वोटर पर ही दांव लगाया है. ऐसे में इन मंत्रियों के पास काम करने के लिए चंद महीने ही हैं. वहीं, संगठन को इन मंत्रियों से बड़ी उम्मीदें हैं. ऐसे में मंत्रियों पर बेहतर परिणाम देने का दबाव भी बनता जा रहा है.
कई मंत्रियों से जब कुछ महीने के कार्यकाल पर सवाल किए तो उनका कहना है कि वे बेहतर करने का प्रयास करेंगे. वहीं, भारतीय जनता पार्टी का कहना है की इन मंत्रियों के पास कुछ महीने नहीं 6 साल हैं, क्योंकि 2022 में भी हम प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आ रहे हैं.
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विपक्ष ने खड़े किए सवाल
जातीय और सियासी गणित को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले एक बड़ा उलटफेर कर विपक्षी दलों के तमाम जातीय समीकरण साधने के लिए जा रहे प्रयासों पर पानी फेर दिया है. ऐसे में विपक्ष भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार में हुए इस कैबिनेट विस्तार पर सवाल खड़े कर रहा है.
कैबिनेट विस्तार पर कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि कैबिनेट विस्तार युवाओं को चिढ़ाने जैसा है. योगी सरकार यह वादा करती रही कि युवाओं को नौकरी देंगे लेकिन कैबिनेट विस्तार करके अपने नेताओं को नौकरी देने का काम कर रही है. वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता विवेक शैलेश ने कहा है कि भाजपा कैबिनेट विस्तार करके वह बस जातीय समीकरण साधना चाहती है, लेकिन यह उनकी भूल है. 2022 में उनका पत्ता साफ होने वाला है.
देखने वाली बात होगी की जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार ने अपने कैबिनेट में किए बदलाव का कितना लाभ उठा पाती है या फिर विपक्ष को इस बार 2022 विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मौका मिलने वाला है.
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