दरअसल विकास दुबे और तत्कालीन इंस्पेक्टर कल्याणपुर हरिमोहन यादव में भिड़ंत हुई थी. विकास दुबे और इंस्पेक्टर में मारपीट भी हुई थी. देवेंद्र मिश्रा उस समय कल्याणपुर थाने में सिपाही थे. इंस्पेक्टर से भिड़ने पर देवेंद्र ने विकास दुबे पर फायरिंग की थी.
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कानपुर: कानपुर शूटआउट केस में यूपी एटीएस और पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए-नए तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि एनकाउंटर में मारा गया अपराधी विकास दुबे और कानपुर शूटआउट में शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा 22 साल पहले भी एक दूसरे के आमने-सामने आए थे.
बिकरू गांव का प्रधान हुआ करता था विकास दुबे
उस वक्त दोनों ने एक दूसरे पर फायरिंग भी की थी, जो मिस हो गया था. ऐसा माना जा रहा है कि 2-3 जुलाई की दरमियानी रात बिकरू गांव में हुए आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के पीछे 22 साल पुरानी उस रंजिश का असर भी था. वर्ष 1998 में कानपुर की कल्याणपुर पुलिस ने विकास दुबे को गिरफ्तार किया था. उस समय विकास दुबे बिकरू गांव का प्रधान था.
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विकास और देवेंद्र ने एक दूसरे पर चलाई थी गोली
दरअसल विकास दुबे और तत्कालीन इंस्पेक्टर कल्याणपुर हरिमोहन यादव में भिड़ंत हुई थी. विकास दुबे और इंस्पेक्टर में मारपीट भी हुई थी. देवेंद्र मिश्रा उस समय कल्याणपुर थाने में सिपाही थे. इंस्पेक्टर से भिड़ने पर देवेंद्र ने विकास दुबे पर फायरिंग की थी. विकास दुबे ने भी देवेंद्र मिश्रा पर जवाबी फायरिंग की, लेकिन दोनों का फायर मिस हो गया था.
विकास दुबे ने उज्जैन पुलिस को बताई थी पूरी कहानी
तब विकास 30 पुड़िया स्मैक और अवैध बंदूक के साथ गिरफ्तार हुआ था. उज्जैन पुलिस को दिए अपने कबूलनामे में विकास ने माना था कि देवेंद्र मिश्रा की उससे नहीं बनती थी. हालांकि उसने कहा था कि देवेंद्र मिश्रा को उसने नहीं उसके साथियों ने मारा था. वहीं पैर काटने की बात पर विकास ने बताया कि देवेंद्र मिश्रा कहते थे विकास का एक पैर खराब है दूसरा भी खराब कर दूंगा. इसी बात को लेकर विकास के साथियों ने सीओ देवेंद्र मिश्रा का पैर काटा था.
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