पूजा स्थल कानून, 1991 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिका में इस कानून को भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया गया था.
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लखनऊः पूजा स्थल कानून, 1991 की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा. शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिका पर विचार करने की बात कहकर इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. बता दें कि पूजा स्थल कानून, 1991 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिका में इस कानून को भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया गया था.
कानून की धाराओं को रद्द करने की मांग
भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका बीते साल अक्टूबर में दाखिल की थी. इस याचिका में पूजा स्थल कानून 1991 की धारा दो, तीन और चार को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका के अनुसार, इन धाराओं के कारण भारत पर हमला करने वाले क्रूर शासकों द्वारा गैरकानूनी रूप से स्थापित किए गए पूजा स्थलों को कानूनी मान्यता मिलती है. साथ ही याचिका में कानून बनाने की केंद्र सरकार के अधिकार पर भी सवाल उठाए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कानून की वैधानिकता पर विचार करने की बात कही है.
जानिए क्या है पूजा स्थल कानून, 1991
साल 1991 में रामजन्मभूमि आंदोलन चरम पर था. उस दौरान अयोध्या के साथ ही तमाम मंदिर-मस्जिद विवाद उठने लगे थे. ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने साल 1991 में एक कानून बनाकर इस विवाद को शांत करने की कोशिश की थी. यह कानून था पूजा स्थल कानून, 1991 (Places of Worship Act). इस कानून के तहत 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरी आस्था के पूजा स्थल के रूप में परिवर्तित नहीं किया जा सकता. अयोध्या विवाद को इस कानून से बाहर रखा गया था. यदि कोई व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना लगाया जा सकता है.
काशी-मथुरा के मंदिरों के लिए बेहद अहम
बता दें कि यह कानून लागू होने के बाद अयोध्या विवाद के अलावा देश के अन्य पूजा स्थलों के विवादों की अदालती कार्रवाई पर रोक लग गई थी. काशी-मथुरा के मंदिरों की कानूनी लड़ाई भी इस कानून के चलते शुरू नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल कानून की वैधानिकता पर विचार करने की बात कही है तो आस जगी है कि यदि कोर्ट इस कानून की वैधानिकता खत्म करने के बारे में कोई फैसला लेता है तो इसका असर काशी मथुरा के मंदिर विवादों पर भी पड़ेगा और इन मंदिरों के लिए भी अयोध्या मामले की तरह कानूनी लड़ाई शुरू हो सकती है.
बता दें कि ऐसा माना जाता है कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद जिस जमीन के ऊपर बनाई गई है, उसके नीचे ही कृष्ण जन्मभूमि है. दावा किया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण कराया था. इसी तरह काशी के विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर भी विवाद जारी है.