पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे भारी तनाव के बीच अमेरिका ने भारत को एक बड़ी मदद देने की घोषणा की है. अमेरिका (America) ने भारतीय वायु सेना के विशालकाय मालवाहक विमान C-130J Super Hercules के स्पेयर पार्ट सप्लाई करने की घोषणा की है.
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वॉशिंगटन डीसी: पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे भारी तनाव के बीच अमेरिका ने भारत को एक बड़ी मदद देने की घोषणा की है. अमेरिका (America) ने भारतीय वायु सेना के विशालकाय मालवाहक विमान C-130J Super Hercules के स्पेयर पार्ट सप्लाई करने की घोषणा की है. इसके लिए दोनों देशों में 90 मिलियन डॉलर का सौदा हुआ है.
अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी एजेंसी ने कहा कि इस सौदे से भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंध और मजबूत होंगे. इससे दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति और समृद्धि में आगे बढ़ेंगे.
सौदे के मुताबिक अमेरिका भारत को C-130J Super Hercules की मरम्मत करेगा. साथ ही उनके स्पेयर पार्ट सप्लाई और ग्राउंड सपोर्ट का काम भी करेगा. भारत ने अमेरिका को एक AN/ALR-56M अडवांस रडार वार्निंग सिस्टम, 10 लाइटवेट नाइट विजन बाइनोक्यूलर, 10 नाइट विजन चश्मे, जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर का भी ऑर्डर दिया है.
जानकारी के मुताबिक C-130J Super Hercules को स्पेयर पार्ट और सर्विस की सुविधा मिल जाने के बाद भारतीय वायु सेना के ये जहाज हर वक्त ऑपरेशन के लिए तैयार रहेंगे और इनका आकस्मिक परिस्थितियों में कभी भी इस्तेमाल किया जा सकेगा.
अमेरिकी कानून के मुताबिक वहां दूसरे देशों के साथ होने वाले बड़े रक्षा सौदों को आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल एक्ट के तहत रखा जाता है और सांसद 30 दिन के अंदर किसी भी डील को रिव्यू कर सकते हैं. जानकारी के मुताबिक अमेरिका के साथ हुए इस सौदे के तहत लॉकहीड मॉर्टिन कंपनी सेल-सर्विस का जिम्मा संभालेगी.
बता दें कि भारत उन 17 देशों में शामिल है, जहां पर C-130J सुपर हरक्यूलिस विमानों का इस्तेमाल किया जाता है. भारतीय वायु सेना के बेड़े में इस प्रकार के 5 विमान शामिल हैं. भारत ने छठे C-130J-30s सुपर हरक्यूलिस विमान का ऑर्डर देने वाला है.
लॉकहीड मार्टिन कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि C-130J विमान भारी साजो सामान लेकर दुनिया के उन दुर्गम इलाकों में भी उतर सकते हैं. जहां पर कोई दूसरा जहाज नहीं उतर सकता. कंपनी का इशारा 2013 में दुनिया के सबसे ऊंचे रनवे दौलत बेग ओल्डी में C-130J विमान उतारने की ओर था. यह भारतीय वायु सेना का सबसे दुस्साहसिक ऑपरेशन था. करीब 16 हजार 614 फीट ऊंचाई पर बने इस रनवे पर लैंडिग कर भारत ने दौलत बेग ओल्डी में अपनी सुरक्षा और मजबूत कर ली.
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