बारिश की आशंका, ड्रिलिंग में टनल दरकने का भी अंदेशा.. रेस्क्यू के लिए एक्सपर्ट्स ने बनाए कई प्लान
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बारिश की आशंका, ड्रिलिंग में टनल दरकने का भी अंदेशा.. रेस्क्यू के लिए एक्सपर्ट्स ने बनाए कई प्लान

Silkyara Tunnel: बचाव अभियान पर अतिरिक्त सचिव ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले दो दिन बाद से ही ऑगर की ड्रिलिंग शुरू हो पाएगी. यह एक लंबी प्रक्रिया है. हमारे पास 15 दिनों का लक्ष्य है. टीम के प्लान के बारे में भी जान लीजिए.

बारिश की आशंका, ड्रिलिंग में टनल दरकने का भी अंदेशा.. रेस्क्यू के लिए एक्सपर्ट्स ने बनाए कई प्लान

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग बन रही थी और यह बनते-बनते बीच में ढह गई. बीच में ढह गई जिसमें अंदर 41 मजदूर फंस गए. इनको निकालने में सीएम, सचिव, प्रशासनिक अमला, एनडीआरएफ की टीम जुटी हुई है लेकिन अब तक सारे प्रयास असफल हो चुके हैं. मजदूरों को निकालने की मुहिम 15वें दिन तक पहुंच चुकी है. मजदूरों को बाहर निकालने में इस्तेमाल हो रहे ऑगर मशीन में खराबी के बाद अब सुरंग में अब वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हो गई है. इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने बताया था कि लंबवत ड्रिलिंग ज्यादा समय लेने वाला और जटिल ऑप्शन है. इसी बीच तमाम प्लान के बावजूद भी कई चुनौतियां हैं जिसमें बारिश की आशंका और ड्रिलिंग में टनल दरकने का भी अंदेशा भी शामिल है.

रेस्क्यू टीम की परेशानियां
असल में एक्सपर्ट्स ने बताया है कि वे सुरंग में मलबे को हटाने के लिए क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों दिशाओं में ड्रिलिंग करने पर विचार कर रहे हैं. वे यह भी देखेंगे कि ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग से मलबा और अधिक गिर रहा है या नहीं, अगर ऐसा होता है तो यह डरावनी बात होगी क्योंकि सुरंग के अंदर ही 41 मजदूर हैं. वहीं दूसरी तरफ उत्तरकाशी में मौसम में बदलाव के कारण रेस्क्यू टीम को परेशानी हो सकती है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले 3 दिनों तक बारिश की संभावना जताई है. 26 से 28 नवंबर के बीच बादल छाए रहेंगे और बारिश हो सकती है. यह भी एक एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति साबित हो सकती है.

15 दिनों का लक्ष्य?
इस सुरंग के बचाव अभियान पर अतिरिक्त सचिव महमूद अहमद ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले दो दिन बाद से ही ऑगर की ड्रिलिंग शुरू हो पाएगी. यह एक लंबी प्रक्रिया है. हमारे पास 15 दिनों का लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि हम एक ड्रिफ्ट टनल भी बनाना चाहते हैं, डिजाइन बना लिया गया है और मंजूरी दे दी गई है. हम इन पक्षों पर काम कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमने 2-3 और विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है. हमने SJVNL को हमारे लिए 1-1.2 मीटर व्यास की वर्टिकल ड्रिलिंग करने के लिए कहा है. हमने उन स्थानों की पहचान की है जहां से बेहतर ड्रिलिंग हो सकती है. 

ऑगर मशीन की स्थिति
उन्होंने आगे बताया कि लगभग 15 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है. हमने एक जगह की पहचान की है जहां से अनुमान है कि कुल 86 मीटर की ड्रिलिंग होनी है और यह अगले 2 दिनों में पूरी हो जाएगी. इसके बाद आगे की ड्रिलिंग होगी. अब अगर ऑगर मशीन की बात की जाए तो वह टूट चुकी है. उसका एक हिस्सा मलबे में फंस गया था. इसमें से 15 मीटर हिस्सा निकाला जा चुका है. अब 13.09 मीटर हिस्सा बचा है, जिसे निकालना बाकी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि यह हिस्सा कल सुबह तक निकाला जा सकता है. इसके बाद मैनुअल तरीके से भी मलबा हटाया जाएगा और फिर पाइप को आगे की ओर धकेला जाएगा. फिलहाल ऑगर मशीन के पाइप में फंसे हिस्से (साफ्ट व फिन्स) को निकालने के लिए प्लाजमा, लेजर और गैस कटर के जरिए कटिंग की जा रही है. 

सुरंग के पीछे से ड्रिलिंग
एक अन्य प्लान के तहत टनल के बैक साइड से भी ड्रिलिंग का काम जारी है. अभी 10 मीटर की ड्रिलिंग हुई है. टीएचडीसी बैक साइड से अभी तक किया है चार ब्लास्ट, कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

सुरंग के ऊपर यानी वर्टिकल ड्रिलिंग की स्थिति
- टनल के ऊपर 86 मीटर की शुरू हुई वर्टिकल ड्रिलिंग
- एसजेवीएनएल 1.2 डायमीटर की शुरू की ड्रिलिंग
- अभी तक 15 मीटर की हो चुकी है ड्रिलिंग
- एसजेवीएनएल ने 100 घंटे में 86 मीटर की ड्रिलिंग करने का किया है प्लान
- ऊपर से टनल में उतरने के लिए कम से कम लग जाएंगे अभी और 4 दिन का समय

उत्तरकाशी टनल की रेस्क्यू पाइप में फंसे सरिया के जाल को काटने का काम जारी है. आपदा सचिव नीरज खैरवाल का कहना है कि ऑगर मशीन के ब्लेड को भी काटने का काम जारी है. करीब 13.09मीटर पार्ट को काटने का काम जारी है. मशीन के ब्लड को काटने के लिए प्लाज्मा का इस्तेमाल किया जा रहा है. फिलहाल उत्तराखंड के सीएम धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह बचाव अभियान पर नजर बनाए हुए हैं.

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