उत्तरकाशी टनल हादसा: 40 मजदूरों की जान बचाने के लिए अगले 24 घंटे अहम, जानें क्यों बदलना पड़ा प्लान?
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उत्तरकाशी टनल हादसा: 40 मजदूरों की जान बचाने के लिए अगले 24 घंटे अहम, जानें क्यों बदलना पड़ा प्लान?

Char Dham Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे 40 मजदूरों को हादसे के 60 घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक निकाला नहीं जा सका है. हालांकि, टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क हो रहा है और वे सुरक्षित हैं.

उत्तरकाशी टनल हादसा: 40 मजदूरों की जान बचाने के लिए अगले 24 घंटे अहम, जानें क्यों बदलना पड़ा प्लान?

Uttarkashi Tunnel Resque Live Update: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे 40 मजदूरों को बचाने की मुहिम जारी है. हालांकि, करीब 60 घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है. टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क हो रहा है और सभी सुरक्षित हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए आज का दिन बेहद अहम है, क्योंकि रेस्क्यू ऑरेशन में बड़ा बदलाव किया गया है. अब टनल में जमा मलबा को नहीं निकाला जाएगा, जबकि ड्रिल के जरिए मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है. टनल में स्टील के पाइप से स्केप टनल बनाई जा रही है. मलबा आने से ड्रिल मशीन का काम थोड़ी देर के लिए रुका लेकिन बाद में वह फिर से शुरू हो गया. 60 घंटे बीत जाने के बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. 

उत्‍तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों ने भेजा संदेश

टनल में फंसे मजदूरों से प्रशासन लगातार संपर्क में है. राहत और बचाव टीम ने जब वॉकी-टॉकी के जरिए मजदूरों से बात की तो उन्होंने ऑक्सीजन की मांग की. मजदूरों ने बताया कि वे सभी सुरक्षित हैं और उन्हें खाने-पीने का सामान मिल रहा है. इसके साथ ही उन्होंने ऑक्सीजन की सप्लाई भी निरंतर बनाए रखने की मांग की.

सीएम धामी ले रहे अपडेट

टनल में फंसे श्रमिकों के बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अधिकारियों से लगातार जानकारी ले रहे हैं. राहत एवं बचाव के कार्यों में लगी एजेंसियों से भी मुख्यमंत्री हर पल की अपडेट ले रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठककर निर्देश दिए कि मौके पर तैनात जिला प्रशासन के अधिकारियों और वहां कार्य कर रही एजेंसियों से निरंतर समन्वय बनाकर रखें, राहत सामग्री की किसी भी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर, शीघ्र उपलब्ध कराएं.

मुख्यमंत्री के निर्देश पर सिल्क्यारा सुरंग में हुए भूस्खलन के अध्ययन एवं कारणों की जांच के लिए निदेशक उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की अध्यक्षता में गठित समिति में शामिल विशेषज्ञों ने स्थल का निरीक्षण कर जांच की कार्रवाई शुरू कर दी है. जांच समिति में शामिल विशेषज्ञों का दल सोमवार को ही घटनास्थल पर पहुंच गया था.

दल सुरंग एवं इसके ऊपर की पहाड़ी का सर्वेक्षण कर रही है. विशेषज्ञों के दल में यूएसडीएमए देहरादून के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार, वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. खइंग शिंग ल्युरई, जीएसआई के वैज्ञानिक सुनील कुमार यादव, वरिष्ठ वैज्ञानिक सीबीआरआई रुड़की कौशिल पंडित, उपनिदेशक भूतत्व एवं खनिजकर्म विभाग जीडी. प्रसाद और भूवैज्ञानिक यूएसडीएमए देहरादून तनड्रिला सरकार शामिल हैं.
दूसरी ओर सुरंग से मलबा हटाने और फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए रेस्क्यू जारी है. उम्मीद है कि मंगलवार शाम तक श्रमिकों को निकालने का कार्य शुरू हो जायेगा.

मजदूरों को स्टील के पाइप की मदद से निकाला जाएगा

टनल में फंसे 40 मजदूरों को बचाने की कोशिश और तेज कर दी गई है. इस सुरंग का निर्माण कर रही कंपनी ने बताया है कि सुरंग के अंदर से ‘शॉटक्रेटिंग’ (कंक्रीट स्प्रे) के साथ मिट्टी को हटाया जा रहा है. जबकि, ‘हाइड्रोलिक जैक’ की मदद से 900 मिमी व्यास के स्टील पाइप को अंदर डालने की योजना बनाई जा रही है, ताकि सुरंग में फंसे लोगों को निकाला जा सके. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है कि जल्द ही रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो जाएगा और सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा.

60 घंटे में अब तक क्या-क्या हुआ?

- 200 मीटर की दूरी पर आज से नया ऑपरेशन शुरू
- 25 मीटर तक मलबा हटाया गया.
- पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश
- 40 मजदूरों तक खाना पहुंचाया गया.
- मजदूरों तक पहुंचाई गई ऑक्सीजन.
- खुदाई के दौरान फिर गिरा मलबा.
- PM नरेंद्र मोदी ने CM पुष्कर सिंह धामी से जानकारी ली.
- हाइड्रोलिक जैक के जरिए स्टील पाइप डाली जा रही.
- पाइप के जरिए मजदूरों को निकालने की कवायद है.
- NDRF-SDRF की टीमें मौके पर जुटी हुई हैं.
- वॉकी-टॉकी से मजदूरों से बात हुई है.
- CM पुष्कर सिंह धामी ग्राउंड जीरो पर पहुंचे थे.

सरकार और टनल बनाने वाली कंपनी पर उठ रहे सवाल

सवाल 1: 60 घंटे से फंसी जान, जिम्मेदार कौन?
सवाल 2: क्या टनल निर्माण में हुई लापरवाही?
सवाल 3: क्या सुरंग बनाने में नियमों का पालन हुआ?
सवाल 4: बिना सुपरवाइजर के मजदूर अंदर कैसे गए?
सवाल 5: पिछले हादसों से सबक क्यों नहीं लिया?

उत्तरकाशी टनल की इनसाइट स्टोरी

- पानी के पाइप से ऑक्सीजन की सप्लाई
- पानी के पाइप से ही खाने के पैकेट भेजे गए
- JCB और भारी मशीनों से बचाव अभियान
- पाइप का इस्तेमाल करके संचार स्थापित किया 
- 205 से 260 मीटर के बीच सुरंग का एक हिस्सा ढहा
- 260 मीटर के निशान से आगे फंसे मजदूर
- चट्टान भुरभुरी होने की वजह से राहत के काम में परेशानी

पीएम मोदी लगातार ले रहे हैं हालात का जायजा

उत्तरकाशी टनल में चल रहे रेस्क्यू मिशन पर पीएम नरेंद्र मोदी की नजर है. लगातार दूसरे दिन पीएम मोदी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी से फोन पर हालात का जायजा लिया है. सीएम धामी भी लगातार घटना को लेकर लगातार जानकारी ले रहे हैं. हादसे के 24 घंटे बाद सीएम धामी सोमवार को घटनास्थल पर कल पहुंचे थे. हादसे के बाद सीएम धामी ने कहा कि हमें केंद्र से पूरी मदद मिली है. इस पूरे मामले में धामी सरकार की नाकामी भी सवालों के घेरे में है.

टनल बनाने वाली कंपनी नयवुग का 'ट्रैक रिकॉर्ड'?

यमुनोत्री में जिस नवयुग इंजनीयिरिंग कंपनी को टनल बनाने का टेंडर दिया गया था, उसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. इसी साल अगस्त में महाराष्ट्र के ठाणे में समृद्धि हाईवे पर पुल के निर्माण के दौरान गर्डर गिर गया था. उस वक्त हादसे में 20 लोगों की जान चली गई थी. नवयुग इंजनीयिरिंग कंपनी ने ही ठाणे में समृद्धि पुल का निर्माण किया था. नवयुग  इंजीनियरिंग कंपनी के खिलाफ IPC की धारा 304 के तहत गैर इरादत हत्या का केस भी दर्ज हुआ था.

दिवाली के दिन हुआ था बड़ा हादसा

उत्तराखंड के धरासू और बड़कोट के बीच निर्माणाधीन सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में सिलक्यारा की ओर से 270 मीटर अंदर 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा गिरने के कारण 40 व्यक्ति फंस गए. यह हादसा रविवार को यानी दिवाली के दिन सुबह करीब 6-7 बजे हुआ था. उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा उपलब्ध सूची के अनुसार, सुरंग में फंसे श्रमिकों में से 15 झारखंड, आठ उत्तर प्रदेश, पांच ओडिशा, चार बिहार, तीन पश्चिम बंगाल, दो-दो उत्तराखंड और असम और एक हिमाचल प्रदेश के हैं. कुल 4531 मीटर लंबी सुरंग का 2340 मीटर हिस्सा सिलक्यारा की तरफ से और 1600 मीटर हिस्सा बड़कोट की तरफ से बन चुका है. घटना के कारणों की जांच के लिए उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की अध्यक्षता में गठित तकनीकी समिति ने भी मौके का निरीक्षण किया.

मलबे में पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू

उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा—डंडालगांव सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले दो दिनों से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचावकर्मियों ने मंगलवार को मलबे में बड़े व्यास के एमएस (माइल्ड स्टील) पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी. अधिकारियों ने यहां बताया कि सिलक्यारा सुरंग के धंसाव वाले हिस्से में क्षैतिज ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डाले जाएंगे ताकि उसके जरिए अंदर फंसे श्रमिक बाहर आ सकें.

टनल में फंसे श्रमिक से बात

अंदर फंसे श्रमिकों में से एक गब्बर सिंह नेगी से उसके बेटे आकाश ने पाइप के जरिए बातचीत की जिससे उसके साथ ही अन्य श्रमिकों के परिजनों को भी राहत मिली. अधिकारियों ने बताया कि 900 मिमी व्यास के पाइप और सुरंग के अंदर क्षैतिज ड्रिलिंग कर उन्हें मलबे में डालने के लिए आगर मशीन तड़के ही मौके पर पहुंचा दी गई है . उन्होंने बताया कि फिलहाल आगर ड्रिलिंग मशीन के लिए प्लेटफार्म बनाया जा रहा है ओर मौके पर जरूरी साजो सामान के साथ विशेषज्ञ तथा इंजीनियर भी पहुंच चुके हैं.

लगातार पहुंचाई जा रही राहत

सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित बताए जा रहे हैं जिन्हें लगातार ऑक्सीजन, पानी, सूखे मेवे सहित अन्य खाद्य सामग्री, बिजली आदि पहुंचाई जा रही है. राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के अधिशासी निदेशक कर्नल (सेवानिवृत्त) संदीप सुदेहरा ने बताया कि बचावकर्मियों ने सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों से पाइप के द्वारा संपर्क स्थापित किया और उन्हें भरोसा दिलाया कि विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए दिन—रात काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इससे श्रमिकों का मनोबल ऊंचा हुआ है.

'मंगलवार रात या बुधवार तक श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा'

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने उम्मीद जताई कि मंगलवार रात या बुधवार तक सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा. उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आर सी एस पवार ने कहा कि सुरंग के पास छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ मेडिकल टीमें भी तैनात कर दी गयी हैं जिससे फंसे श्रमिकों को बाहर निकलने पर उन्हें तत्काल चिकित्सीय मदद दी जा सके. कोटद्वार के निकट बिशनपुर के रहने वाले गब्बर सिंह नेगी के पुत्र आकाश सिंह नेगी ने 'पीटीआईभाषा' को बताया, ' मुझे कुछ सेकेंड के लिए उस पाइप के जरिए अपने पिता से बात करने की अनुमति मिली जिससे सुरंग में फंसे श्रमिकों को आक्सीजन भेजी जा रही है.'

श्रमिकों की सलामती के लिए पूजा

यह पूछे जाने पर कि उनके पिता ने उनसे क्या बातचीत की, आकाश ने कहा, ' उन्होंने बताया कि वे सभी सुरक्षित हैं . उन्होंने हमसे चिंता न करने को कहते हुए कहा कि कंपनी उनके साथ है.' रविवार सुबह सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसमें फंस गए श्रमिकों की जानकारी मिलने के बाद आकाश अपने पिता की खोजखबर लेने अपने चाचा महाराज सिंह नेगी तथा तीन अन्य लोगों के साथ कोटद्वार से मौके पर पहुंचे हैं. इस बीच, फंसे श्रमिकों की सलामती के लिए एक स्थानीय पुजारी राम नारायण अवस्थी ने पूजा भी संपन्न कराई . उन्होंने बताया, ' मुझे कंपनी के लोगों ने पूजा संपन्न कराने को कहा जिससे भगवान कृपा करें और सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल आएं . मैंने इसलिए पूजा संपन्न कराई.'

 परिजनों को जब से उनके फंसे होने की सूचना मिली है, उनका रो रो कर बुरा हाल है. परिजनों की दीवाली की खुशियां भी अपनों के न होने से फीकी पड़ गई है. फिलहाल प्रशासन की तरफ से एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर परिवार को ढांढस बंधाया है.

श्रावस्ती जिले के सिरसिया इलाके के मोतीपुर कला गांव के थारू जनजातीय लोग ज्यादातर बाहर मजदूरी करने जाते हैं और मजदूरी के बाद कमाईकर अपने परिवार का पालनपोषण करते हैं. मोतीपुर कला गांव के 6 मजदूर मजदूरी करने के लिए उत्तरकाशी गए थे, जहां वह निर्माणाधीन टनल में काम कर रहे थे. प्र

हर दिन की शिफ्ट के अनुसार वह रविवार को भी टनल के अंदर मजदूरी कर रहे थे तभी ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया, जिसमें करीब 40 मजदूर फंस गए. उसी में काम कर रहे श्रावस्ती जिले के मोतीपुर कला गांव के भी 6 मजदूर फंस गए.

अपने परिवार के लोगों के सुरंग में फंसे होने की खबर पाकर गमगीन परिवार के लोगों के आंसू नहीं थम रहे हैं. जहां परिवार में दिवाली पर अपनों के आने की आस थी और साथ में दिवाली की खुशियां मनाने की खुशी थी वो सारी खुशियां बिखर गई. जब से यहां के लोगों के सुरंग में फंसे होने की सूचना फोन से मिली परिवार के लोगों ने खाना पानी छोड़ दिया. लोग अपनों के सुरक्षित आने की आस में आंसू बहा रहे हैं. फिलहाल प्रशासन की तरफ से आज एसडीएम भिनगा ने मौके पर जाकर परिवार को ढांढस बंधाया है.

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