Gyanvapi Verdict: वाराणसी जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने पिछले सप्ताह सुनवाई के बाद ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग जांच (Carbon Dating of Shivling) पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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Gyanvapi Carbon Dating: ज्ञानवापी केस में वाराणसी जिला अदालत (Varanasi District Court) ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Shivling Carbon Dating) नहीं होगी. वाराणसी जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने मस्जिद परिसर में कार्बन डेटिंग और 'शिवलिंग' की वैज्ञानिक जांच की मांग वाली हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया. बता दें कि वाराणसी जिला जज ने पिछले सप्ताह सुनवाई के बाद ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग जांच और पूरे परिसर की ASI से सर्वेक्षम की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
शिवलिंग को सुरक्षित रखना जरूरी: वाराणसी जिला जज
वाराणसी जिला जज ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 को निर्देशिक किया था कि कथित शिवलिंग को सुरक्षित रखा जाए. ऐसी स्थिति में यदि कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर या ग्राउंड नेनीटेटिंग रडार का प्रयोग करने पर कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा. इसके अतिरिक्त ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है.
ज्ञानवापी: हिंदू पक्ष को बहुत बड़ा झटका, शिवलिंग की नहीं होगी कार्बन डेटिंग #GyanvapiCase #CarbonDating | @priyasi90 @vishalpandeyk pic.twitter.com/CVtuU0vzBV
— Zee News (@ZeeNews) October 14, 2022
क्या होती है कार्बन डेटिंग?
दरअसल, कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) से वस्तु की उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है. इससे शिवलिंग की जांच में उम्र का पता लग सकेगा. इससे यह भी पता चलेगा कि शिवलिंग का निर्माण कब करवाया गया होगा? कार्बन डेटिंग से इमारतों के बनने की तारीख का पता लगाया जाता है.
कार्बन डेटिंग को लेकर हिंदू पक्ष में दो फाड़
कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Shivling Carbon Dating) वाली याचिका पर अदालत के आदेश से पहले ही हिंदू पक्ष में दो फाड़ हो गई है. दरअसल, वादी संख्या एक राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग का कड़ा विरोध किया है. राखी सिंह के पैरोकार विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह 'विसेन' ने कार्बन डेटिंग से हिंदुओं के भावनाओं को आहत करने का बड़ा आरोप लगाया है. उनका मानना है कि कार्बन डेटिंग से शिवलिंग को नुकसान होगा और शिवलिंग खंडित होगा. जबकि, वादी संख्या 02 से 05, जिसमें लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक का नाम है. उन्होंने कोर्ट में अर्जी लगाकर कार्बन डेटिंग की मांग की है.
11 अक्टूबर को जिला जज ने फैसला रखा था सुरक्षित
कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक पद्धति से परीक्षण कर ज्ञानवापी के सत्यता का पता लगाने का हिंदू पक्ष ने कोर्ट से आग्रह किया है. कार्बन डेटिंग पर 11 अक्टूबर को जिला अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के मौखिक जवाब दाखिल करने के आग्रह को स्वीकार करते हुए 7 अक्टूबर को फैसले की तारीख टाल दी थी.
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