पीड़ितों की PM मोदी से गुहार, जल्द पारित करें 'मानव तस्करी निरोधक विधेयक'
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पीड़ितों की PM मोदी से गुहार, जल्द पारित करें 'मानव तस्करी निरोधक विधेयक'

मानव तस्करी पीड़ितों का समर्थन करने वाले संगठनों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में पीड़ितों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है की यह विधेयक राज्यसभा में जल्द पारित होगा

2016 की रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी के 15,379 पीड़ितों में से 60 प्रतिशत नाबालिग थे

नयी दिल्ली: मानव तस्करी पीड़ितों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख 'मानव तस्करी निरोधक विधेयक' को अपना समर्थन दिया और राज्यसभा में उसके जल्द पारित होने की उम्मीद जताई. पिछले वर्ष जुलाई में मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में यह पहले ही पारित हो चुका है. पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में मानव तस्करी पीड़ितों का समर्थन करने वाले संगठनों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में पीड़ितों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है की यह विधेयक राज्यसभा में जल्द पारित होगा.

पीएम मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, 'हमारे जीवन के कुछ हताश क्षण में, हमें बेहतर जीवन की उम्मीद के लालच दिए गए और जबरन श्रम, पैसों के लिए यौन उत्पीड़िन, भीख मांगने और अन्य अमानवीय कामों के लिए हमारी तस्करी की गई. हम भाग्यशाली रहे की इस गुलामी की जंजीरों से निकल पाए लेकिन अब भी लाखों लोग हैं जो तस्करों के इस दुष्चक्र में फंसे हैं'. 

उसने कहा, 'हम आपको सुनिश्चित करना चाहेंगे कि भारत के नागरिक और पीड़ित, इस खतरनाक मानव तस्करी के खिलाफ आपके साथ हैं. हम उम्मीद करते हैं कि राज्यसभा चले और सभी दल इस विधेयक का समर्थन करें'. मानव तस्करी (निरोध, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक 2018 विशेष अदालतों को त्वरीत सुनवाई और विदेशी पीड़ितों के समय पर (संज्ञान में लेने से एक वर्ष की अवधि के भीतर) प्रत्यार्पण का अधिकार देता है. यह एक अत्यंत सराहनीय कदम है क्योंकि नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में तस्करी के कई मामले हैं.

विधेयक में एक और बड़ी बात 'राष्ट्रीय तस्करी निरोधक ब्यूरो' (एनएटीबी) का गठन है, जो अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अधिकारियों के साथ समन्वय का करेगा और अंतर-राज्य और सीमा पार से साक्ष्य के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेगा. पिछले महीने मानव तस्करी के पीड़ितों ने कुछ सांसदों के साथ उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को एक ज्ञापन भेज संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक को पारित कराने का आश्वासन मांगा था.

राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी के 15,379 पीड़ितों में से 60 प्रतिशत नाबालिग थे. रिपोर्ट के अनुसार एक लाख से (1,11,569) बच्चे 2016 में लापता हुए और इनमें से 55,625 का पता नहीं चल पाया.

(इनपुट-भाषा)

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