हम खोखले दावों और नारों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
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हम खोखले दावों और नारों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को जोर देते हुए कहा कि सरकार को शोध पर और निवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम खोखले दावे या नारे से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते क्योंकि प्रदर्शन सुधारने के लिए और बुनियादी काम करने की जरूरत है।

फोटो सौजन्यः ट्विटर

वाराणसी : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को जोर देते हुए कहा कि सरकार को शोध पर और निवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम खोखले दावे या नारे से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते क्योंकि प्रदर्शन सुधारने के लिए और बुनियादी काम करने की जरूरत है।

उन्होंने यहां बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षा क्षेत्र में निवेश की जरूरतें पूरी करने के लिए विभिन्न प्रतिस्पर्धी मांगों और संसाधनों के बीच संतुलन बनाने की अपील की।

राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं अपनी सरकार से अपील करता हूं कि वह कृपया शोध में और निवेश करे। हम खोखले दावे या नारे से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, हमें मजबूती से अपना प्रदर्शन सुधारना चाहिए जिसके लिए हमें विज्ञान में और शोध और बुनियादी काम करने की जरूरत है।' 

उन्होंने कहा कि शोध क्षेत्र में जीडीपी का केवल 0.6 प्रतिशत निवेश जापान के तीन प्रतिशत, अमेरिका के 2.8 प्रतिशत और चीन के 2.2 प्रतिशत की तुलना में पर्याप्त नहीं है। मुखर्जी ने सुझाव दिया कि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों को शोध विकास एवं नवाचार में मजबूती से निवेश कर इसे शीर्ष राष्ट्रीय प्राथमिकता का क्षेत्र बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र का भौतिक विस्तार करना भर पर्याप्त नहीं है और छात्रों में वैज्ञानिक सोच का विकास कर शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने सभ्यता के मूल मूल्यों के महत्व का हवाला देते हुए सबके लिए सद्भाव, करूणा और प्रेम पर जोर दिया।

मुखर्जी दो दिनों के लिए वाराणसी में रूकने वाले थे लेकिन वह अपना दौरा छोटा करते हुए गुरुवार की रात ही दिल्ली लौट गए। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने कार्यक्रम के दौरान 100 रुपए और दस रुपए के स्मारक सिक्के जारी किए। समारोह में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति करन सिंह भी मौजूद थे।

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