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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) आज (सोमवार) दिल्ली रिपोर्ट नहीं करेंगे. हालांकि आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार अलपन बंद्योपाध्याय ने कल देर शाम को सचिवालय में बैठक की, वहीं आज ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के साथ बैठक करेंगे.
बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवाती तूफान यास (Cyclone Yaas) अब थम चुका है, लेकिन इसका सियासी असर बंगाल की राजनीति पर दिख रहा है. ममता बनर्जी और केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को लेकर आमने-सामने हैं. केंद्र के आदेश के मुताबिक बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को आज दिल्ली में DoPT में हाजिर होना है. लेकिन ममता बनर्जी सरकार के मुख्य सचिव कोलकाता में ही मौजूद हैं. और तो और अलपन बंद्योपाध्य कल देर शाम पश्चिम बंगाल के सचिवालय में बैठक ले रहे थे. जानकारी के मुताबिक कोलकाता के नबन्ना इलाके में बने सचिवालय में अलपन बंद्योपाध्याय के साथ उनकी पत्नी भी मौजूद थीं.
सूत्रों के मुताबिक अलपन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) को पश्चिम बंगाल सरकार रिलीव नहीं कर रही है और वो दिल्ली भी नहीं जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक अलपन बंद्योपाध्याय दिल्ली आने के बदले आज दोपहर 3 बजे कोलकाता में ममता की अगुवाई में होने वाली बैठक में शामिल होंगे. अलपन बंद्योपाध्याय का कार्यकाल आज ही खत्म हो रहा था, लेकिन कोविड-19 के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए इन्हें 3 महीने का एक्सटेंशन दिया गया है.
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अलपन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) के दिल्ली रिपोर्ट नहीं करने के पीछे तकनीकी वजह मौजूद है. दरअसल, मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने पर राज्य सरकार की ओर से मंजूरी जरूरी है और ममता बनर्जी सरकार ने अलपन बंद्योपाध्याय के तबादले के लिए अपनी सहमति दी ही नहीं है. यानी अपने मुख्य सचिव के जरिए ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने साफ कर दिया है कि वो केंद्र सरकार के आगे ना तो झुकेंगी और ना ही किसी आदेश का पालन करेंगी.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) कई बार सार्वजनिक रूप से ममता बनर्जी (Mamata Benerjee) सरकार के काम करने के तरीके पर सवाल उठा चुके हैं. राज्यपाल यहां तक कह चुके हैं कि उन्हें उनकी संवैधानिक शक्तियों के इस्तेमाल के लिए मजबूर ना किया जाए. लेकिन शायद ममता बनर्जी ये मान कर बैठी हैं कि केंद्र सरकार का विरोध उनकी राजनीति का अहम हिस्सा है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि बंगाल विधान सभा चुनाव के दौरान टीएमसी और बीजेपी के बीच पैदा हुई कड़वाहट अब काफी आगे बढ़ चुकी है.
अब हम आपको ये बताते हैं कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) को लेकर अचानक इतना बड़ा विवाद कैसे खड़ा हो गया? क्यों उनका तबादला दिल्ली किया गया और क्यों उन्हें बंगाल से रिलीव नहीं किया जा रहा है? हम आपको बंगाल में पिछले 72 घंटे में बदले घटनाक्रम को समझाते हैं.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को यास तूफान (Cyclone Yaas) के बाद नुकसान को लेकर समीक्षा बैठक की. कलाईकुंडा में हुई इस बैठक में राज्यपाल जगदीप धनखड़ के अलावा बीजेपी नेता शुवेंदु अधिकारी मौजूद थे, लेकिन बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) इस मीटिंग में पहुंची ही नहीं. प्रधानमंत्री से मिलने ममता बनर्जी तय वक्त से 30 मिनट की देरी से पहुंचीं. दीघा के लिए 20 हजार करोड़ की मांग करते हुए एक रिपोर्ट सौंपी और रवाना हो गईं. उस वक्त ममता बनर्जी के साथ बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय भी मौजूद थे.
माना जा रहा है कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) शुवेंदु अधिकारी का सामना ही नहीं करना चाहती थीं. शायद इसलिए कि नंदीग्राम की विधान सभा सीट पर हुई हार को ममता बनर्जी भुला नहीं पाई हैं. ऐसे में नंदीग्राम से ममता बनर्जी को मात देने वाले शुवेंदु अधिकारी को टीएमसी कैसे बर्दाश्त कर सकती है. ममता बनर्जी के इस रवैये पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा, 'यास तूफान से प्रभावितों लोगों की मदद करना समय की मांग है. दुख की बात है दीदी ने अहंकार को जनकल्याण से ऊपर रखा है."
प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक को लेकर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की कार्यशैली पर सवाल उठे, लेकिन ममता बनर्जी ने इसका छूटते ही जवाब दे दिया. ममता बनर्जी के पास प्रधामंत्री की समीक्षा बैठक में शामिल नहीं होने की वजह तैयार थी, लेकिन मुख्य सचिव के तौर पर अलपन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) के लिए इस बैठक को नजरअंदाज करना आसान नहीं था. बावजूद इसके अलपन अपने सीएम के साथ आए और साथ ही चले भी गए.
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बाद में अपनी सफाई में कहा कि वो बंगाल की जनता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के पैर भी छूने को तैयार हैं. इस पर भी शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया. उन्होंने कहा, 'आपने प्रधानमंत्री के पांव में गिरने की बात कही है, आपको वो नहीं करना होगा. आप सिर्फ संविधान मान कर चलें.
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में 30 मिनट की देरी बंगाल में अलपन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) से जुड़े विवाद की जड़ है. अब अलपन बंद्योपाध्याय को लेकर केंद्र और ममता बनर्जी आमने-सामने है. वैसे प्रधानमंत्री की अनदेखी ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के लिए नया नहीं है. वो पहले भी सार्वजनिक मंच से केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ बोल चुकी हैं.
चाहे वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती का मौका ही क्यों ना हो. लेकिन अब देखने वाली बात ये होगी कि बंगाल के मुख्य सचिव के मुद्दे पर केंद्र सरकार कैसा रवैया अपनाती है? क्या ममता अपने मुख्य सचिव की सेवा बरकरार रख पाएंगी. या फिर केंद्र ममता पर भारी पड़ेगा? लेकिन इस विवाद की वजह से कही ना कही बंगाल के विकास पर तो असर पड़ सकता है.
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