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Himachal Pradesh Apple: हिमाचल में सेब के पौधों को अल्टरनेरिया रोग (Alternaria disease) लग गया है. डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी की टीमों के निरीक्षण के बाद ये चौंकाने वाला बड़ा खुलासा किया है. इस वजह से स्थानीय किसान निराश है. उनकी सालाना आमदनी पर भी खतरा मंडरा गया है. अधिकारियों ने बताया कि रोहडू, कोटखाई, जुब्बल और ठियोग में 70 से 95 फीसदी तक पौधे इस रोग से प्रभावित हो गए हैं. डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय ने ताजा हालात को लेकर विस्तृत रिपोर्ट जारी की है.
पत्तों में लगा रोग
रोहडू की पुजारली पंचायत के बागवान पिंकू गाजटा ने बताया कि पत्तों में रोग लगने से सेब में भूरे और काले दाग पड़ना शुरू हो गए हैं. फल समय से पहले झड़ना शुरू हो गए हैं. कृषि विज्ञान केंद्र शिमला की एक टीम ने रोहडू, कोटखाई और जुब्बल के करीब 20 गांवों के बगीचों का निरीक्षण किया. इस टीम में डॉ. उषा शर्मा, डॉ. अजय ब्रागटा, और डॉ. नागेंद्र बुटेल शामिल रहे.
किसानों के लिए एडवायजरी जारी
अल्टरनेरिया रोग से सेब की फसल को बचाने के लिए बागवानी विभाग ने एडवाइजरी जारी की है. विभाग ने बागवानों को अपने बगीचों में पत्तों के धब्बों की निरंतर निगरानी करने और विभाग की ओर से जारी स्प्रे शेड्यूल के अनुसार हर 10 से 15 दिन में फफूंदनाशकों का छिड़काव करने का सुझाव दिया है.
हिमाचल के लिए सेब कितना जरूरी?
हिमाचल प्रदेश फलों की पैदावार खासकर अपने सुर्ख लाल-लाल सेवों के लिए दुनियाभर में मशहूर है. बागवानी की मुख्य नगदी फसल भी सेब है. यहां की एपल इकॉनमी की बात करें तो ये 5000 करोड़ से ज्यादा है. ऐसे में सेबों की क्वालिटी खराब होना अब पूरे राज्य के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. वहीं इसके अलावा, नाशपति, आडू, बेर, खुमानी, आम, लीची, अमरूद और बादाम जैसे विभिन्न फलों की पैदावार होती है. अच्छी फसल अच्छे मौसम पर निर्भर करती है. फल और सब्जी दोनों की पैदावार से यहां बड़े पैमाने पर रोजगार के साधन पैदा होते हैं, जिससे सरकार के साथ-साथ यहां के आम लोगों को भी मदद मिलती है.