What Is Green Crackers: दिवाली का समय नजदीक आते ही पटाखों की गुंज सुनाई देने लगती है. आजकल दिवाली या नए साल के मौके पर ग्रीन पटाखों का चलन तेज हो गया है. आइए जानते हैं कि ग्रीन पटाखे क्या होते हैं?
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Ways To Identify Green Crackers: दिवाली अब सिर्फ कुछ दिनों की दूरी पर है. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कई जगहों पर पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगाया गया है, जबकि कुछ जगहों पर ग्रीन पटाखों के लिए छूट दी गई है. ग्रीन पटाखों का नाम तो आप खूब सुनते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रीन पटाखे क्या होते हैं. अगर नहीं पता तो ये खबर आपके लिए है.
ये होते है ग्रीन पटाखे
ग्रीन पटाखों को बनाने में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इन्हें बनाने में कच्चा माल कम इस्तेमाल किया जाता है. इन्हें बनाते हुए इनके पार्टिक्यूलेट मैटर का खास ख्याल रखा जाता है. ये आकार में आम पटाखों की तुलना में छोटे होते हैं. ग्रीन पटाखों से लगभग 20 प्रतिशत पार्टिक्यूलेट मैटर बाहर निकलता है. इनकी पहचान करना बेहद आसान है. इन पर मौजूद क्यू आर कोड को NEERI एप से स्कैन करके इनका पता लगाया जा सकता है.
क्या है इनकी खासियत
पुराने या आम पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे कम प्रदूषण फैलाते हैं. इनमें इस्तेमाल होने वाला कैमिकल कम खतरनाक होता है. इसे बनाने में बेरियम साल्ट या एंटीमॉनी, लिथियम, आर्सेनिक लेड जैसे रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इनसे खतरनाक पार्टिकल्स कम मात्रा में बाहर निकलते हैं. ग्रीन पटाखों से होने वाला ध्वनि प्रदूषण 110 से 125 डेसिबल तक होता है, जबकि दूसरे पटाखों में यह 160 डेसिबल तक होता है. किसी दूसरे पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे थोड़े महंगे होते हैं.
इसलिए होते हैं पटाखे खतरनाक
पटाखे खासकर वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होते हैं लेकिन इनसे उन लोगों को ज्यादा खतरा होता है जो हार्ट डिजीज और अस्थमा जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं. हार्ट डिजीज और अस्थमा के मरीजों के लिए पटाखे जानलेवा भी साबित होते हैं क्योंकि पटाखों से निकलने वाला पार्टिक्यूलेट मैटर सांस के जरिए फेफड़ों में चला जाता है जो बीमारी को और बढ़ा देता है.
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