Kavach System: क्या है कवच सिस्टम, कैसे करता है काम; लगा होता तो टकराने से बच जातीं ट्रेनें
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Kavach System: क्या है कवच सिस्टम, कैसे करता है काम; लगा होता तो टकराने से बच जातीं ट्रेनें

What is Indian Railway Kavach System: सोशल मीडिया पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कवच सिस्टम की खासियतें समझाते नजर आ रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि इस सिस्टम को अधिकतर रेल मार्गों पर इंस्टॉल किया जाना बाकी है. 

Kavach System: क्या है कवच सिस्टम, कैसे करता है काम; लगा होता तो टकराने से बच जातीं ट्रेनें

How Kavach System Works: ट्रेन को आपस में टकराने से बचाने के लिए भारत ने स्वदेशी कवच सिस्टम बनाया है. लेकिन वह दार्जिलिंग के उस ट्रैक पर इंस्टॉल नहीं था, जहां आज आपस में दो ट्रेनें टकरा गईं. इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए. यह हादसा उस वक्त हुआ, जब कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से आई एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी. 

अब सोशल मीडिया पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कवच सिस्टम की खासियतें समझाते नजर आ रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि इस सिस्टम को अधिकतर रेल मार्गों पर इंस्टॉल किया जाना बाकी है. 

कब लागू होगा कवच सिस्टम?

रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा ने बताया, 'रेलवे ने अगले साल तक 6,000 किलोमीटर से ज्यादा ट्रैक को कवर करने के टारगेट के तहत दिल्ली-गुवाहाटी मार्ग पर सिक्योरिटी सिस्टम इंस्टॉल करने की योजना बनाई है. बंगाल इस साल कवच सिस्टम वाले 3,000 किलोमीटर की पटरियों के दायरे में आता है. यह सिस्टम दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर लागू किया जाएगा.'

मौजूदा समय में कवच 1,500 किलोमीटर से ज्यादा रेल पटरियों पर इंस्टॉल है. केंद्र सरकार ने 2022-23 के दौरान कवच के तहत 2,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क लाने की योजना बनाई थी और इसका टारगेट करीब 34,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क को कवर करना है. भारतीय रेलवे का नेटवर्क 1 लाख किलोमीटर से ज्यादा लंबा है. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि अगर कवच सिस्टम लगा होता, तो इस हादसे को रोका जा सकता था. लेकिन यह एक खर्चीला सिस्टम है.

कवच क्या है?

कवच ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RSCO) ने तीन भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर इसे बनाया है. यह सिक्योरिटी सिस्टम ना सिर्फ ट्रेनों की रफ्तार को कंट्रोल करता है बल्कि लोको पायलट को खतरे वाले सिग्नल्स के बारे में भी बताता है, जिससे कम विजिबिलिटी वाली स्थितियों में भी ट्रेनें चलती रहती हैं. 

कैसे काम करता है?

अगर वक्त पर ड्राइवर ब्रेक नहीं लगा पाता तो कवच सिस्टम ऑटोमैटिक ब्रेक लगा देता है. सिग्नल्स, ट्रैक्स और स्टेशन यार्ड्स पर रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID)टैग्स लगाए जाते हैं. ताकि ट्रेन की लोकेशन और वह किस दिशा में है इसका पता लगाया जा सके. जब यह सिस्टम एक्टिवेट होता है, वो सभी ट्रेनें जो 5 किमी के दायरे में होती हैं, वह रुक जाती हैं और दूसरी ट्रेन सुरक्षित तरीके से अन्य ट्रैक के जरिए आगे बढ़ जाती है. 

'रेड सिग्नल' के करीब जब ट्रेन पहुंचती है, तो कवच सिस्टम लोको पायलट को सिग्नल भेज देता है और अगर जरूरी हो तो खुद ब खुद ब्रेक अप्लाई कर देती है ताकि सिग्नल मिस ना हो. साल 2022 में रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि उन्होंने निजी तौर पर इस सिस्टम को टेस्ट किया है. 

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