DNA: क्या 700 साल बाद हिंदुओं को मिलेगा भोजशाला में पूजा का हक? ASI ने HC को सौंपी सर्वे रिपोर्ट, मिले कई सबूत
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DNA: क्या 700 साल बाद हिंदुओं को मिलेगा भोजशाला में पूजा का हक? ASI ने HC को सौंपी सर्वे रिपोर्ट, मिले कई सबूत

Bhojshala-Kamal Maula Masjid Controversy: क्या मां सरस्वती के एकमात्र मंदिर यानी मध्य प्रदेश के धार जिले में बने भोजशाला में 700 साल बाद हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिलने जा रहा है. यह सवाल अब सबके अधरों पर तैर रहा है. 

DNA: क्या 700 साल बाद हिंदुओं को मिलेगा भोजशाला में पूजा का हक? ASI ने HC को सौंपी सर्वे रिपोर्ट, मिले कई सबूत

What is the Bhojshala Controversy: क्या काशी की ज्ञानवापी के बाद अब मध्य प्रदेश के धार की भोजशाला में हिंदुओँ को पूजा का हक मिलेगा? दरअसल ज्ञानवापी की तरह ही भोजशाला में मुस्लिम मस्जिद है. ज्ञानवापी की तरह ही भोजशाला में हिंदू मंदिर होने की मान्यता है.

ज्ञानवापी की तरह ही भोजशाला में हिंदू पक्ष पूजा अर्चना की इजाजत मांग रहा है. ज्ञानवापी के सर्वे के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदुओं को ज्ञानवापी में पूजा की इजाजत दे दी थी. ज्ञानवापी की तरह ही भोजशाला के भी ASI सर्वे का आदेश कोर्ट ने दिया था. अब भोजशाला में भी हिंदू पक्ष को उम्मीद है कि पूजा की इजाजत मिल जाएगी.

भोजशाला सर्वे की रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी 

दरअसल आज ASI ने भोजशाला सर्वे रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ को सौंप दी है. ASI ने 22 मार्च को भोजशाला के विवादित परिसर का सर्वे शुरु किया था. ये सर्वे करीब तीन महीने चला. हाईकोर्ट ने कहा है कि रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाए.

लेकिन हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि सर्वे रिपोर्ट में भोजशाला के अंदर हिंदू मंदिर होने की पुष्टि हो चुकी है. हिंदू पक्ष के मुताबिक भोजशाला में सर्वे के दौरान 1700 से ज्यादा पुरावशेष मिले हैं. भोजशाला की दीवार, खंभों और जमीन की खुदाई के दौरान हिंदू देवी-देवताओँ की 37 मूर्तियां भी मिली हैं. 

सर्वे में 94 मूर्तियां मिलने का दावा

सर्वे के दौरान कुल 94 मूर्तियां, मूर्तिकला के टुकड़े भी मिले हैं. खिड़कियों, खंभों और बीमों पर हिंदू देवी-देवताओं की उकेरी गई आकृतियां भी मिली हैं. भोजशाला की दीवारों और छतों पर शेर, घोड़ा हाथी, हंस जैसे पक्षियों की छवियां भी मिली हैं . जिन्हें विकृत किया गया है. चांदी, तांबे, एल्युमिनियम और स्टील के कुल 31 सिक्के मिले हैं जो दसवीं से 16वीं सदी के हैं.

हाईकोर्ट के आदेश पर सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है. लेकिन हिंदू पक्ष का दावा है कि सर्वे रिपोर्ट में जो सबूत मिले हैं. वो ये साबित करते हैं कि भोजशाला में मौजूदा संरचना मंदिरों को तोड़कर उनके अवशेषों पर बनाई गई थी. अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, सर्वे रिपोर्ट के आधार पर 22 जुलाई को सुनवाई करेगा. इस मुद्दे पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन से ज़ी न्यूज़ ने बात की है. 

क्या हिंदुओं को मिलेगा पूजा का हक?

हिंदू पक्ष बेहद कॉन्फिडेंट लग रहा है. उम्मीद कर रहा है कि ज्ञानवापी की तरह भोजशाला में भी हिंदुओं को पूजा का हक मिलेगा क्योंकि हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी की तरह. भोजशाला में भी मंदिर होने के सबूत, ASI सर्वे में मिल चुके हैं. लेकिन भोजशाला का इतिहास और विवाद ज्ञानवापी से काफी अलग है.

दरअसल वर्ष 1902 में अंग्रेजों के शासन काल में ASI ने पहली बार धार भोजशाला का सर्वे किया था. तब की रिपोर्ट में मंदिर के अलावा परिसर के एक हिस्से में मस्जिद का उल्लेख था. मौजूदा विवाद अप्रैल 2003 में तब शुरु हुआ था जब ASI ने भोजशाला परिसर में प्रवेश सीमित कर दिया था.

वर्ष 2022 से शुरू हुई कानूनी लड़ाई

ASI के आदेश के बाद 21 साल से हिंदू, सिर्फ मंगलवार को भोजशाला में पूजा-अर्चना कर सकते हैं. जबकि मुस्लिम सिर्फ शुक्रवार को नमाज अदा कर सकते हैं. बाकी दिन, आम लोग टिकट लेकर भोजशाला में प्रवेश कर सकते हैं.

ASI की इस व्यवस्था को चुनौती देते हुए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने मई 2022 में इंदौर हाईकोर्ट में भोजशाला के सर्वे के लिए याचिका दायर की थी. अब सर्वे रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट को तय करना है कि क्या हिंदू समुदाय की मान्यता के मुताबिक भोजशाला, देवी वाग्देवी माता सरस्वती का मंदिर है या मुस्लिम पक्ष के मान्यता के मुताबिक भोजशाला, कमाल मौलाना मस्जिद है. 

भोजशाला को खिलजी ने किया था ध्वस्त

विवाद के साथ अब आपको भोजशाला का इतिहास भी बता देते हैं. इतिहासकारों के मुताबिक 1034 ईस्वी में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, जिसे बाद में भोजशाला के नाम से जाना गया. जिसमें देवी सरस्वती का मंदिर भी था. इतिहासकार बताते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी ने कथित तौर पर 1305 ईस्वी में भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था.

अब हाईकोर्ट करेगा न्याय का फैसला!

फिर 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में एक मस्जिद बनवाई. इसके बाद महमूद शाह खिलजी ने 1514 ईस्वीं में भोजशाला के एक अलग हिस्से में एक और मस्जिद बनवाई. अब हिंदू पक्ष भोजशाला पर अपना हक वापस चाहता है. लेकिन मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि वो सदियों से यहां नमाज अदा करता आ रहा है. अब ASI सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट फैसला करेगा.

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