Farmer's Suicide: 152 दिन, 143 मौतें; महाराष्ट्र का ये जिला बना किसानों का 'सुसाइड कैपिटल'
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Farmer's Suicide: 152 दिन, 143 मौतें; महाराष्ट्र का ये जिला बना किसानों का 'सुसाइड कैपिटल'

Farmers suicide in India: देश में गरीबी और आर्थिक तंगी के चलते हर साल कई किसान आत्महत्या करते हैं. केंद्र सरकार और तमाम राज्य सरकारें सालों से कहती आई हैं कि उसने किसानों की आत्महत्या के मामलों को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. लेकिन मौजूदा स्थिति कितनी भयावाह है, उसकी गवाही ये आंकडे़ देते हैं.

Farmer's Suicide: 152 दिन, 143 मौतें; महाराष्ट्र का ये जिला बना किसानों का 'सुसाइड कैपिटल'

Farmers suicide in Maharashtra: बड़ी जोत के किसानों को छोड़ दिया जाए तो देश का अन्नदाता आजादी के 77 सालों में गरीब का गरीब ही रह गया. देश में कांग्रेस का करीब 60 साल का राज हो या मोदी सरकार के पिछले 10 साल की सरकार, हमेशा ही यह दावा किया जाता है कि उन्होंने किसानों की आत्महत्या के मामलों को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. लेकिन मौजूदा स्थिति क्या है? आंकड़ों के साथ ये बताने में किसी भी संवेदनशील आदमी की रूह कांप जाएगी कि जो किसान तबका अन्नदाता हमारा पेट भरता है, उनके परिवारों की हालत आज भी भयावाह है. वो कर्ज में डूबे हैं, अगर उनके यहां कोई अनहोनी नहीं हुई तो कम कृषि भूमि के किसान पुस्तैनी खेती-बाड़ी छोड़कर दिहाड़ी मजदूर बन गए हैं.

महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के मामले ज्यादा- यवतमाल और अमरावती में स्थिति भयावाह

कपास उगाने वाला यवतमाल जिला महाराष्ट्र में एग्रीकल्चर सुसाइड कैपिटल के रूप में बदनाम हो चुका है. लेकिन अब इसका पड़ोसी इलाका भी किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर सुर्खियों में है. बीते पांच महीनों की बात करें तो फार्मर्स सुसाइड के डाटा के हिसाब से अमरावती जिला इन दिनों किसानों की मौत के मामले में सबसे ऊपर है. 

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के अमरावती जिले में  इस साल मई तक 143 किसानों ने आत्महत्या की यानी हर दिन आत्महत्या से एक किसान का घर उजड़ गया. वहीं 132 किसानों की आत्महत्या के साथ यवतमाल दूसरे नंबर पर है. आपको बताते चलें कि जून का डेटा अभी आना बाकी है.

बीते सालों की तुलना में अमरावती जिले ने साल 2021 से किसानों की आत्महत्या के मामले में यवतमाल को पीछे छोड़ दिया है. उस साल 370 किसानों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी. इसके बाद 2022 में 349 और 2023 में 323 किसानों ने यहां आत्महत्या कर ली. यवतमाल में, 2021 से 2023 तक मरने वालों की संख्या क्रमशः 290, 291 और 302 थी. 

किसानों की आत्महत्या की वजह

गरीबी और कर्ज किसानों की आत्महत्या की बड़ी वजहें हैं. किसान हितों की बात करने वालों का कहना है कि किसानों कपास के अलावा सोयाबीन और अन्य फसलों का रुख किया लेकिन न तो उनकी उपज यानी पैदावार बढ़ी और ना ही उनकी कमाई बढ़ी. वहीं उनका कर्जा अलग से बढ़ गया. पिछले साल सोयाबीन की दरें भी गिरकर करीब 4000 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं. पर्याप्त बैंकिंग ऋण की कमी के कारण, कई लोग छोटी वित्त फर्मों या साहूकारों पर निर्भर रहते हैं, और कठोर वसूली का सामना करते हैं. जब कर्ज देने वाला दबाव बनाता है तब वो आत्महत्या कर लेते हैं.

बीते 9 सालों में क्या हुआ?

पिछले साल जनवरी 2023 में पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक औरंगाबाद के डिविजनल कमिश्नर कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया था कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ रीजन के आठ जिलों में साल 2001 से अब तक करीब 10431 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. वहीं डिविजनल कमिश्नरेट के रिकॉर्ड के मुताबिक 2001 से 2010 तक, यानी 21वीं सदी के पहले दशक में किसानों के आत्महत्या करने के सबसे अधिक मामले साल 2006 में सामने आए थे तब 379 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी.

वहीं 18 दिसंबर 2023 को प्रकाशित 'द वायर' की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते 9 सालों में प्रतिदिन देश में करीब 30 किसानों के सुसाइ़ड करने की खबर आई है. महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े साल दर साल बढ़ते ही जा रहे हैं.

आपको बताते चलें कि कुछ साल पहले आई एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र से थे. उस रिपोर्ट में 2017 से 2019  तक का डाटा था. 2020 में कोरोना महमारी आई तो कुछ पता नहीं चला. अब बीते दो-तीन सालों में भी ऐसी दुखद घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है. NCRB की उस रिपोर्ट में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसानों के आत्महत्या के मामले सामने आने का जिक्र था. इसके बाद कर्नाटक, आंध्र प्रदेश ऐसे राज्य रहे जहां सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की. महाराष्ट्र और कर्नाटक ही अकेले ऐसे राज्य थे जहां 2017 से 2019 के बीच अकेले 1000 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. 

Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्‍मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्‍यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्‍छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्‍त हेल्‍पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.

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