DNA with Sudhir Chaudhary: भारत के खिलाफ मुस्लिम देशों की मोर्चेबंदी, मुस्लिम देशों की नाराजगी की असली वजह क्या?
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DNA with Sudhir Chaudhary: भारत के खिलाफ मुस्लिम देशों की मोर्चेबंदी, मुस्लिम देशों की नाराजगी की असली वजह क्या?

DNA with Sudhir Chaudhary: अब तक 15 मुस्लिम देश भारत के खिलाफ आपत्ति दर्ज करा चुके हैं. इनमें से कई देशों में अब भारत में बने सामानों का बहिष्कार भी शुरू हो गया है. अब बड़ा सवाल ये है कि भारत में हुए एक टीवी डिबेट में ऐसा क्या खास था कि दुनियाभर के इस्लामिक देश अचानक भारत के खिलाफ हो गए?

DNA with Sudhir Chaudhary: भारत के खिलाफ मुस्लिम देशों की मोर्चेबंदी, मुस्लिम देशों की नाराजगी की असली वजह क्या?

DNA with Sudhir Chaudhary: एक के बाद एक दुनिया के तमाम मुस्लिम देश, पैगम्बर मोहम्मद साहब के अपमान के मुद्दे पर भारत के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं. अब तक 15 मुस्लिम देश भारत के खिलाफ आपत्ति दर्ज करा चुके हैं. इनमें से कई देशों में अब भारत में बने सामानों का बहिष्कार भी शुरू हो गया है. अब बड़ा सवाल ये है कि भारत में हुए एक टीवी डिबेट में ऐसा क्या खास था कि दुनियाभर के इस्लामिक देश अचानक भारत के खिलाफ हो गए?

इन देशों ने जरूरी मुद्दों पर थामी चुप्पी

ये देश भारत के नए नागरिकता कानून के मुद्दे पर चुप रहे, जिस पर हमारे देश के मुसलमानों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था. कश्मीर में अनुच्छेद 370 के मामले पर चुप रहे और इससे पहले भी जब भारत में हिन्दू मुसलमान दंगे हुए हैं, ये देश उन पर कभी कुछ नहीं बोले, तो इस बार ऐसा क्या हुआ कि ये देश खुलकर भारत के खिलाफ आकर खड़े हो गए? आज हम आपको बताएंगे कि कैसे ये लड़ाई अब धर्मयुद्ध का रूप ले चुकी है और अब दुनिया में एक तरफ 190 करोड़ मुसलमान हैं और दूसरी तरफ भारत में रहने वाले 100 करोड़ हिन्दू हैं.

72 घंटों में 15 देशों की आपत्ति

इस समय मुस्लिम देशों में भारत का विरोध करने की ये मुहिम आग की तरह फैल रही है. पिछले 72 घंटों में दुनिया के 15 मुस्लिम देश इस मुद्दे को लेकर भारत के प्रति अपनी नाराजगी जता चुके हैं. इनमें कतर, कुवैत, ईरान और पाकिस्तान जैसे देशों के अलावा अब Maldives, Libya, इंडोनेशिया, Jordan, ओमान, UAE, Turkey और सऊदी अरब जैसे देश भी शामिल हो गए हैं. इसके अलावा बहरीन ने भी धार्मिक आजादी के मुद्दे पर भारत को लेक्चर दिया है और इस घटनाक्रम पर भारत का विरोध जताया है.

बहरीन सिखा रहा भारत को धार्मिक आजादी

बहरीन की कुल आबादी सिर्फ 17 लाख है. यानी आबादी के मामले में बहरीन उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर मेरठ के बराबर है. बहरीन में लोकतंत्र नहीं है. वहां राजशाही शासन की व्यवस्था है और वहां लोग कट्टर इस्लामिक तौर तरीकों का पालन करने के लिए मजबूर हैं. लेकिन इसके बावजूद आज बहरीन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को ये सिखा रहा है कि धार्मिक आजादी क्या होती है. आप बहरीन जैसे देश के दोहरे मापदंडों को ऐसे भी समझ सकते हैं. साल 2020 में जब बहरीन के एक Superstore में बुर्का पहनी दो महिलाओं ने भगवान गणेश की मूर्तियों को उठा कर तोड़ना शुरू कर दिया था. इन महिलाओं का कहना था कि बहरीन एक मुस्लिम देश है और वहां किसी और के भगवान की पूजा नहीं हो सकती. ये खबर दो साल पुरानी है, लेकिन क्या आज तक आपको इसके बारे में पता था?

एक बयान से बौखला गए मुस्लिम देश

सोचिए, भारत में एक नेता टीवी डिबेट के दौरान पैगम्बर मोहम्मब साहब को लेकर कुछ टिप्पणी कर देती है और ये मुद्दा इतनी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय खबर बन जाता है लेकिन दूसरी तरफ बहरीन में दो महिलाएं हिन्दू देवी देवताओं के लिए अपशब्द कहती हैं और मूर्तियों को तोड़कर उनका अपमान करती हैं, लेकिन हमारे देश के लोग इस पर प्रतिक्रिया तक नहीं देते. इससे पता चलता है कि, मुस्लिम देश तो आज अपने धर्म को लेकर एकजुट हैं लेकिन भारत के लोग अपने धर्म को लेकर बंटे हुए हैं.

ये देश हमें सिखाएंगे धार्मिक स्वतंत्रता?

इससे भी बड़ा दुर्भाग्य ये है कि आज जिस अफगानिस्तान में महिलाओं को बुर्का नहीं पहनने पर मारा जाता है और जहां मस्जिद के अलावा किसी नए मन्दिर, गुरुद्वारे और चर्च का निर्माण नहीं हो सकता, वहां की तालिबान सरकार आज भारत को ये बता रही है कि धार्मिक आजादी क्या होती है. जिस कतर ने हिन्दू देवी देवताओं की आपत्तिजनक Painting बनाने वाले भारत के चित्रकार M.F Hussain को अपने देश की नागरिकता दी थी, आज वही कतर भारत को ये बता रहा है कि उसे सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. जबकि कतर एक ऐसा देश है, जहां इस्लाम को छोड़ कर किसी दूसरे धर्म का प्रचार करने पर भी जेल की सजा हो जाती है.

आज अगर कोई व्यक्ति सऊदी अरब की नागरिकता लेना चाहता है तो उसे पहले इस्लाम धर्म अपनाना पड़ता है. इसके अलावा सऊदी अरब में गैर मुस्लिम आबादी और खासतौर पर हिन्दुओं को खुले में धार्मिक अनुष्ठान करने की इजाजत नहीं है, लेकिन सऊदी अरब भी भारत को ये बता रहा है कि धार्मिक आजादी क्या होती है. इसी तरह ईरान में अगर कोई व्यक्ति इस्लाम धर्म छोड़ कर कोई दूसरा धर्म अपनाता है तो ऐसे लोगों को मौत की सजा दी जाती है. लेकिन ईरान आज भारत को ये बता रहा है कि मानव अधिकारों की रक्षा कैसे करनी चाहिए.

पाकिस्तान का संविधान वहां के अहमदिया मुसलमानों को मुसलमान नहीं मानता और अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे जेल में डाल दिया जाता है. पाकिस्तान में ही बलोचिस्तान के मुसलमानों पर अत्याचार होते हैं. लेकिन पाकिस्तान आज भारत को धर्मनिरपेक्षता पर लेक्चर दे रहा है और Jordan जैसे देश में वहां का सर्वोच्च नेता बनने की पहली और आखिरी शर्त ये है कि उस व्यक्ति को मुसलमान होना चाहिए. लेकिन आज Jordan भारत को ये बता रहा है कि, लोकतंत्र क्या होता. सोचिए, इससे बड़ा मजाक हमारे देश के साथ क्या होगा?

अलकायदा की भारत को धमकी

शुरुआत में हमने आपको बताया था कि मुस्लिम देशों के बाद अब आतंकवादी संगठन अल कायदा ने भी इस मुद्दे पर भारत का विरोध किया. अलकायदा ने अपने बयान में कहा है कि, जो भी पैगम्बर मोहम्मद साहब का अपमान करेगा, उसे जान से मार दिया जाएगा. इसी में ये भी लिखा है कि अल कायदा छोटे छोटे बच्चों के शरीर पर बम बांध देगा और हर उस व्यक्ति को आत्मघाती हमलों में मार देगा, जिन्होंने पैगम्बर मोहम्मद साहब का अपमान किया है. इसके अलावा इसमें ये भी लिखा है कि अल कायदा भगवा आतंकवादियों से कहना चाहता है कि अब उन्हें दिल्ली, मुम्बई, यूपी और गुजरात में अपने अंत का इंतजार करना चाहिए. उन्हें ना तो अपने घरों में सुरक्षा मिलेगी और ना ही सेना की छावनियों में उन्हें बचाया जा सकेगा. लेकिन अल कायदा ने इस चिट्ठी में भारत के मुसलमानों के प्रति हमदर्दी जताई है और कहा है कि भारत में मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है और अलकायदा उनके साथ खड़ा है. अलकायदा ने भारत के मुसलमानों से ये भी कहा है कि, उन्हें ये बात भूलनी नहीं चाहिए कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ने पहले से बता दिया था कि एक दिन गजवा ए हिन्द होगा और इसमें मुसलमानों की जीत होगी.

असल में ये पूरा विवाद अब एक धर्मयुद्ध में तब्दील हो गया है, जिसमें एक तरफ दुनिया के 190 करोड़ मुसलमान हैं और दूसरी तरफ भारत में रहने वाले 100 करोड़ हिन्दू हैं. लेकिन समस्या ये है कि, ये 100 करोड़ हिन्दू कई हिस्सों में बंटे हुए हैं. जबकि 190 करोड़ मुसलमान पूरी तरह एकजुट हैं. आज दुनिया के तमाम मुस्लिम देश इस मामले में एक देश की तरह व्यवहार कर रहे हैं.

वो हमें बता रहे हैं कि भले उनकी सीमाएं अलग हों, क्षेत्र अलग हो, महाद्वीप अलग हो लेकिन वो अपने धर्म के लिए एकजुट हैं. लेकिन जो हिन्दू हैं, वो अपने धर्म के लिए एकजुट नहीं हैं. और ये स्थिति भी तब है, जब ज्यादातर मुस्लिम आबादी एक साथ नहीं रहती है. आज मुसलमान.. पश्चिमी अफ्रीका के Morocco से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया के इंडोनेशिया तक फैले हुए है. जबकि हिन्दू कुछ ही देशों में सीमित है. लेकिन इसके बावजूद आज अगर नेपाल में किसी हिन्दू पर अत्याचार होता है तो भारत के हिन्दुओं का इस पर खून नहीं खौलता. और कश्मीर में हिन्दुओं की चुन चुन कर हत्या होती है तो नेपाल और बांग्लादेश में इस पर विरोध प्रदर्शन नहीं होते.

क्या ये धर्मयुद्ध है?

बड़ी बात ये है कि, ये पूरा मुद्दा अब इतना बड़ा हो गया है कि कतर और कुवैत जैसे देशों में भारत में बने सामानों का बहिष्कार करने की मुहिम शुरू हो गई है. आज कुवैत के एक Superstore से भारत में बने सामानों को हटा दिया गया. इस Superstore के मालिक का कहना है कि, वो अपने यहां ऐसे देश के सामान की बिक्री नहीं कर सकता, जो पैगम्बर मोहम्मद साहब का अपमान करता है. इसके अलावा कतर और पाकिस्तान में भी भारत के खिलाफ इस तरह की मुहिम चलाई जा रही है और लोगों से कहा जा रहा है कि वो भारत में बने सामानों का बहिष्कार करके अपनी ताकत दिखाएं और यहां के मुसलमान अब भारतीय मूल के लोगों को नौकरी नहीं देने का भी अभियान चला रहे हैं.

हालांकि हमें लगता है कि इन मुस्लिम देशों में भारत के खिलाफ जिस बहिष्कार की बात हो रही है, अब उसका जमाना जा चुका है. अब दुनिया में एक भी देश ऐसा नहीं है, जो पूरी तरह आत्मनिर्भर हो. आज के जमाने में दुनिया एक ग्लोबल विलेज की तरह है, जहां सभी देश अपनी जरूरतों के लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं. आज ग्लोबल सप्लाई चेन के बिना कोई भी देश अपनी औद्योगिक जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता. इसलिए हमें लगता है कि इस तरह के बहिष्कार से मुस्लिम देश भारत पर दबाव तो बना सकते हैं लेकिन वो भारत का ज्यादा नुकसान नहीं कर सकते.

आज इस्लामिक दुनिया के बड़े बड़े चैम्पियंस जिस तरह से भारत को निशाना बना रहे हैं, वैसा पहले Denmark और फ्रांस के साथ भी हो चुका है. यानी आप कह सकते हैं कि, इस खेल की रिहर्सल पहले भी दो बार हो चुकी है. पहली बार वर्ष 2005 में मुस्लिम देशों ने इसी तरह Denmark की घेराबंदी की थी, जब Denmark के एक छोटे से अखबार में पैगम्बर मोहम्मद साहब के कुछ विवादित Cartoon प्रकाशित हुए थे. तब भी मुस्लिम देशों ने डेनमार्क के राजदूतों को अपने देशों में तलब किया था. OIC ने डेनमार्क के खिलाफ बयान जारी करके संयुक्त राष्ट्र से उस पर कार्रवाई की मांग की थी और फिर बाद में इन देशों में डेनमार्क में बने सामानों का बहिष्कार शुरू हो गया था और सीरिया की राजधानी Damascus (दमैस-कस) में तो हजारों लोगों की भीड़ ने डेनमार्क की Embassy को आग लगा दी थी और बड़ी बात ये है कि उस समय मुस्लिम देशों की इस एकजुटता के सामने ढाई करोड की आबादी वाले डेनमार्क देश को झुकना पड़ा था और इस अखबार को बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी थी.

मुस्लिम देश साध रहे एजेंडा?

इस मुद्दे पर अब तक जितने भी ट्वीट हुए है, उनमें सबसे ज्यादा 20 हजार Tweets पाकिस्तान से किए गए हैं. इसके अलावा ओमान और कतर जैसे देशों से भी Fake Accounts के जरिए भारत के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ Narrative बनाने के लिए कुल 715 Fake Bot Accounts का इस्तेमाल हो चुका है. इनमें ज्यादातर Fake Accounts पाकिस्तान के हैं. फर्जी Accounts के अलावा पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियां, वहां के पत्रकार और दूसरे ब्लू टिक वाले Accounts से भी भारत के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है.

अक्सर जब हमारे देश में हमारे ही देश के खिलाफ कोई मुद्दा ट्रेंड करता है तो हम इसे अपने देश के लोगों की राय मान लेते हैं. जबकि सच ये है कि डिजिटल युग के इस दौर में ये Fake Narrative फर्जी अकाउंट्स के जरिए गढ़े जाते हैं.

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